वह उससे पाक व पाकीज़ा और बरतर है ख़़ुद लोगों ही के अपने हाथों की
कारस्तानियों की बदौलत ख़ुश्क व तर में फ़साद फैल गया ताकि जो कुछ ये लोग कर
चुके हैं ख़़ुदा उन को उनमें से बाज़ करतूतों का मज़ा चखा दे ताकि ये लोग
अब भी बाज़ आएँ (41)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चल फिरकर देखो तो कि जो लोग
उसके क़ब्ल गुज़र गए उनके (अफ़आल) का अंजाम क्या हुआ उनमें से बहुतेरे तो
मुशरिक ही हैं (42)
तो (ऐ रसूल) तुम उस दिन के आने से पहले जो ख़ुदा की तरफ़ से आकर रहेगा (और)
कोई उसे रोक नहीं सकता अपना रुख़ मज़बूत (और सीधे दीन की तरफ़ किए रहो उस
दिन लोग (परेशान होकर) अलग अलग हो जाएँगें (43)
जो काफि़र बन बैठा उस पर उस के कुफ़्र का वबाल है और जिन्होने अच्छे काम किए वह अपने ही आसाइश का सामान कर रहें है (44)
ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए उनको ख़़ुदा अपने फज़ल व
(करम) से अच्छी जज़ा अता करेगा वह यक़ीनन कुफ़्फ़ार से उलफ़त नहीं रखता
(45)
उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से एक ये भी है कि वह हवाओं को (बारिश)
की ख़ुशख़बरी के वास्ते (क़ब्ल से) भेज दिया करता है और ताकि तुम्हें अपनी
रहमत की लज़्ज़त चखाए और इसलिए भी कि (इसकी बदौलत) कष्तियाँ उसके हुक्म से
चल खड़ी हो और ताकि तुम उसके फज़ल व करम से (अपनी रोज़ी) की तलाश करो और
इसलिए भी ताकि तुम शुक्र करो (46)
औ (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले और भी बहुत से पैग़म्बर उनकी क़ौमों के पास
भेजे तो वह पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मोजिज़े लेकर आए (मगर उन लोगों ने न
माना) तो उन मुजरिमों से हमने (खू़ब) बदला लिया और हम पर तो मोमिनीन की मदद
करना लाजि़म था ही (47)
ख़ुदा ही (क़ादिर तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो वह बादलों को उड़ाए
उड़ाए फिरती हैं फिर वही ख़ुदा बादल को जिस तरह चाहता है आसमान में फैला
देता है और (कभी) उसको टुकड़े (टुकड़े) कर देता है फिर तुम देखते हो कि
बूँदियां उसके दरमियान से निकल पड़ती हैं फिर जब ख़़ुदा उन्हें अपने बन्दों
में से जिस पर चहता है बरसा देता है तो वह लोग ख़ुशियाँ मनाने लगते हैं
(48)
अगरचे ये लोग उन पर (बाराने रहमत) नाजि़ल होने से पहले (बारिश से) शुरु ही से बिल्कुल मायूस (और मज़बूर) थे (49)
ग़रज़ ख़ुदा की रहमत के आसार की तरफ़ देखो तो कि वह क्योकर ज़मीन को उसकी
परती होने के बाद आबाद करता है बेशक यक़ीनी वही मुर्दो केा जि़न्दा करने
वाला और वही हर चीज़ पर क़ादिर है (50)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 अप्रैल 2024
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चल फिरकर देखो तो कि जो लोग उसके क़ब्ल गुज़र गए उनके (अफ़आल) का अंजाम क्या हुआ उनमें से बहुतेरे तो मुशरिक ही हैं
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