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11 अप्रैल 2024

(मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते तो खु़द रसूल अल्लाह का (ख़न्दक़ में बैठना) एक अच्छा नमूना था (मगर हाँ यह) उस शख़्स के वास्ते है जो खु़दा और रोजे़ आखे़रत की उम्मीद रखता हो और खु़दा की याद बाकसरत करता हो

 (मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते तो खु़द रसूल अल्लाह का (ख़न्दक़ में बैठना) एक अच्छा नमूना था (मगर हाँ यह) उस शख़्स के वास्ते है जो खु़दा और रोजे़ आखे़रत की उम्मीद रखता हो और खु़दा की याद बाकसरत करता हो (21)
और जब सच्चे ईमानदारों ने (कुफ्फार के) जमघटों को देखा तो (बेतकल्लुफ़) कहने लगे कि ये वही चीज़ तो है जिसका हम से खु़दा ने और उसके रसूल ने वायदा किया था (इसकी परवाह क्या है) और खु़दा ने और उसके रसूल ने बिल्कुल ठीक कहा था और (इसके देखने से) उनका ईमानदार और उनकी इताअत और भी जि़न्दा हो गयी (22)
ईमानदारों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं कि खु़दा से उन्होंने (जानिसारी का) जो एहद किया था उसे पूरा कर दिखाया ग़रज़ उनमें से बाज़ वह हैं जो (मर कर) अपना वक़्त पूरा कर गए और उनमें से बाज़ (हुक्मे खु़दा के) मुन्तजि़र बैठे हैं और उन लोगों ने (अपनी बात) ज़रा भी नहीं बदली (23)
ये इम्तेहान इसलिए था ताकि खु़द सच्चे (इमानदारों) को उनकी सच्चाई की जज़ाए ख़ैर दे और अगर चाहे तो मुनाफेक़ीन की सज़ा करे या (अगर वह लागे तौबा करें तो) खु़दा उनकी तौबा कु़बूल फरमाए इसमें शक नहीं कि खु़दा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है (24)
और खु़दा ने (अपनी कु़दरत से) क़ाफिरों को मदीने से फेर दिया (और वह लोग) अपनी झुंझलाहट में (फिर गए) और इन्हें कुछ फायदे भी न हुआ और खु़दा ने (अपनी मेहरबानी से) मोमिनीन को लड़ने की नौबत न आने दी और खु़दा तो (बड़ा) ज़बरदस्त (और) ग़ालिब हैं (25)
और एहले किताब में से जिन लोगों (बनी कु़रैज़ा) ने उन (कुफ्फार) की मदद की थी खु़दा उनको उनके कि़लों से (बेदख़ल करके) नीचे उतार लाया और उनके दिलों में (तुम्हारा) ऐसा रोब बैठा दिया कि तुम उनके कुछ लोगों को क़त्ल करने लगे (26)
और कुछ को क़ैदी (और गु़लाम) बनाने और तुम ही लोगों को उनकी ज़मीन और उनके घर और उनके माल और उस ज़मीन (खै़बर) का खु़दा ने मालिक बना दिया जिसमें तुमने क़दम तक नहीं रखा था और खु़दा तो हर चीज़ पर क़ादिर वतवाना है (27)
ऐ रसूल अपनी बीवियों से कह दो कि अगर तुम (फक़त) दुनियावी जि़न्दगी और उसकी आराइश व ज़ीनत की ख्वाहाॅ हो तो उधर आओ मैं तुम लोगों को कुछ साज़ो सामान दे दूँ और उनवाने शाइस्ता से रूख़सत कर दूँ (28)
और अगर तुम लोग खु़दा और उसके रसूल और आखे़रत के घर की ख्वाहाॅ हो तो (अच्छी तरह ख्याल रखो कि) तुम लोगों में से नेकोकार औरतों के लिए खु़दा ने यक़ीनन् बड़ा (बड़ा) अज्र व (सवाब) मुहय्या कर रखा है (29)
ऐ पैग़म्बर की बीबियों तुममें से जो कोई किसी सरीही ना शाइस्ता हरकत की का मुरतिब हुयी तो (याद रहे कि) उसका अज़ाब भी दुगना बढ़ा दिया जाएगा और खु़दा के वास्ते (निहायत) आसान है (30)

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