शहर में दो महिलाओं के नेत्रदान से 4 को मिलेगी रौशन
2. परिवार में शोक कम करने का कारण बन रहा है नेत्रदान
मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, जो एक न एक दिन,किसी न किसी उम्र में सभी को आना निश्चित है ,परंतु ऐसे दुख के पल में भी यदि नेत्रदान जैसा पुण्य कार्य होता है, तो कहीं ना कहीं वह शोकाकुल परिवार के सभी सदस्यों के मन को शांति प्रदान करता है । यही कारण है कि,अब किसी भी परिवार में मृत्यु की सूचना घटते ही परिजन, तुरंत ही शोक को कम करने के लिए नेत्रदान के लिए शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क करते हैं ।
बीते दो दिनों में भी शहर में दो पुण्य-आत्माओं के नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ । वल्लभनगर निवासी रमेश चंद्र अग्रवाल की धर्मपत्नी ललिता देवी अग्रवाल के निधन के उपरांत बेटे अनिल,सुनील,सुभाष और बेटी स्नेहा की सहमति के उपरांत देर रात शनिवार को 11:00 बजे निवास स्थान पर नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई । ज्ञात हो की, 13 वर्ष पहले भी संस्था के सहयोग से रमेश जी की माता जी श्रीमती रतन देवी अग्रवाल का नेत्रदान संपन्न हुआ था ।
इसी क्रम में आज लंबी गली,रामपुरा निवासी,संस्था के ज्योति मित्र अरुण भार्गव जी की पत्नी अमिता भार्गव (सेवानिवृत्त अध्यापिका) का भी आकस्मिक निधन हुआ, उनके बेटे आकाश भार्गव की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ,नेत्रदान के उपरांत इनका पार्थिव शव मेडिकल कॉलेज के भावी चिकित्सकों के अध्ययन के लिए मेडिकल कॉलेज कोटा को दान किया गया ।
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