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25 जून 2024

कोटा हजीरा ,, ज़हूरा ,, मोहन टाकीज़ के पास चाबुकदार ,,डडवाडा माचिस फैक्ट्री सहित कई कई दर्जन क़ब्रिस्तान वक़्फ़ भूमि की सैकड़ों बीघा के मामले में संघर्ष अगर, वक़्फ़ कमेटी वक़्फ़ बोर्ड नहीं करता है , तो सर्वधर्म , सर्व समाज की कमेटी बनाकर इस विधिक संघर्ष को शुरू किया जाए


कोटा हजीरा ,, ज़हूरा ,, मोहन टाकीज़ के पास चाबुकदार ,,डडवाडा माचिस फैक्ट्री सहित कई कई दर्जन क़ब्रिस्तान वक़्फ़ भूमि की सैकड़ों बीघा के मामले में संघर्ष अगर, वक़्फ़ कमेटी वक़्फ़ बोर्ड नहीं करता है , तो सर्वधर्म , सर्व समाज की कमेटी बनाकर इस विधिक संघर्ष को शुरू किया जाए ,
हजीरा उर्फ़ ज़हूरा क़ब्रिस्तान की करोड़ों करोड़ की सम्पत्ति पर निजी मालिकाना हक़ के क़ब्ज़े ,,वक़्फ़ बोर्ड ,वक़्फ़ कमेटी सर्वे करवाकर कार्यवाही शुरू करे , ,वर्तमान कमेटी के सदर सरफ़राज़ अंसारी की टीम इस मामले में गंभीर है , शायद कार्यवाही की शुरुआत भी हो ,,
कोटा 24 जून , कोटा में ज़हूरा उर्फ़ हजीरा , माचिस फैक्ट्री डडवाडा , मोहन टाकीज़ चाबुकदार , नई धानमंडी ,, रंगबाड़ी ,नांता, सुकेत , ज़ुल्मी , रामगंजमंडी , कैलाशपुरी ,भदाना , इटावा ,, सुल्तानपुर , , केथून ,, बोरखेड़ा , शॉपिंग सेंटर ,, सहित कई दर्जन स्थानों पर करोड़ों करोड़ रूपये की नहीं अरबों अरब रूपये की वक़्फ़ सम्पत्ति मामले में वक़्फ़ बोर्ड राजस्थान , वक़्फ़ कमेटी कोटा को अपना फ़र्ज़ तो निभाना ही चाहिए , लेकिन कब ,,,कैसे , एक ज्वलंत प्रश्न ,, जिसका जवाब कब मिलता है देखते हैं एक ब्रेक के बाद ,, ,
कोटा जिला वक़्फ़ कमेटी के अधीनस्थ वक़्फ़ सम्पत्ति हजीरा उर्फ़ ज़हूरा क़ब्रिस्तान , डडवाडा माचिस फैक्ट्री भीमगंजमंडी क़ब्रिस्तान सहित कोटा की कई ऐसी वक़्फ़ सम्पत्ति की समस्याएं है जो , दर्जन से भी अधिक वक़्फ़ सदर ,, विधायक मंत्रियों के नज़दीकी कार्यकर्ता , सियासी क़ाज़ी , सियासी मौलवी , सियासी मौलाना , मंत्री दर्जा लोग , अल्पसंख्यक आयोग ,. राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के कांग्रेस भाजपा के चेयरमेन , सदस्य ,,, कुछ रत्ती भर भी नहीं कर पाए ,है वक़्फ़ की ज़मीनों पर क़ब्ज़े हुए , कुछ क़ब्ज़े निजी इस्तेमाल में हुए ,, कुछ पर सरकार ने क़ब्ज़े किये , लेकिन कोटा वक़्फ़ कमेटी से जुड़े कुछ लोग , और दूसरे निष्पक्ष लोगों ने , वक़्फ़ बोर्ड चेयरमैनों को , पत्र लिखे , ज्ञापन दिए , इर भी, इन पदों पर बैठे लोगों को वक़्फ़ सम्पत्तियों के रखरखाव ,, प्रबंधन से ज़्यादा अपने नेताओं की जी