और ये लोग वहाँ तकिये लगाए हुए (चैन से बैठे) होगें वहाँ (खु़द्दामे बेहिश्त से) कसरत से मेवे और शराब मँगवाएँगे (51)
और उनके पहलू में नीची नज़रों वाली (शरमीली) कमसिन बीवियाँ होगी (52)
(मोमिनों) ये वह चीज़ हैं जिनका हिसाब के दिन (क़यामत) के लिए तुमसे वायदा किया जाता है (53)
बेशक ये हमारी (दी हुयी) रोज़ी है जो कभी तमाम न होगी (54)
ये परहेज़गारों का (अन्जाम) है और सरकशों का तो यक़ीनी बुरा ठिकाना है (55)
जहन्नुम जिसमें उनको जाना पड़ेगा तो वह क्या बुरा ठिकाना है (56)
ये खौलता हुआ पानी और पीप और इस तरह अनवा अक़साम की दूसरी चीज़े हैं (57)
तो ये लोग उन्हीं पड़े चखा करें (कुछ लोगों के बारे में) बड़ों से कहा जाएगा (58)
ये (तुम्हारी चेलों की) फौज भी तुम्हारे साथ ही ढूँसी जाएगी उनका भला न हो ये सब भी दोज़ख़ को जाने वाले हैं (59)
तो चेले कहेंगें (हम क्यों) बल्कि तुम (जहन्नुमी हो) तुम्हारा ही भला न
हो तो तुम ही लोगों ने तो इस (बला) से हमारा सामना करा दिया तो जहन्नुम भी
क्या बुरी जगह है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 मई 2024
बेशक ये हमारी (दी हुयी) रोज़ी है जो कभी तमाम न होगी
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