ग़रज़ तुम लोग खु़द और तुम्हारे माबूद (161)
उसके खि़लाफ (किसी को) बहका नहीं सकते (162)
मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है (163)
और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है (164)
और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं (165)
और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं (166)
अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे (167)
कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खु़दा में) होता (168)
तो हम भी खु़दा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते (169)
(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा (170)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 मई 2024
ग़रज़ तुम लोग खु़द और तुम्हारे माबूद
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