हुज़ूरी , पार्टी सियासी की गुलामी ज़्यादा पसंद रही , इसी कारण कई वर्षों से इस तरह की कोटा वक़्फ़ सम्पत्तियों की समस्याओं का कोई हल नहीं निकला है , वोह बात अलग है के कोटा सर्किट हाउस और कुछ् होटलें ,,, इन लोगों की कोटा यात्राओं , ,महमानवाज़ी के भुगतान के गवाह ज़रूर हैं ,, ,खेर माचिस फैक्ट्री डडवाडा क़ब्रिस्तान की बात तो , दूसरे चरण में करेंगे ,, ,फीलहाल ,कोटा के बीचों बीच ,, शहर की पुरानी सब्ज़ी मंडी , छोटा तालाब स्थित हजीरा उर्फ़ ज़हूरा क़ब्रिस्तान जहाँ कोटा के शासक रहे केसर खान डोकर खान के मज़ारात भी हैं उस वक़्फ़ सम्पत्ति की बात हम करेंगे,, , छत्रविलास तालाब के बाद , ,पुरानी थोक सब्ज़ी मंडी के स्थान पर एक छोटा तालाब और आसपास कुछ बगीचियाँ और फिर ज़हूरा क़ब्रिस्तान ,, जिसे हजीरा भी कहा जाता है , रहा है , कुछ बकाया हिस्सा अभी भी है, ,क़रीब 52 बीघा क़ब्रिस्तान की भूमि सिमटते ,, सिमटते पहले चार बीघा के लगभग फिर नब्बे हज़ार वर्ग फिट की हदबंदी और अब अतिक्रमण , निजी सम्पत्ति , अनावश्यक क़ब्ज़ेदारी , वक़्फ़ कमेटी , वक़्फ़ बोर्ड के नियंत्रण से बाहर और नगर विकास न्यास बनाम वक़्फ़ सम्पत्ति विवाद का हिस्सा बना हुआ है , , ,वक़्फ़ गज़ट तो 1965 में बना उस वक़्त जंगल ज़मीन होने , कीचड़ कादा , तालाब तलैय्या होने से गैर ज़िम्मेदार सर्वेक्षकों ने , ,हदबंदी ,, नापतोल , भौतिक रूप से नहीं कर सिर्फ अंदाज़े से किया , और बस , वक़्फ़ का गज़ट प्रकाशित कर दिया गया ,, उसके बाद कांग्रेस , भाजपा , जनता पार्टी , जनता दल , मिली जुली संयुक्त सरकारें आईं ,, वक़्फ़ सम्पत्तियों के नए सर्वेक्षण पर , करोड़ों करोड़ रूपये सरकार के खाते से खर्च होना बताया गया , लेकिन अफ़सोस किसी भी सरकार ने इस वक़्फ़ सर्वेक्षण को , नए सिरे से अधिसूचित कर, वक़्फ़ गज़ट 1965 को संशोधित नहीं किया , ना ही ,वक़्फ़ बोर्ड से जुड़े पदाधिकारियों ने इस मामले में कोई दबाव बनाया ,, बस क्या हुक्म है मेरे आक़ा अलादीन के चिराग की तरह , ,जी हुज़ूरी हुक्म बजा लाने का काम करते रहे और आज ,वक़्फ़ सम्पत्तियाँ , उनपर क़ब्ज़ा नियंत्रण आम वक़्फ़ कमेटियों के लिए सर दर्द बना हुआ है ,,,, कोटा वक़्फ़ सम्पत्ति हजीरा क़ब्रिस्तान जिसे ज़हूरा क़ब्रिस्तान भी कहा जाता है , के क़ब्ज़े नियंत्रण को लेकर चले आंदोलन की लम्बी कहानी है , कोटा के कॉमरेड अब्दुल वहीद के विधिक संघर्ष में यह लड़ाई प्रतिनिधित्व तरीके से शुरू तो हुई ,, लेकिन दस्तावेजों ,, जानकारी और नामकरण मामलों में फिसड्डी साबित होने से लड़ाई ,,, बिना लड़े ही सिमटती