(ये सब कुछ नहीं) बल्कि (सच यूँ है कि) उन लोगों ने क़यामत ही को झूठ समझा
है और जिस शख़्स ने क़यामत को झूठ समझा उसके लिए हमने जहन्नुम को (दहका के)
तैयार कर रखा है (11)
जब जहन्नुम इन लोगों को दूर से दखेगी तो (जोश खाएगी और) ये लोग उसके जोश व ख़रोश की आवाज़ सुनेंगें (12)
और जब ये लोग जंजीरों से जकड़कर उसकी किसी तंग जगह मे झोंक दिए जाएँगे तो उस वक़्त मौत को पुकारेंगे (13)
(उस वक़्त उनसे कहा जाएगा कि) आज एक मौत को न पुकारो बल्कि बहुतेरी मौतों को पुकारो (मगर इससे भी कुछ होने वाला नहीं) (14)
(ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि जहन्नुम बेहतर है या हमेशा रहने का बाग़
(बेहष्त) जिसका परहेज़गारों से वायदा किया गया है कि वह उन (के आमाल) का
सिला होगा और आखि़री ठिकाना (15)
जिस चीज़ की ख़्वाहिश करेंगें उनके लिए वहाँ मौजूद होगी (और) वह हमेशा
(उसी हाल में) रहेंगें ये तुम्हारे परवरदिगार पर एक लाजि़मी और माँगा हुआ
वायदा है (16)
और जिस दिन ख़ुदा उन लोगों को और जिनकी ये लोग ख़ुदा को छोड़कर परसतिश
किया करते हैं (उनको) जमा करेगा और पूछेगा क्या तुम ही ने हमारे उन बन्दों
को गुमराह कर दिया था या ये लोग खुद राहे रास्त से भटक गए थे (17)
(उनके माबूद) अर्ज़ करेंगें- सुबहान अल्लाह (हम तो ख़ुद तेरे बन्दे थे)
हमें ये किसी तरह ज़ेबा न था कि हम तुझे छोड़कर दूसरे को अपना सरपरस्त
बनाते (फिर अपने को क्यों कर माबूद बनाते) मगर बात तो ये है कि तू ही ने
इनको बाप दादाओं को चैन दिया-यहाँ तक कि इन लोगों ने (तेरी) याद भुला दी और
ये ख़ुद हलाक होने वाले लोग थे (18)
तब (काफि़रों से कहा जाएगा कि) तुम जो कुछ कह रहे हो उसमें तो तुम्हारे
माबूदों ने तुम्हें झूठला दिया तो अब तुम न (हमारे अज़ाब के) टाल देने की
सकत रखते हो न किसी से मदद ले सकते हो और (याद रखो) तुममें से जो ज़ुल्म
करेगा हम उसको बड़े (सख़्त) अज़ाब का (मज़ा) चखाएगें (19)
और (ऐ रसूल) हमने तुम से पहले जितने पैग़म्बर भेजे वह सब के सब यक़ीनन
बिला शक खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते फिरते थे और हमने तुम में से एक
को एक का (ज़रिया) आज़माइश बना दिया (मुसलमानों) क्या तुम अब भी सब्र करते
हो (या नहीं) और तुम्हारा परवरदिगार (सब की) देख भाल कर रहा है (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 फ़रवरी 2024
(ये सब कुछ नहीं) बल्कि (सच यूँ है कि) उन लोगों ने क़यामत ही को झूठ समझा है और जिस शख़्स ने क़यामत को झूठ समझा उसके लिए हमने जहन्नुम को (दहका के) तैयार कर रखा है
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