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01 अप्रैल 2024

कोटा बूंदी लोकसभा हॉट सीट पर ऐतिहासिक चुनावी टक्कर ,, प्रह्लाद गुंजल ,, ओम बिरला का भविष्य तय करेगा ,, प्रह्लाद गुंजल समर्थकों ,, कांग्रेस में भारी उत्साह , ओम बिरला का कांग्रेस के भीतरघातियों के साथ शांत चुनावी प्रचार , नतीजे क्या रहते है वक़्त ही बताएगा ,,

 

कोटा बूंदी लोकसभा हॉट सीट पर ऐतिहासिक चुनावी टक्कर ,, प्रह्लाद गुंजल ,, ओम बिरला का भविष्य तय करेगा ,, प्रह्लाद गुंजल समर्थकों ,, कांग्रेस में भारी उत्साह , ओम बिरला का कांग्रेस के भीतरघातियों के साथ शांत चुनावी प्रचार , नतीजे क्या रहते है वक़्त ही बताएगा ,,,
कोटा 1 अप्रेल , कोटा बूंदी लोकसभा चुनाव इस बार ऐतिहासिक रहेगा ,, यहां देश की सबसे बढ़ी पंचायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और भाजपा के मुखर नेता कांग्रेस में शामिल होने वाले प्रह्लाद गुंजल के बीच रोचक मुक़ाबला होगा , हार जीत किसकी कितने वोटों से होगी , यह तो वक़्त बताएगा लेकिन प्रह्लाद गुंजल ने भाजपा से कांग्रेस में शामिल होकर प्रत्याक्षी बनने के बाद खुद को बाली बनाकर , ,ओम बिरला की आधी चुनावी ताक़त को हैक करने का सफलतम प्रयास किया है जबकि ओम बिरला के खेमे में एक अकेले पंकज मेहता के अलावा बाक़ी कांग्रेस के फुके हुए कारतूस जो वैसे भी उनके ही साथ रहते थे , उन्हें अधिकृत रूप से पार्टी में शामिल कर भाजपा की मज़बूती का संदेश देने का प्रयास किया है ,, ,जी हाँ दोस्तों कोटा बूंदी लोकसभा चुनाव का यह रोचक मुक़ाबला शुरू हो गया है , अभी तो मीडिया मैनेजमेंट पूरी तरह से , ओम बिरला के पक्ष में नज़र आ रहा है , ,खबर किस तरह से होगी , प्रकाशित किस तरह से की जाए ,, खबर का शीर्षक क्या होना चाहिए , इसका प्रचार , प्रसारण कैसे किया जाए , सोशल मीडिया पर धर्म आधारित पोस्ट केसे प्रकाशित हो, पूरी तरह से एक तरफा ही है, ,लेकिन फिर भी , चुनावी नियमों के खौफ से खबरों का प्रकाशन संतुलित सा दिखे ऐसा खुला प्रयास है , ,बात साफ़ है , कई पत्रकार कोटा के ही हैं , लोकल है , ओब्लाइज है , निर्विवाद खुशमिजाज़ ओम बिरला जी के व्यवहार , मिलनसारिता , वार्षिक, अर्द्ध वार्षिक, त्रैमासिक, गिफ्टों की नियमित संस्क्रति से खुश ओर नाखुश है , कई पत्रकार मुक़ाबला रोचक देखकर , ओम जी की कमज़ोर स्थिति देखकर आहत भी नज़र आते हैं ,, वोह खुद बा खुद निजी तोर पर , कैसे माहौल को ओम जी के पक्ष में करें इसके प्रयासों में भी लग जाते है , एक तरफ भाजपा संगठन के छोटे से संगठन के पदों के अलावा देश के सबसे बढे पदों पर रहे ,, अभी तक हर चुनाव में अजय साबित हुए ओम बिरला है , जिनके पास , कोटा की सभी संस्थाओं की चौधराहट है , कोटा रेडक्रॉस सोसायटी , राजस्थान रेडक्रॉस सोसायटी , हितकारी समिति , पेंशनर्स समाज संगठन , को ऑपरेटिव सोसायटी , नागरिक सहकारी बैंक , महिला सहकारी बैंक , सहकारी समिति , माहेश्वरी समाज ,, इसके संगठन , सहित सभी तरह की समितियां आज ओम जी बिरला ,, उनके परिवार के पास है , ,उनका इलेक्शन मैनेजमेंट लगातार वोटर के साथ सम्पर्क में रहकर चुनावी मोड,, उनके पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाता है , कोटा कोचिंग गुरु उनके साथ नज़र आते हैं , तो ज़ाहिर है कोचिंग के स्टूडेंट इशारा होने पर किधर जाएंगे , इलेक्शन प्रबंधन में वोटों को किस तरह से ,, किधर से लाकर , ख़ामोशी से वोटिंग करवाई जाए , इसका हुनर वोह बखूबी जानते है , देश की संसद हो , देश के सांसद हों , राष्ट्रपति , चुनाव , उप राष्ट्रपति चुनाव , सांसदों के प्रशिक्षण के लिए नरेंद्र जी मोदी ने उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ देकर , उनके टेलेंट का लोहा माना है , यह देश जानता है , लेकिन दूसरी तरफ , इस बार कांग्रेस के कमज़ोर प्रत्याक्षी