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07 अप्रैल 2024

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मल्कुलमौत जो तुम्हारे ऊपर तैनात है वही तुम्हारी रूहे क़ब्ज़ करेगा उसके बाद तुम सबके सब अपने परवरदिगार की तरफ लौटाए जाओगे

 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मल्कुलमौत जो तुम्हारे ऊपर तैनात है वही तुम्हारी रूहे क़ब्ज़ करेगा उसके बाद तुम सबके सब अपने परवरदिगार की तरफ लौटाए जाओगे (11)
और (ऐ रसूल) तुम को बहुत अफसोस होगा अगर तुम मुजरिमों को देखोगे कि वह (हिसाब के वक़्त) अपने परवरदिगार की बारगाह में अपने सर झुकाए खड़े हैं और(अज्र कर रहे हैं) परवरदिगार हमने (अच्छी तरह देखा और सुन लिया तू हमें दुनिया में एक दफा फिर लौटा दे कि हम नेक काम करें (12)
और अब तो हमको (क़यामत का)पे पूरा पूरा यक़ीन है और (ख़ुदा फरमाएगा कि) अगर हम चाहते तो दुनिया ही में हर शख़्स को (मजबूर करके) राहे रास्त पर ले आते मगर मेरी तरफ से (रोजे़ अज़ा) ये बात क़रार पा चुकी है कि मै जहन्नुम को जिन्नात और आदमियों से भर दूँगा (13)
तो चूँकि तुम आज के दिन हुज़ूरी को भूले बैठे थे तो अब उसका मज़ा चखो हमने तुमको क़सदन भुला दिया और जैसी जैसी तुम्हारी करतूतें थीं (उनके बदले) अब हमेशा के अज़ाब के मज़े चखो (14)
हमारी आयतों पर इमान बस वही लोग लाते हैं कि जिस वक़्त उन्हें वह (आयते) याद दिलायी गयीं तो फौरन सजदे में गिर पड़ने और अपने परवरदिगार की हम्दो सना की तस्बीह पढ़ने लगे और ये लोग तकब्बुर नही करते (15) (सजदा)
(रात) के वक़्त उनके पहलू बिस्तरों से आशना नहीं होते और (अज़ाब के) ख़ौफ और (रहमत की) उम्मीद पर अपने परवरदिगार की इबादत करते हैं और हमने जो कुछ उन्हें अता किया है उसमें से (ख़ु़दा की) राह में ख़र्च करते हैं (16)
उन लोगों की कारगुज़ारियों के बदले में कैसी कैसी आँखों की ठन्डक उनके लिए ढकी छिपी रखी है उसको कोई शख़्स जानता ही नहीं (17)
तो क्या जो शख़्स ईमानदार है उस शख़्स के बराबर हो जाएगा जो बदकार है (हरगिज़ नहीं) ये दोनों बराबर नही हो सकते (18)
लेकिन जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए तो रहने सहने के लिए (बेहष्त के) बाग़ात हैं ये सामाने जि़याफ़त उन कारगुज़ारियों का बदला है जो वह (दुनिया में) कर चुके थे (19)
और जिन लोगों ने बदकारी की उनका ठिकाना तो (बस) जहन्नुम है वह जब उसमें से निकल जाने का इरादा करेंगे तो उसी में फिर ढकेल दिए जाएँगे और उन से कहा जाएगा कि दोज़ख़ के जिस अज़ाब को तुम झुठलाते थे अब उसके मज़े चखो (20)

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