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11 जुलाई 2024

और ख़ुदा ने सारे आसमान व ज़मीन को हिकमत व मसलेहत से पैदा किया और ताकि हर शख़्स को उसके किये का बदला दिया जाए और उन पर (किसी तरह का) ज़़ुल्म नहीं किया जाएगा

 जो लोग बुरा काम किया करते हैं क्या वह ये समझते हैं कि हम उनको उन लोगों के बराबर कर देंगे जो ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम भी करते रहे और उन सब का जीना मरना एक सा होगा ये लोग (क्या) बुरे हुक्म लगाते हैं (21)
और ख़ुदा ने सारे आसमान व ज़मीन को हिकमत व मसलेहत से पैदा किया और ताकि हर शख़्स को उसके किये का बदला दिया जाए और उन पर (किसी तरह का) ज़़ुल्म नहीं किया जाएगा (22)
भला तुमने उस शख़्स को भी देखा है जिसने अपनी नफसियानी ख़वाहिशों को माबूद बना रखा है और (उसकी हालत) समझ बूझ कर ख़ुदा ने उसे गुमराही में छोड़ दिया है और उसके कान और दिल पर अलामत मुक़र्रर कर दी है (कि ये ईमान न लाएगा) और उसकी आँख पर पर्दा डाल दिया है फिर ख़ुदा के बाद उसकी हिदायत कौन कर सकता है तो क्या तुम लोग (इतना भी) ग़ौर नहीं करते (23)
और वह लोग कहते हैं कि हमारी जि़न्दगी तो बस दुनिया ही की है (यहीं) मरते हैं और (यहीं) जीते हैं और हमको बस ज़माना ही (जिलाता) मारता है और उनको इसकी कुछ ख़बर तो है नहीं ये लोग तो बस अटकल की बातें करते हैं (24)
और जब उनके सामने हमारी खुली खुली आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनकी कट हुज्जती बस यही होती है कि वह कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (जिला कर) ले तो आओ (25)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा ही तुमको जि़न्दा (पैदा) करता है और वही तुमको मारता है फिर वही तुमको क़यामत के दिन जिस (के होने) में किसी तरह का शक नहीं जमा करेगा मगर अक्सर लोग नहीं जानते (26)
और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ास ख़ुदा की है और जिस रोज़ क़यामत बरपा होगी उस रोज़ एहले बातिल बड़े घाटे में रहेंगे (27)
और (ऐ रसूल) तुम हर उम्मत को देखोगे कि (फैसले की मुन्तजि़र अदब से) घूटनों के बल बैठी होगी और हर उम्मत अपने नामाए आमाल की तरफ़ बुलाइ जाएगी जो कुछ तुम लोग करते थे आज तुमको उसका बदला दिया जाएगा (28)
ये हमारी किताब (जिसमें आमाल लिखे हैं) तुम्हारे मुक़ाबले में ठीक ठीक बोल रही है जो कुछ भी तुम करते थे हम लिखवाते जाते थे (29)
ग़रज़ जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किये तो उनको उनका परवरदिगार अपनी रहमत (से बेहिश्त) में दाखि़ल करेगा यही तो सरीही कामयाबी है (30)

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