विधि नियमों के विपरीत फिल्मे बनाने , प्रसारण की तो होड़ लगी ,है लकिन कोटा में आज़ादी के जंगजू सिपाहियों , कोटा को आज़ाद कराकर , अंग्रेज़ों के ज़ुल्म का शिकार होकर, फांसी पर चढ़ने वाले , महराब खान , लाला जय दयाल पर अब तक ना तो कोई फिल्म बनी है , ना ही इनकी शौर्य गाथा ,,कोटा की आज़ादी की जंग की कहानी को , स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है ,,,,
कोटा में अवैध ,, ग़ैरक़ानूनी तरीके से फिल्मों के निर्माण के नाम पर , लोगों को मुर्ख बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं , ,, यू ट्यूब , ओ टी टी , प्रसारण सहित कई अन्य माध्यमों से इस तरह की फिल्मों की शूटिंग और प्रचार प्रसार की गूंज है , सभी जानते है , फिल्म बनाने के पहले , कई क़ानूनी स्वीकृतियां होती है ,, ताकि घोटाले , घपलों , दुर्घटनाओं , नफरत , द्वेष , नग्न प्रदर्शनों से लोगों को बचाया जा सके ,, ,फिल्म बनाने के पहले , फिल्म का टाइटल का पंजीयन विधिवत ज़रूरी है , फिर खानी का कॉपी राइट ज़रूरी है , इसके बाद शूटिंग के लिए सिनेमाओटोग्राफ के क़ानूनी प्रावधान के तहत , फिल्म शूटिंग की स्वीकृतियां , जिला अधिकारीयों से विधिवत , फिल्म शूटिंग की स्वीकृतियां , भारतीय नाट्य प्रदर्शन अधिनियम के तहत स्वीकृतियां , जिसमे पुलिस की वर्दी , जज सहित अन्य प्रतिबंधित पदों की वर्दियों का उपयोग शामिल है , इन सब के बाद , फिल्म निर्माण के वक़्त अगर शूटिंग के दौरान , भीड़ एकत्रित होती है , या किसी जगह शूटिंग होती है , तो विधिवत स्वीकृति ,, भीड़ नियंत्रण के लिए पृथक से पुलिस अधिनियम के लिए स्वीकृति , अगर बेक़ाबुय भीड़ को नियंत्रित करना है , या फिल्म कलाकार ,, सेट से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए , ,पुलिसकर्मियों की आवश्यकता है , तो पुलिस अधिनियम के विधिक प्रावधान के तहत , उनकी प्रतिदिन वेतन खर्च की राशि , पुलिस कल्याण कोष में जमाकर , अतिरिक्त जाब्ता विधिक रूप से लिया जाना , और पूरी फिल्म बनने के बाद , उसे रिलीज़ करने के पहले , सेंसर बोर्ड से उसकी स्वीकृति , वगेरा की फोर्मलिटीज़ ज़रूरी है , लेकिन कई फ़िल्में इन सब विधिक नियमों के विपरीत शूट भी की जा रही हैं ,,,कथित रूप से रिलीज़ भी की जा रही हैं , ,बिना जवाबदारी , क़ानूनी विधिक स्वीकृतियों की इस तरह की फ़िल्में कभी विवाद का कारण भी बन सकती हैं ऐसे में जिला प्रशासन , पुलिस प्रशासन और स्थानीय नागरिकों को संयुक्त रूप से गैर क़ानूनी तरीके से कथित रूप से बनाई जाने वाली फिल्मों शार्ट फ़िल्में , वगेरा के बारे में नियमों को लेकर गंभीर क़दम उठाना ,चाहिए , विधि से जुड़े छात्रों , विधि के ज्ञानियों को ऐसी अवैध फिल्मों को रोककर , विधिक व्यवस्थाओं के तहत ही फ़िल्में निर्मित हों , शूटिंग हो , इसके लिए प्रशासन अगर लापरवाही बरतता है तो , जनहित याचिकाओं के माध्यम से व्यवस्थित फिल्म निर्माण की शुरुआत करना चाहिए , ,कोटा में पर्यटन और फिल्म निर्माण के लिए बहतरीन लोकेशंस है , स्थानीय लोक कथाये , आज़ादी के सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम की गाथाएं फिल्म काल्की ,, की तर्ज़ पर , उससे बहतर ऐतिहासिक तथ्य है , जिसमे 1857 की क्रांति के वक़्त कोटा की जनता पर ज़ुल्म करने वाले , अगंरेजों के सिपाहियों , देश के गद्दार अंग्रेज़ों के समर्थकों ,, और अंग्रेज़ों के पोलिटिकल एजेंट को ,, कोटा के महराब खान , ,रिसालदार , लाला जयदयाल एडवोकेट ने कोटा को आज़ाद कराने के लिए 15 अक्टूबर 1857 को छावनी रामचंद्रपुरा में एकत्रित होकर ,, कोटा को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराकर आज़ादी का झंडा लहराने का संकल्प लिया और अँगरेज़ , उनके समर्थकों की फौज पर हमला बोल दिया ,, लाला जयदयाल , लाला हरदयाल , महराब खान , सोहराब खान के नेतृत्व में जंग छिड़ी , मारकाट हुई , लेकिन कोटा के बहादुर स्वतंत्रता जांबाज़ सेनानियों