उर्दू विषय में राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन*
कोटा। राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा में रामानुजन सभागार में उर्दू विभाग के तत्वावधान में "शैक्षिक अनुसंधान : सोपान एवं समस्याएं" विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की संयोजिका प्रो. नुसरत फातिमा ने सेमीनार में उपस्थित विषय विशेषज्ञों और सभी प्रतिभागियों का इस्तकबाल किया और कोटा में उर्दू साहित्य के अध्ययन-अध्यापन के इतिहास पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। इसके बाद सेमिनार के निदेशक और उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नईम फलाही ने सेमिनार के विषय और ध्येय पर रौशनी डाली। सेमिनार का आयोजन दो सत्रों में किया गया। प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली से पधारे प्रो. मोहम्मद काज़िम साहब ने अपने उद्बोधन में शोध प्रबंध लिखने के तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला और शोध में आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि शोध का कोई शार्ट कट नहीं होता। एक अच्छी शोध रूपरेखा ( सिनापसिस) का शोध का मूलाधार होती है। शोध की भाषा शैली सहज और स्पष्ट होनी चाहिए। अनावश्यक मुहावरेबाजी और तारीफ नहीं की जानी चाहिए। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से पधारे प्रो. नदीम अहमद साहब ने शोधार्थियों को जीवित साहित्यकारों या आलोचकों पर शोध करने से बचने की सलाह दी।
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