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04 मार्च 2024

(ये) उन इमानदारों के लिए (अज़सरतापा) हिदायत और (जन्नत की) ख़ुशखबरी है

 सूरए अन नम्ल मक्का में नाजि़ल हुआ और उसकी तिराननबे आयतें हैं
खु़दा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन ये क़ुरआन वाजे़ए व रौशन किताब की आयतें है (1)
(ये) उन इमानदारों के लिए (अज़सरतापा) हिदायत और (जन्नत की) ख़ुशखबरी है (2)
जो नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और ज़कात दिया करते हैं और यही लोग आखि़रत (क़यामत) का भी यक़ीन रखते हैं (3)
इसमें शक नहीं कि जो लोग आखिरत पर इमान नहीं रखते (गोया) हमने ख़ुद (उनकी कारस्तानियों को उनकी नज़र में) अच्छा कर दिखाया है (4)
तो ये लोग भटकते फिरते हैं- यही वह लोग हैं जिनके लिए (क़यामत में) बड़ा अज़ाब है और यही लोग आखि़रत में सबसे ज़्यादा घाटा उठाने वाले हैं (5)
और (ऐ रसूल) तुमको तो क़ुरआन एक बडे़ वाकि़फकार हकीम की बारगाह से अता किया जाता है (6)
(वह वाकि़या याद दिलाओ) जब मूसा ने अपने लड़के बालों से कहा कि मैने (अपनी बायीं तरफ) आग देखी है (एक ज़रा ठहरो तो) मै वहाँ से कुछ (राह की) ख़बर लाँऊ या तुम्हें एक सुलगता हुआ आग का अँगारा ला दूँ ताकि तुम तापो (7)
ग़रज़ जब मूसा इस आग के पास आए तो उनको आवाज़ आयी कि मुबारक है वह जो आग में (तजल्ली दिखाना) है और जो उसके गिर्द है और वह ख़ुदा सारे जहाँ का पालने वाला है (8)
(हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है- ऐ मूसा इसमें शक नहीं कि मै ज़बरदस्त हिकमत वाला हूँ (9)
और (हाँ) अपनी छड़ी तो (ज़मीन पर) डाल दो तो जब मूसा ने उसको देखा कि वह इस तरह लहरा रही है गोया वह जिन्द़ा अज़दहा है तो पिछले पावँ भाग चले और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने कहा) ऐ मूसा डरो नहीं हमारे पास पैग़म्बर लोग डरा नहीं करते हैं (10)

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