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03 अप्रैल 2024

जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है

 सूरए लुक़मान मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी चैतीस (34) आयते हैं
खु़दा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
अलिफ़ लाम मीम (1)
ये सूरा हिकमत से भरी हुयी किताबा की आयतें है (2)
जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है (3)
जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आखि़रत का भी यक़ीन रखते हैं (4)
यही लोग अपने परवरदिगार की हिदायत पर आमिल हैं और यही लोग (क़यामत में) अपनी दिली मुरादें पाएँगे (5)
और लोगों में बाज़ (नज़र बिन हारिस) ऐसा है जो बेहूदा कि़स्से (कहानियाँ) ख़रीदता है ताकि बग़ैर समझे बूझे (लोगों को) ख़़ुदा की (सीधी) राह से भड़का दे और आयातें ख़़ुदा से मसख़रापन करे ऐसे ही लोगों के लिए बड़ा रुसवा करने वाला अज़ाब है (6)
और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेखी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे (7)
बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे काम किए उनके लिए नेअमत के (हरे भरे बेहष्ती) बाग़ हैं कि यो उनमें हमेशा रहेंगे (8)
ये ख़ुदा का पक्का वायदा है और वह तो (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है (9)
तुम उन्हें देख रहे हो कि उसी ने बग़ैर सुतून के आसमानों को बना डाला और उसी ने ज़मीन पर (भारी भारी) पहाड़ों के लंगर डाल दिए कि (मुबादा) तुम्हें लेकर किसी तरफ जुम्बिश करे और उसी ने हर तरह चल फिर करने वाले (जानवर) ज़मीन में फैलाए और हमने आसमान से पानी बरसाया और (उसके ज़रिए से) ज़मीन में हर रंग के नफ़ीस जोड़े पैदा किए (10)

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