(और मज़मून) यह है कि मुझ से सरकशी न करो और मेरे सामने फरमाबरदार बन कर हाजि़र हो (31)
तब मलका (बिलक़ीस) बोली ऐ मेरे दरबार के सरदारों तुम मेरे इस मामले में
मुझे राय दो (क्योंकि मेरा तो ये क़ायदा है कि) जब तक तुम लोग मेरे सामने
मौजूद न हो (मशवरा न दे दो) मैं किसी अम्र में क़तई फैसला न किया करती (32)
उन लोगों ने अर्ज़ की हम बड़े ज़ोरावर बडे़ लड़ने वाले हैं और (आइन्दा) हर
अम्र का आप को एख़्तियार है तो जो हुक्म दे आप (खुद अच्छी) तरह इसके
अन्जाम पर ग़ौर कर ले (33)
मलका ने कहा बादशाहों का क़ायदा है कि जब किसी बस्ती में (बज़ोरे फ़तेह)
दाखि़ल हो जाते हैं तो उसको उजाड़ देते हैं और वहाँ के मुअजि़ज़ लोगों को
ज़लील व रुसवा कर देते हैं और ये लोग भी ऐसा ही करेंगे (34)
और मैं उनके पास (एलचियों की माअरफ़त कुछ तोहफा भेजकर देखती हूँ कि एलची
लोग क्या जवाब लाते हैं) ग़रज़ जब बिलक़ीस का एलची (तोहफा लेकर) सुलेमान के
पास आया (35)
तो सुलेमान ने कहा क्या तुम लोग मुझे माल की मदद देते हो तो ख़ुदा ने जो
(माल दुनिया) मुझे अता किया है वह (माल) उससे जो तुम्हें बख्शा है कहीं
बेहतर है (मैं तो नही) बल्कि तुम्ही लोग अपने तोहफे़ तहायफ़ से ख़ुश हुआ
करो (36)
(फिर तोहफ़ा लाने वाले ने कहा) तो उन्हीं लोगों के पास जा हम यक़ीनन ऐसे
लशकर से उन पर चढ़ाई करेंगे जिसका उससे मुक़ाबला न हो सकेगा और हम ज़रुर
उन्हें वहाँ से ज़लील व रुसवा करके निकाल बाहर करेंगे (37)
(जब वह जा चुका) तो सुलेमान ने अपने एहले दरबार से कहा ऐ मेरे दरबार के
सरदारो तुममें से कौन ऐसा है कि क़ब्ल इसके वह लोग मेरे सामने फरमाबरदार
बनकर आयें (38)
मलिका का तख़्त मेरे पास ले आए (इस पर) जिनों में से एक दियो बोल उठा कि
क़ब्ल इसके कि हुज़ूर (दरबार बरख़ास्त करके) अपनी जगह से उठे मै तख़्त आपके
पास ले आऊँगा और यक़ीनन उस पर क़ाबू रखता हूँ (और) जि़म्मेदार हूँ (39)
इस पर अभी सुलेमान कुछ कहने न पाए थे कि वह शख़्स (आसिफ़ बिन बरखि़या)
जिसके पास किताबे (ख़ुदा) का किस कदर इल्म था बोला कि मै आप की पलक झपकने
से पहले तख़्त को आप के पास हाजि़र किए देता हूँ (बस इतने ही में आ गया) तो
जब सुलेमान ने उसे अपने पास मौजूद पाया तो कहने लगे ये महज़ मेरे
परवरदिगार का फज़ल व करम है ताकि वह मेरा इम्तेहान ले कि मै उसका शुक्र
करता हूँ या नाशुक्री करता हूँ और जो कोई शुक्र करता है वह अपनी ही भलाई के
लिए शुक्र करता है और जो शख़्स नाशुक्री करता है तो (याद रखिए) मेरा
परवरदिगार यक़ीनन बेपरवा और सख़ी है (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मार्च 2024
और मज़मून) यह है कि मुझ से सरकशी न करो और मेरे सामने फरमाबरदार बन कर हाजि़र हो
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