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11 जुलाई 2024

लो साहब देश के बिकाऊ ज़रखरीद टास्क पत्रकारिता की तो टांय टांय फिस्स हो गई , ,देश जानता है ,,, इलेक्ट्रॉनिक ,,प्रिंट और दूसरी तरह की पत्रकारिता में , पिछले दस सालों से भी ज़्यादा समय से पैकेज ट्रेंड , जिसमे मुस्लिमों को उकसाने , उनकी सामाजिक , धार्मिक रस्मो रिवाजों को उछालने की नौकरी पत्रकार कर रहे

 लो साहब देश के बिकाऊ ज़रखरीद टास्क पत्रकारिता की तो टांय टांय फिस्स हो गई , ,देश जानता है ,,, इलेक्ट्रॉनिक ,,प्रिंट और दूसरी तरह की पत्रकारिता में , पिछले दस सालों से भी ज़्यादा समय से पैकेज ट्रेंड , जिसमे मुस्लिमों को उकसाने , उनकी सामाजिक , धार्मिक रस्मो रिवाजों को उछालने की नौकरी पत्रकार कर रहे , उन्हें देश में क्या हो रहा है , देश की ज़रूरतें क्या है , सरकारों में क्या अन्याय , अत्याचार , ,भ्रष्टाचार पक्षपात हो रहा है , ,देश के नौजवानों में बेरोज़गारी है , मनचाहे लोगों को नियुक्तियां देने , डॉक्टर इंजीनियर बनाने के लिए पेपर लीक व्यवस्थाएं चल रही है , रोज़गार , रोटी , महंगाई , भूख , गरीबी , से अब देश के पत्रकारों का इक्का दुक्का अपवादों को छोड़कर कोई वास्ता नहीं रहा है , दिन भर हिन्दू मुस्लिम , मस्जिद , मदरसा ,, वगेरा वगेरा करने के अलावा कुछ नया नहीं है ,,, कल खूब हुआ , देश के सुप्रीमकोर्ट ने मोहम्मद अब्दुल समद की एक 125 सी आर पी सी की याचिका में , मुस्लिम महिला को गुज़ारा खर्च तलाक़ के बाद भी दिलवाना जायज़ ठहराते हुए , उनकी याचिका ख़ारिज कर दी ,, ,बस बात का बतंगड़ बनना था , ,देश भर में यह फैसला आते ही , पत्रकारों को टास्क मिला ,, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकारों को , जिला , राज्य स्तर पर , इस मामले को टिप्पणियां लेकर , प्रचारित ,प्रसारित करने का टास्क मिला , प्रिंट मिडिया को , मुखर रूप से इस खबर को छापने का टास्क मिला , लेकिन अफ़सोस इस मामले में मीडिया की टांय टांय फिस्स हो गई , मीडिया को जो इस तरह के मामलों को तोड़ मरोड़ कर प्रचारित , प्रसारित ,कर भूख ,, गरीबी ,बेरोज़गारी , महंगाई , अत्याचार , अनाचार , भ्रष्टाचार ,,पेपर लीकेज अभियान को दबाने के प्रयास में लगे , पैकेज धारक हैं , उनकी तो वाट ही लग गई , मुस्लिम समाज की कोई ख़ास प्रतिक्रिया आई ही नहीं , कोई भड़का ही नहीं , क्योंकि देश जानता है , वर्ष 1985 में शाहबानों प्रकरण में बात साफ़ हो गई , फिर गुमराह करने के लिए कहा गया की तलाक़ शुदा मुस्लिम महिलाओं का अधिकार संरक्षण क़ानून फायदे के लिए बनाया है , 125 सी आर पी सी से मुस्लिम महिलाओं का दायरा निकालने के लिए मुस्लिम समाज के आगे झुक कर बनाया गया है , लेकिन फिर इस अफवाह को धड़ाम से गिरना पढ़ा , डेनियल लतीफ मामले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा के गुज़ारा खर्च 125 सी आर पी सी देश के सभी नागरिकों के लिए हैं, तलाक़ हो या ना हो , सभी को गुज़ारा खर्च देना होगा , और घरेलू हिंसा क़ानून में भी यह क़ानून लागू है , ,देश भर की सभी जिला अदालतों में , कोटा में , सभी वकील जानते है , के पारिवरिक न्यायालयों में , अधिकतम 125 सी आर पी सी के प्रार्थना पत्रों पर , ,तलाक़शुदा होने के बाद भी गुज़ारा खर्च की राशि दिलवाई जा रही है , वसूलियां हो रही हैं , वसूली नहीं होने पर , गुज़ाराखर्च नहीं देने वाले पूर्व पति को जेल भेजा जा , रहा है ,,,,,,लेकिन कल सुप्रीमकोर्ट के इस रूटीन आदेश को , मौक़ापरस्त मीडियाकर्मियों के ज़रिये ,, भूख , गरीबी , भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार , पेपरक्लिकिंग , महंगाई के मुद्दों को भटकाने के लिए फिर विशेष टास्क चलाकर कोशिश की गई ,, ,मीडिया पता नहीं कब बदलकर खुद को , भूख , गरीबी , बेरोज़गारी , अम्बानी की लूट , एयरटेल की लूट , बिजली कंपनियों की लूट , पेट्रोल , डीज़ल कीमतों की लूट , नफरत बाज़ों के खिलाफ कार्यवाही , महंगाई , सहित , महत्वपूर्ण मुद्दों पर , अपनी खबरें बनाना शुरू करेगा ,, पहले की तरह ,,,,,, अरे भाई एक आदेश हुआ भी तो वोह सामान्य खबर हो सकती है , लेकिन टास्क देकर , पुरे देश में पत्रकारिता के नाम पर रिपोर्टर्स को जाम कर , तात्कालिक खबरों को रोक कर इस पर ज़ोर देना पत्रकारिता के नाम पर कलंक है ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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