बेशक इबराहीम हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों में थे (111)
और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खु़शख़बरी दी थी (112)
जो एक नेकोसार नबी थे और हमने खु़द इबराहीम पर और इसहाक़ पर अपनी बरकत
नाजि़ल की और इन दोनों की नस्ल में बाज़ तो नेकोकार और बाज़ (नाफरमानी
करके) अपनी जान पर सरीही सितम ढ़ाने वाला (113)
और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं (114)
और खु़द दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख़्त) मुसीबत से नजात दी (115)
और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आखि़र) यही लोग ग़ालिब रहे (116)
और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की (117)
और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई (118)
और बाद को आने वालों में उनका जि़क्रे ख़ैर बाक़ी रखा (119)
कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है (120)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 मई 2024
और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खु़शख़बरी दी थी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)