चली गई ,,, आज़ादी के बाद से ही कोटा में ज़हूरा , हजीरा क़ब्रिस्तान की ज़मीन को बचाने को लेकर संघर्ष चला था ,, नगर पालिका कोटा , नगर विकास न्यास से टकराव रहा ,, फिर राजस्थान हाईकोर्ट याचिका लगी , लेकिन नतीजा सिफर रहा ,, ज़मीन घटती गई , क़ब्ज़े होते गए , अब हालात यह है के क़ब्ज़ेदार ,, उक्त ज़मीन को , वक़्फ़ की ज़मीन मानते ही नहीं , खुद की निजी मालिकाना हक़ वाली ज़मीन मानते है , कुछ ने पट्टे भी बना लिए है तो कुछ लोगों के पट्टे आपत्तियों के बाद रुके हुए है , उक्त भूमि पर कॉमर्शियल गतिविधियों से क़रीब ,,दो से पांच लाख रूपये प्रतिमाह की किरायेदारी की कमाई है , लेकिन वोह सब निजी हाथों में है , ,जानकारी के मुताबिक़ छोटा तालाब , मोहन टाकीज़ के पास ,, जहां पहले भी सर्कस , मेले लगा करते थे , वहां नगर विकास न्यास, बनने के बाद शहरी आधार भूत ढांचा बनाने के लिए थोक सब्ज़ी मंडी जो वर्तमान में नगर निगम उत्तर का दफ्तर बनाया जा रहा है , फिर कई बाज़ार बने , फिर छोटा तालाब का अस्तित्त्व खत्म किया ,गया और पूरी ज़मीन ,, समतल करके , वहां पुलिस चौकी , दुकाने , मार्किट बनाकर कॉमर्शियल योजनाएं बना दी गई ,, ,इसी दौरान , कॉमरेड अब्दुल हमीद ,, अशफ़ाक़ भाईजान , अब्दुल मजीद अख्तर ,, कॉमरेड अब्दुल वहीद सहित कई लोगों ने आंदोलन शुरू किया ,, ज़मीन पर से नगर विकास न्यास के क़ब्ज़े को हटाने को लेकर , मुक़दमे किये , तात्कालिक नगर विकास न्यास अध्यक्ष पूर्व मंत्री हरी कुमार औदीच्य से क़ानूनी तकरार हुई , जनता पार्टी , भाजपा गठबंधन सरकार में वाद विवाद हुए , और फिर , पुलिस ने ध्ररणार्थियो पर लाठियां बरसाईं , उन्हें गिरफ्तार किया , मुक़दमे बने , इस दौरान वक़्फ़ बोर्ड के तात्कालिक चेयरमेन अब्दुल क़य्यूम अख्तर ने , एडवोकेट जमील अहमद की अनुशंसा पर , कॉमरेड अब्दुल वहीद को इस ज़हूरा , हजीरा क़ब्रिस्तान मामले को क़ानूनी रूप से संघर्ष करने , अदालतों में लड़ने के लिए , लिखित रूप में , वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से अधिकृत किया ,जो आदेश आज भी अस्तित्व में है , उसे खत्म नहीं किया गया है ,,
हजीरा क़ब्रिस्तान छोटा तालाब खसरा नंबर 415 ,,452 जिसे पचपन बीघा दो बिस्वा का राजस्व रिकॉर्ड बताया जाता है , इसके बाद कोई गिरधारी ग्यारसी के नाम अठ्ठाइस बीघा दो बिस्वा ज़मीन अपने नाम होना रिकॉर्ड बताया ,, कोटा मुंसिफ उत्तर में इस विवाद निस्तारण को लेकर , सिविल वाद 9 /1979 वक़्फ़कमेटी वक़्फ़ बोर्डकी तरफ से नगर विकास न्यास के खिलाफ चला , जो दो जून उन्नीस सो उनियासी को पेश हुआ और