डॉ. हेमलता गांधी ने जन्मदिवस पर देहदान का संकल्प लिया
हमारे ऋषिमुनियों से सीखें दान का महत्व, इस बात ने देहदान -संकल्प के लिए प्रेरित किया
बकानी, झालावाड़ निवासी डॉ. हेमलता गांधी ने अपने 46 वें जन्मदिवस के अवसर पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से देहदान का संकल्प लिया है। इस अद्वितीय निर्णय के पीछे उनका उद्देश्य मानवता की सेवा और चिकित्सा अनुसंधान में योगदान देना है।
डॉ. गांधी ने बताया कि ऋषिमुनियों के समय से दान का महत्व रहा है,इसी बात ने उन्हें इस संकल्प के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "दान का महत्व अनमोल है और यह हमारे समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकता है।"
इस अवसर पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष, डॉ. कुलवंत गौड़ ने डॉ. हेमलता गांधी के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा, "जन्मदिन पर देहदान संकल्प का कदम समाज के लिए एक प्रेरणा है। उनका यह निर्णय न केवल चिकित्सा क्षेत्र में अहम योगदान देगा, बल्कि अन्य लोगों को भी इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करेगा।"
देहदान से न केवल चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में योगदान मिलता है, बल्कि इससे चिकित्सा छात्रों को वास्तविक शरीर पर अध्ययन और प्रशिक्षण का अवसर प्राप्त होता है। यह मानवता की सेवा का एक सर्वोच्च रूप है, जो मृत्यु के बाद भी जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है।
डॉ. हेमलता गांधी का यह संकल्प उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो समाज के उत्थान के लिए कुछ करना चाहते हैं। उनका यह कदम निस्संदेह हमारे समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा और चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम खोलेगा।
हमारे ऋषिमुनियों से सीखें दान का महत्व, इस बात ने देहदान -संकल्प के लिए प्रेरित किया
बकानी, झालावाड़ निवासी डॉ. हेमलता गांधी ने अपने 46 वें जन्मदिवस के अवसर पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से देहदान का संकल्प लिया है। इस अद्वितीय निर्णय के पीछे उनका उद्देश्य मानवता की सेवा और चिकित्सा अनुसंधान में योगदान देना है।
डॉ. गांधी ने बताया कि ऋषिमुनियों के समय से दान का महत्व रहा है,इसी बात ने उन्हें इस संकल्प के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "दान का महत्व अनमोल है और यह हमारे समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकता है।"
इस अवसर पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष, डॉ. कुलवंत गौड़ ने डॉ. हेमलता गांधी के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा, "जन्मदिन पर देहदान संकल्प का कदम समाज के लिए एक प्रेरणा है। उनका यह निर्णय न केवल चिकित्सा क्षेत्र में अहम योगदान देगा, बल्कि अन्य लोगों को भी इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करेगा।"
देहदान से न केवल चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में योगदान मिलता है, बल्कि इससे चिकित्सा छात्रों को वास्तविक शरीर पर अध्ययन और प्रशिक्षण का अवसर प्राप्त होता है। यह मानवता की सेवा का एक सर्वोच्च रूप है, जो मृत्यु के बाद भी जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है।
डॉ. हेमलता गांधी का यह संकल्प उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो समाज के उत्थान के लिए कुछ करना चाहते हैं। उनका यह कदम निस्संदेह हमारे समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा और चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम खोलेगा।
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