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07 जून 2024

और जो लोग परहेज़गार हैं ख़ुदा उन्हें उनकी कामयाबी (और सआदत) के सबब निजात देगा कि उन्हें तकलीफ छुएगी भी नहीं और न यह लोग (किसी तरह) रंजीदा दिल होंगे

 और जो लोग परहेज़गार हैं ख़ुदा उन्हें उनकी कामयाबी (और सआदत) के सबब निजात देगा कि उन्हें तकलीफ छुएगी भी नहीं और न यह लोग (किसी तरह) रंजीदा दिल होंगे (61)
ख़ुदा ही हर चीज़ का जानने वाला है और वही हर चीज़ का निगेहबान है (62)
सारे आसमान व ज़मीन की कुन्जियाँ उसके पास है और जो लोग उसकी आयतों से इन्कार कर बैठें वही घाटे में रहेंगे (63)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि नादानों भला तुम मुझसे ये कहते हो कि मैं ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे की इबादत करूँ (64)
और (ऐ रसूल) तुम्हारी तरफ और उन (पैग़म्बरों) की तरफ जो तुमसे पहले हो चुके हैं यक़ीनन ये वही भेजी जा की है कि अगर (कहीं) शिर्क किया तो यक़ीनन तुम्हारे सारे अमल अकारत हो जाएँगे (65)
और तुम तो ज़रूर घाटे में आ जाओगे (65)
बल्कि तुम ख़ुदा ही कि इबादत करो और शुक्र गुज़ारों में हो (66)
और उन लोगों ने ख़ुदा की जैसी क़द्र दानी करनी चाहिए थी उसकी ( कुछ भी ) कद्र न की हालाँकि ( वह ऐसा क़ादिर है कि) क़यामत के दिन सारी ज़मीन (गोया) उसकी मुट्ठी में होगी और सारे आसमान (गोया) उसके दाहिने हाथ में लिपटे हुए हैं जिसे ये लोग उसका शरीक बनाते हैं वह उससे पाकीज़ा और बरतर है (67)
और जब (पहली बार) सूर फँूका जाएगा तो जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं (मौत से) बेहोश होकर गिर पड़ेंगें) मगर (हाँ) जिस को ख़ुदा चाहे वह अलबत्ता बच जाएगा) फिर जब दोबारा सूर फूँका जाएगा तो फौरन सब के सब खड़े हो कर देखने लगेंगें (68)
और ज़मीन अपने परवरदिगार के नूर से जगमगा उठेगी और (आमाल की) किताब (लोगों के सामने) रख दी जाएगी और पैग़म्बर और गवाह ला हाजि़र किए जाएँगे और उनमें इन्साफ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ( ज़र्रा बराबर ) ज़ुल्म नहीं किया जाएगा (69)
और जिस षख़्स ने जैसा किया हो उसे उसका पूरा पूरा बदला मिल जाएगा, और जो कुछ ये लोग करते हैं वह उससे ख़ूब वाकि़फ है (70)
और जो लोग काफिर थे उनके ग़ोल के ग़ोल जहन्नुम की तरफ हॅकाए जाएँगे और यहाँ तक की जब जहन्नुम के पास पहुँचेगें तो उसके दरवाज़े खोल दिए जाएगें और उसके दरोग़ा उनसे पूछेंगे कि क्या तुम लोगों में के पैग़म्बर तुम्हारे पास नहीं आए थे जो तुमको तुम्हारे परवरदिगार की आयतें पढ़कर सुनाते और तुमको इस रोज़ (बद) के पेष आने से डराते वह लोग जवाब देगें कि हाँ (आए तो थे) मगर (हमने न माना) और अज़ाब का हुक्म काफिरों के बारे में पूरा हो कर रहेगा (71)
(तब उनसे) कहा जाएगा कि जहन्नुम के दरवाज़ों में धँसो और हमेषा इसी में रहो ग़रज़ तकब्बुर करने वाले का (भी) क्या बुरा ठिकाना है (72)
और जो लोग अपने परवरदिगार से डरते थे वह गिर्दो गिर्दा (गिरोह गिरोह) बेहिष्त की तरफ़ (एजाज़ व इकराम से) बुलाए जाएगें यहाँ तक कि जब उसके पास पहुँचेगें और बेहिष्त के दरवाज़े खोल दिये जाएँगें और उसके निगेहबान उन से कहेंगें सलाम अलै कुम तुम अच्छे रहे, तुम बेहिष्त में हमेषा के लिए दाखि़ल हो जाओ (73)
और ये लोग कहेंगें ख़ुदा का षुक्र जिसने अपना वायदा हमसे सच्चा कर दिखाया और हमें (बेहिष्त की) सरज़मीन का मालिक बनाया कि हम बेहिष्त में जहाँ चाहें रहें तो नेक चलन वालों की भी क्या ख़ूब (खरी) मज़दूरी है (74)
और (उस दिन) फरिष्तों को देखोगे कि अर्ष के गिर्दा गिर्द घेरे हुए डटे होंगे और अपने परवरदिगार की तारीफ की (तसबीह) कर रहे होंगे और लोगों के दरम्यिान ठीक फैसला कर दिया जाएगा और (हर तरफ से यही) सदा बुलन्द होगी अल्हमदो लिल्लाहे रब्बिल आलेमीन (75)

सूर अज़ जुमर ख़त्म

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