उसका फैसला दस जुलाई उन्नीस सो अस्सी को हुआ ,, उसमे विवाद था , के खसरा नंबर 415 की यह ज़मीन है , , बाद में सरकार की तरफ से कहा गया कि पचपन बीघा बाराह बिस्वा पढ़त ज़मीन है , और चार बीघा चार बिस्वा क़ब्रिस्तान की ज़मीन है , इसी बाच उक्त मुक़दमे में तात्कालिक कलेक्टर कोटा के बयान हुए जिसमे उन्होंने कहा के उक्त भूमि के मामले में क़ब्रिस्तान के फ़क़ीर अब्दुल रहमान से समझौता हुआ है , जिसमे नब्बे हज़ार फिट की ज़मींन उसे दी गई है , और पटवारी की पत्थरगढ़ी की कार्यवाही की बात की गई ,, , कोर्ट में कहा गया की इसके अलावा तीन सो बाई तीन सो पचास वर्गफीट ज़मीन पर मज़ार क़ब्रिस्तान बना हुआ है ,, जबकि खसरा 115 नया 452 पर पेंतीस बीघा दो बिस्वा ज़मीन दर्ज है , खास बात यह है के रिपोर्ट में क़ब्रिस्तान को लगभग पांच सो साल पुराना बताया गया है ,,,,रिपोर्ट में कहा गया के , यहां केसर खान डोकर खान शहीद की क़ब्र है , और इसके सुबूत बताते हुए कहा के कोटा गढ़ म्यूज़ियम में इस मामले में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नक़्शा दीवार पर लगा है , तथ्यात्मक रिपोर्ट में कहा गया ,,यहां केसर खान डोकर खान का टीबा दरगाह नक़्शे के साथ दर्ज है , नब्बे हज़ार फिट या चार बीघा चार बिस्वा का रिकार्ड कैसे बना पता नहीं ,,, रिकॉर्ड के मुताबिक़ वक़्फ़ गज़ट 23 सितम्बर 1965 के क्रमांक 134 पर इक्कीस बीघा उन्नीस बिस्वा क़ब्रिस्तान दर्ज है जबकि क्रमांक 140 क़ब्रिस्तान दर्ज है , जो चंबल के किनारे बताया गया है ,, 133 . 135 का रकबा रिपोर्ट में छोटा तालाब का मानते हुए माना गया कि 134 रकबा भी छोटे तालाब का ही हो सकता है ,, जब विवाद ज़्यादा बढ़ा , लोग गिरफ्तार हुए , जेल गए , तब अंजुमन इत्तिहादे बाहमी चूरू के सदर ने वक़्फ़ मंत्री अब्दुल रहमान चौधरी के समक्ष हस्तक्षेप किया और 135 क्रमांक ज़हूरा क़ब्रिस्तान छोटा तालाब , वक़्फ़ बोर्ड का तात्कालिक सर्वेक्षण रिकॉर्ड , दिया , अब्दुल रहमान चौधरी ने हस्तक्षेप किया ,, और कोटा नगर विकास न्यास के लिए कहा गया कि वक़्फ़ की ज़मीन इक्कीस बीघा उन्नीस बिस्वा को स्टाफ ने चार बीघा चवदाह बिस्वा दर्ज कर लिया है , और नगर विकास न्यास इस पर अवैध तामीर करा रही हैं ,, ,,जबकि यह इंद्राज बाद में 16 दिसम्बर 1977 के बाद का होना बताया गया है ,,, इस मामले में अब्दुल वहीद की शिकायत पर , ,जब वक़्फ़ बोर्ड और वक़्फ़ मंत्री अब्दुल रहमान चौधरी ने संज्ञान लेकर , कोटा पत्र लिखा तो , तात्कालिक नगर विकास न्यास अध्यक्ष हरि कुमार औदीच्य ने , स्पष्टीकरण देते हुए , इस