और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है (171)
कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी (172)
और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा (173)
तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो (174)
और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे (175)
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं (176)
फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडे़गा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी (177)
और उन लोगों से एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो (178)
और देखते रहो ये लोग तो खु़द अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें (179)
ये लोग जो बातें (खु़दा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज़्ज़त का मालिक पाक साफ है (180)
और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो (181)
और कुल तारीफ खु़दा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है (182)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 मई 2024
और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है
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