जो चुनाव के पहले , दो तीन दिन पहले ही , चुनावी आवश्यक खर्च की खोतळी बंद करके , घर जाकर सो जाते हैं ,चुनाव के दिन ,, बूथों पर से गायब हो जाते हैं , गठबंधन के तहत वोटिंग होती है , ऐसा इस बार नहीं है , इस बार कांग्रेस पार्टी ने , हाईकमान ने ,., सभी सर्वेक्षण के बाद , कांग्रेस को , कोटा लोकसभा सीट से चुनाव जिताने के लिए बढ़ा, मास्टर स्ट्रोक कार्ड खेला है , गंभीर विरोधाभास के साथ , ,भाजपा के जंगजू सिपाही कहे जाने वाले ,, कार्यकर्ताओं के लाडले प्रह्लाद गुजंल को कांग्रेस से टिकिट दिया है , प्रह्लाद गुंजल उस गुर्जर समाज के चहेते नेता है ,, जो समाज कांग्रेस का कम वोटर है , इस बार प्रह्लाद गुजंल के प्रत्याक्षी बनाये जाने से , ,गुर्जर समाज में कांग्रेस के पक्ष में भारी उत्साह है , जबकि प्रह्लाद गुजंल ने ,, इस बार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक बस्तियों में से भी कुछ वोट लिए थे , अब वोह कांग्रेस के प्रत्याक्षी है , थोड़ी बहुत चिक चिक के बाद उन्हें अब , कांग्रेस का प्रत्याक्षी बनाये जाने के बाद , कोटा कांग्रेस के दिग्गज जो पूर्व सांसद भी रहे हैं , उनका समर्थन भी मिल गया है , ,कांग्रेस ने प्रह्लाद गुजंल की उम्मीदवारी को गंभीरता से दिखाने के लिए , पुरे दम ख़म के साथ उनका नामांकन भरवाया ,, खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा , प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा उनके साथ रैली में , आम सभा में , और नामांकन दाखिल करते वक़्त साथ में रहे , ,प्रह्लाद गुजंल की रैली की तय्यारियों ने भी रैली की कामयाबी का इतिहास रच दिया अब भाजपा प्रत्याक्षी ओम जी बिरला को इस रैली से बढ़ी लकीर खेंचने के प्रयास की सलाह दी जा रही है ,, ,प्रह्लाद गुजंल चूँकि कार्यर्कताओं में लोकप्रिय रहे , उनके लिए संघर्ष की उनकी निति रही इसी वजह से , भाजपा से कांग्रेस में शामिल होते ही , भाजपा प्रत्याक्षी ओम जी बिरला की आधी ताक़त जिसमे चाहे संघ समर्थक हो , चाहे विश्व हिन्दू परिषद समर्थक हों ,,, भाजपा समर्थक हों , अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद , अधिवक्ता परिषद समर्थक हों , कमोबेश बंटवारा हुआ है , ऐसे में ओम जी बिरला की कांग्रेस के भीतरघातियों से आंतरिक गठबंधन की सेंध के बावजूद भी ,, प्रह्लाद गुजंल अपनी लम्बी लाइन की बढ़त लिए हुए हैं , प्रह्लाद गुंजल के भाषणों में प्रचार में , ओम बिरला जी की निष्क्रियता ,, दस सालों में कोई भी विकास कार्य नहीं करवाने को लेकर सीधा हमला है , एयरपोर्ट की वायदा खिलाफी ,, भावावेश में जो उनका मिडिया के सामने कथन था , के अगर एयरपोर्ट चालु नहीं हुआ तो वोह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे , उनके भ्राता द्वारा ,,, मोदी सिटडाउन वाले वीडिओ का प्रचार है , भाषण में जोश है , भविष्य में कुछ करने के वायदे हैं , और कांग्रेस कार्यर्कताओं को एक जुट कर भविष्य में उनके साथ निभाने के वायदे शामिल है , इसमें कोई शक नहीं के , कांग्रेस के गिनती के जेबी लोगों के अलावा जो मूल कोंग्रेसी है , उनमे प्रहलाद गुंजल को लेकर भारी उत्साह देखने को मिल रहा है , प्रह्लाद गुंजल खुद और उनके रणनीतिकार खुद कार्यकर्ताओं के इस अंडर करंट को अपने समर्थन में कन्वर्ट करने के प्रयासों में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं , ,, प्रह्लाद गुंजल ने खुद , कोटा शहर और कोटा देहात अध्यक्ष के साथ मिलकर ,, या उनसे सूचि प्राप्त कर , कांग्रेस समर्थित पदाधिकारियों , ब्लॉक अध्यक्ष , पदाधिकारी ,, प्रकोष्ठ , विभाग , प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य ,पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्यों , सक्रिय वरिष्ठ कोंग्रेसियों से कोई बैठक भी नहीं ली है ,, ना ही उनसे मार्गदर्शन