ने , अंग्रेज़ों और उनके समर्थक मुखबिर देश के गद्दार सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए और फिर , रेसीडेंसी हॉउस सिविल लाइंस पर धावा बोल दिया , जहाँ रेसीडेंसी हाउस पर क़ब्ज़ा कर लिया और कोटा की जनता पर ज़ुल्म , ज़्यादती पोलिटिकल एजेंट , डॉक्टर मेजर बर्टन , उसके दो बेटों के साथ , उन्हें बचाने आये , अँगरेज़ समर्थक सैनिकों का क़त्ल कर दिया गया ,, कोटा की जनता में अंग्रेज़ों का खोफ खत्म करने के लिए , ,पोलिटिकल एजेंट , का सर क़लम करके , पुरे कोटा शहर में घुमाया गया , फिर बृज टाकीज़ , नयापुरा के पास उसे दफनाया गया ,,,कोटा को उक्त जांबाज़ सिपाहियों ने छ महीने से भी ज़्यादा वक़्त तक , कोटा से अंग्रेज़ों का शासन खत्म कर ,, कोटा को आज़ाद रखा , आज़ादी का जश्न बना , इस दौरान कोटा के तात्कालिक दरबार से भी ,, मेजर बर्टन , अंग्रेज़ों के पोलिटिकल एजेंट ,, की हत्या की विधिक स्वीकृति भी ले ली , लेकिन अंग्रेज़ों की मुखबीरी भारी थी , आज़ादी के गद्दारों की भरमारि थी , फिर से कोटा पर अंग्रेज़ों और उनके समर्थक देश के गद्दारों का हमला हुआ , उन्होंने फिर कोटा पर क़ब्ज़ा किया और लाला जय दयाल , महराब खान को , इस जंग का मुख्य आरोपी मानकर , इन्हे मुखबिरों से पकड़वाया , मुक़दमा चलाया , कोटा तात्कालिक दरबार रामसिंग का जो आदेश मेजर बर्टन के खिलाफ लिखा हुआ था , उसे नहीं माना ,, मेजर बर्टन को निर्दोष मानकर ,, लाला जय दयाल एडवोकेट और जांबाज़ सिपाही , रिसालेदार महराब खान को ,, रेसीडेंसी हाउस , पी डब्ल्यूड डी वर्तमान दफ्तर के बाहर एक नीम के पेड़ पर सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई ,, यह कृत्य अंग्रेज़ों और उनके गुलामों ने आज़ादी के सिपाही , उनके समर्थकों में खौफ का माहौल पैदा करने के लिए किया था, , महराब खान का अंतिमसंस्कार नयापुरा शंकर मेडिकल स्टोर बावड़ी के पास किया गया , जहां उनका मज़ार है , जबकि लाला जयदयाल का भी अंतिम संस्कार हिन्दू रीती रिवाज से हुआ ,, , अफ़सोस इस बात का है , के कोटा में आज़ादी के जंग की यह जांबाज़ ऐतिहासिक गाथा , ,कोटा के आम लोगों से छुपा रखी है , ,इस पर ना तो कोई फिल्म अभी तक बनाई गई , जबकि देश भर में कोटा के लिए यह गौरव की बात है , आज़ादी की जंग में कोटा का योगदान ,,, कोटा के जंगजू सिपाहियों का देश भर में सीना छोड़ा कर देने वाला है ,,, लेकिन कोटा के सांसद , कोटा के विधायक , मंत्रियों , कोटा के इतिहासकारों , कोटा के ,फिल्मकारों कोटा के पत्रकारों ने इस मामले में , आज़दी की जंग में इन शहीद सिपाहियों की गाथा को , छुपा कर रखा है , आगे नहीं बढ़ाया है , जबकि , कोटा से जुड़े लोग तीन तीन शिक्षा मंत्री हुए है , एक तो मदन दिलावर अभी भी शिक्षा मंत्री है , कोटा के शहीदों की आज़ादी की जंग में जांबाज़ सिपाहियों की यह सत्यगाथा , स्कूलों के पाठ्यक्रम में भी शामिल नहीं की गई है , अब तो कोटा से लोकसभा अध्यक्ष भी हैं , जो कोटा के सांसद भी ,हैं ऐसे में इस शौर्य गाथा को , , केंद्रीय स्कूली शिक्षा ,,, के पाठ्यक्रमों में भी शामिल करवाना चाहिए , जबकि इस शौर्य गाथा को , कोटा आज़ादी का मतवाला जंगजू सिपाही रहा , कोटा आज़ाद रहा ,,, इस मामले में भी , फिल्म या डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनवाने के प्रयास होना चाहियें ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 जुलाई 2024
विधि नियमों के विपरीत फिल्मे बनाने , प्रसारण की तो होड़ लगी ,है लकिन कोटा में आज़ादी के जंगजू सिपाहियों , कोटा को आज़ाद कराकर , अंग्रेज़ों के ज़ुल्म का शिकार होकर, फांसी पर चढ़ने वाले , महराब खान , लाला जय दयाल पर अब तक ना तो कोई फिल्म बनी है , ना ही इनकी शौर्य गाथा ,,कोटा की आज़ादी की जंग की कहानी को , स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है ,,,,
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