शिकायत को निराधार बताते हुए , आश्वस्त किया कि नगर विकास न्यास स्वम की भूमि पर ही काम कर रहा है , ,वक़्फ़ की भूमि पर काम नहीं करेगा ,,,,, इस आशय का जवाब वक़्फ़ बोर्ड सचिव को भी भेजा गया ,,, अब्दुल क़य्यूम अख्तर तात्कालिक वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन ने क्रमांक 919 दिनांक 15 फरवरी 1979 एडवोकेट जमील अहमद की अनुशंसा ,पर इस विवाद के निस्तारण विधिक संघर्ष के लिए कॉमरेड अब्दुल वहीद पुत्र हबीबुल्ला को अधिकृत करते हुए ,, क़ब्रिस्तान ज़हूरा छोटा तालाब रामपुरा कोटा के लिए लिखित रूप में अधिकृत किया जो आदेश आज भी अस्तित्व में हैं , ,,इसी बीच इस भूमि का एक दावेदार नूर मोहम्मद फ़क़ीर ने कहा के क्रमांक 1920 का क़ब्ज़ा पत्ता खुद केसर खान डोकर खान ने दिया है ,, एक अन्य पट्टा क्रमांक 1994 रोशन आत्मज रसूल चाबुक स्वर तालाब के पत्ते बताये जिसमे मस्जिद , कुआ , बगीची बताई गई और झना क़ब्रें भी बताई गईं उक्त विवाद मामले में नगर पालिका क़ानून के तहत भी विवाद चला जिसमे मुक़दमा नंबर 188, मुआयना दिनांक 29 अगस्त 1940 , मुआयना 110 तारीख़ 10 जनवरी 1938 मामले में आदेश करते हुए , तात्कालिक नगर पालिका चेयरमेन ज़ाहिद हुसैन ने 8 अगस्त 1940 की रिपोर्ट नल के बाद अहाता बंदी को सही नहीं माना इसमें भी मोहम्मद खान वेटेनरी असिस्टेंट बनाम रसूल खान चाबुक़ सवार , ने उक्त भूमि को महाराजा साहब रामसिंह जी द्वारा क्रमांक 1984 का पट्टा अपने नाम होना बताया था ,,, ,खेर उक्त भूमि हजीरा क़ब्रिस्तान , जिसे ज़हूरा भी कहा गया , गलत नाम से दावा पेश होने के कारण ख़ारिज होना बताया गया ,, मोहन टाकीज़ कबाड़ी मार्किट का बच्चों का क़ब्रिस्तान , चाबुकदारों का क़ब्रिस्तान , धानमंडी , डडवाडा , माचिस फैक्ट्री सहित कई जगह ऐसे चिन्हित है , जहां , एक नए सर्वेक्षण के साथ , वक़्फ़ बोर्ड ,, वक़्फ़ कमेटी की एक टीम विधिवत कार्य करे , नहीं तो , उक्त क्षेत्र के सभी समाज के सर्वधर्म समाज के लोगों को समझाइश कर रिकोर्ट के अनुरूप बताते हुए एक संयुक्त संघर्ष समिति बताकर , कार्यवाही की जाए ताकि जिसके हक़ की भूमि उसी के पास जा सके ,हजीरा उर्फ़ ज़हूरा क़ब्रिस्तान की करोड़ों करोड़ की सम्पत्ति पर निजी मालिकाना हक़ के क़ब्ज़े ,,वक़्फ़ बोर्ड ,वक़्फ़ कमेटी सर्वे करवाकर कार्यवाही शुरू करे , ,वर्तमान कमेटी के सदर सरफ़राज़ अंसारी की टीम इस मामले में गंभीर है , शायद कार्यवाही की शुरुआत भी हो , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339


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