मेरा लहज़ा ही कुछ तेज़ तर्रार रहा ,
इसी वजह हर शख्स मुझसे बेजार रहा ।
मैं क्या सफाई दूं तुझे अपने किरदार की
मेरी शख्शियत भले ही मजबूत रही ,
मेरा दिल हमेशा ज़ार ज़ार रहा ।
तेरा कुछ वक्त जो मुझ पर उधार रहा ।
मुझसे तो उसको भी शिकवे गिले है यारा
जिसके लिए मेरा सब कुछ निसार रहा ।।
बहुत खूब समझे मुझे सब ,
बस नासमझ तो मेरा किरदार रहा ।
थोड़ी सी जी हुजूरी कर लेते और ,
थोड़ा सा नाज़ुक मिजाज़ गर हो जाते ।
काबिल तो बहुत थे मगर साथ हमारा
सबको ही नागवार ही रहा ।
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