सरूए अस सजदह मक्का में नाजि़ल हुआ और उसकी तीस आयते हैं
(ख़ुदा के नाम से शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
अलिफ़ लाम मीम (1)
इसमे कुछ शक नहीं कि किताब क़ुरान का नाजि़ल करना सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से है (2)
क्या ये लोग (ये कहते हैं कि इसको इस शख़्स (रसूल) ने अपनी जी से गढ़
लिया है नहीं ये बिल्कुल तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ है ताकि तुम
उन लोगों को (ख़ुदा के अज़ाब से) डराओ जिनके पास तुमसे पहले कोई डराने वाला
आया ही नहीं ताकि ये लोग राह पर आएँ (3)
ख़़ुदा ही तो है जिसने सारे आसमान और ज़मीन और जितनी चीज़े इन दोनो के
दरम्यिान हैं छहः दिन में पैदा की फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ उसके
सिवा न कोई तुम्हारा सरपरस्त है न कोई सिफारिशी तो क्या तुम (इससे भी)
नसीहत व इबरत हासिल नहीं करते (4)
आसमान से ज़मीन तक के हर अम्र का वही मुद्ब्बिर (व मुन्तजि़म) है फिर ये
बन्दोबस्त उस दिन जिस की मिक़दार तुम्हारे षुमार से हज़ार बरस से होगी उसी
की बारगाह में पेश होगा (5)
वही (मुदब्बिर) पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है (6)
वह (क़ादिर) जिसने जो चीज़ बनाई (निख सुख से) ख़ूब (दुरुस्त) बनाई और इन्सान की इबतेदाई खि़लक़त मिट्टी से की (7)
उसकी नस्ल (इन्सानी जिस्म के) खुलासा यानी (नुत्फे के से) ज़लील पानी से बनाई (8)
फिर उस (के पुतले) को दुरुस्त किया और उसमें अपनी तरफ से रुह फूँकी और
तुम लोगों के (सुनने के) लिए कान और (देखने के लिए) आँखें और (समझने के
लिए) दिल बनाएँ (इस पर भी) तुम लोग बहुत कम शुक्र करते हो (9)
और ये लोग कहते हैं कि जब हम ज़मीन में नापैद हो जाएँगे तो क्या हम फिर
नया जन्म लेगे (क़यामत से नही) बल्कि ये लोग अपने परवरदिगार के (सामने
हुज़ूरी ही) से इन्कार रखते हैं (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 अप्रैल 2024
इसमे कुछ शक नहीं कि किताब क़ुरान का नाजि़ल करना सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से है
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