और जो सब्र करे और कुसूर माफ़ कर दे तो बेशक ये बड़े हौसले के काम हैं (43)
और जिसको ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसके बाद उसका कोई सरपरस्त नहीं
और तुम ज़ालिमों को देखोगे कि जब (दोज़ख़) का अज़ाब देखेंगे तो कहेंगे कि
भला (दुनिया में) फिर लौट कर जाने की कोई सबील है (44)
और तुम उनको देखोगे कि दोज़ख़ के सामने लाए गये हैं (और) जि़ल्लत के
मारे कटे जाते हैं (और) कनक्खियों से देखे जाते हैं और मोमिनीन कहेंगे कि
हकीक़त में वही बड़े घाटे में हैं जिन्होने क़यामत के दिन अपने आप को और
अपने घर वालों को ख़सारे में डाला देखो ज़ुल्म करने वाले दाएमी अज़ाब में
रहेंगे (45)
और ख़ुदा के सिवा न उनके सरपरस्त ही होंगे जो उनकी मदद को आएँ और जिसको
ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसके लिए (हिदायत की) कोई राह नहीं (46)
(लोगों) उस दिन के पहले जो ख़ुदा की तरफ़ से आयेगा और किसी तरह (टाले न
टलेगा) अपने परवरदिगार का हुक्म मान लो (क्यों कि) उस दिन न तो तुमको कहीं
पनाह की जगह मिलेगी और न तुमसे (गुनाह का) इन्कार ही बन पड़ेगा (47)
फिर अगर मुँह फेर लें तो (ऐ रसूल) हमने तुमको उनका निगेहबान बनाकर नहीं
भेजा तुम्हारा काम तो सिर्फ़ (एहकाम का) पहुँचा देना है और जब हम इन्सान को
अपनी रहमत का मज़ा चखाते हैं तो वह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उनको
उन्हीं के हाथों की पहली करतूतों की बदौलत कोई तकलीफ़ पहुँचती (सब एहसान भूल
गए) बेशक इन्सान बड़ा नाशुक्रा है (48)
सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत ख़ास ख़ुदा ही की है जो चाहता है पैदा
करता है (और) जिसे चाहता है (फ़क़त) बेटियाँ देता है और जिसे चाहता है
(महज़) बेटा अता करता है (49)
या उनको बेटे बेटियाँ (औलाद की) दोनों किस्में इनायत करता है और जिसको
चाहता है बांझ बना देता है बेशक वह बड़ा वाकिफ़कार क़ादिर है (50)
और किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के
ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे
(जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख़्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता
है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है (51)
और इसी तरह हमने अपने हुक्म को रूह (क़ुरआन) तुम्हारी तरफ ‘वही’ के
ज़रिए से भेजे तो तुम न किताब ही को जानते थे कि क्या है और न ईमान को मगर
इस (क़ुरआन) को एक नूर बनाया है कि इससे हम अपने बन्दों में से जिसकी चाहते
हैं हिदायत करते हैं और इसमें शक नहीं कि तुम (ऐ रसूल) सीधा ही रास्ता
दिखाते हो (52)
(यानि) उसका रास्ता कि जो आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़
सब कुछ) उसी का है सुन रखो सब काम ख़ुदा ही की तरफ़ रूजू होंगे और वही फैसला
करेगा (53)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 जून 2024
और जो सब्र करे और कुसूर माफ़ कर दे तो बेशक ये बड़े हौसले के काम हैं
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