चाहा है , उनसे परिचय किया है , इसकी उन्हें ज़रूरत है , इधर प्रहलाद गुजंल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट और कुछ वरिष्ठ कोंग्रेसियों को भी प्रचार में बुलाने के प्रयासों में जुटे हैं , वर्तमान चुनाव में भी भाजपा की सोची समझी निति , निर्दलीय उम्मीदवारों को खड़ा करने का प्रयास तेज़ी पर है , फिर चाहे वोह गुर्जर समाज का हो , या फिर अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज का ही क्यों ना हो , खेर यह देखते है , एक ब्रेक के बाद , लेकिन कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र की बूंदी की दो विधानसभा जहाँ कांग्रेस के विधायक है , जिसमे तो केशोराय पाटन के विधायक तो पहले ही , अपने भाषणों में ओम बिरला जी के गुणगान के साथ उन्हें हराने वाला कोई नहीं ,, कहकर विवादों में आ गए हैं , कांग्रेस के पूर्व नेता राकेश बोयत भाजपा में शामिल हो गए हैं , ,अभी और भी कई लोगों को जाना बाक़ी है ,, बूंदी के हालात पता ही हैं , हरी मोहन जी , ममता जी , रामनारायण जी ,हैं ही सही अशोक चांदना पूर्व मंत्री की कोशिशें ईमानदाराना हैं , जबकि कोटा ज़िले की छह विधानसभा में खुद प्रह्लाद गुंजल जी का भी दब दबा रहा है , और कांग्रेस के चेतन पटेल , भरत सिंह ,, नईमुद्दीन गुड्डू , शान्ति धारीवाल , सहित कोटा शहर ,, कोटा देहात के अध्यक्ष उनके साथ हैं , भरत सिंह का मंच पर प्रह्लाद गुंजल से भावुक होकर मिलना, इस बात का सुबूत है के भरत सिंह पूरे दम खम के साथ गुंजल की जीत देखना चाहते है, जबकि शांति धारीवाल, पुत्र अमित धारीवाल, पौत्र गर्वित धारीवाल पूरी तरह सक्रिय हैं, प्रह्लाद गुंजल ने अभी तक अपना चुनाव संयोजक नियुक्त नहीं किया है , निर्दलीय उम्मीदवारों की वोटिंग कटिंग का शायद भाजपा को बहुत ज़्यादा लाभ नहीं मिल पायेगा ,, सभी जानते हैं , ओम बिरला के खिलाफ हर चुनाव में कभी संघ खिलाफ होता है , निर्दलीय उम्मीदवार उतारता है , कभी इनके निजी सहायक, ख़ास रिश्तेदार खिलाफ होते हैं , खूब कुप्रचार होता है , ,माहौल खिलाफ नज़र आता है ,, फिर भी , ओम जी बिरला की चुनावी रणनीति , चुनाव नतीजे आने पर इन सब पर भारी होती है , इस बार जो लोग कांग्रेस में रहकर ,,, आंतरिक रूप से ,, ओम जी के आंतरिक मददगार होते थे , अब उनमे से कुछ तो सीधे ही ओम जी के साथ शामिल हो गए हैं , कुछ फड़फड़ा रहे हैं , कुछ अंदर ही अंदर ओम जी की इस चुनाव में संभावित दाल पतली होते देख गुर्रा रहे हैं , वोह षड्यंत्रों के प्रयासों में जुटे हैं , अंतिम समय में अफवाहें फैलाने की जुगत में हैं , ,, खेर जो भी है , लोकसभा है चुनाव हैं , कोटा के चुनाव है , भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले कोटा जहां कोंग्रेस से शांति कुमार धारीवाल , रामनारायण मीणा , इज्यराज सिंह ,, सांसद रहे हैं ,बाक़ी हर बार भाजपा का क़ब्ज़ा रहा है इस बार ओरिजनल कोंग्रेसियों और ओरिजनल कोटा के विकास के समर्थकों की जुगल जोड़ी मिली है , ,चुनाव में गर्माहटः है , अभी और गर्माहट होगी , सर फुटव्वल ,, आरोप प्रत्यारोप , शिकायतें , आमने सामने की टककरें , चुनाव अचार संहिता की शिकायतें संभावित है , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की चुनावी यात्रा संभावित है , बहुत कुछ बाक़ी है , देखते हैं एक ब्रेक के बाद ,कि बीस वर्षों का देश का इतिहास जिसमे लोकसभा अध्यक्ष जो भी रहा वोह दुबारा सांसद का चुनाव नहीं जीता वोह मिथक क़ायम रहता है , या फिर मिथक टूटता है , क्योंकि इस चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की भी भागीदारी मानी जा रही है , तो भविष्य में भाजपा सरकार को बदलने की भी तय्यारी राजनितिक चिंतक मानते हैं ,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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