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18 दिसंबर 2023

राजस्थान सरकार की प्रसाद पर्यन्त नियुक्तियों के निरस्त्रीकरण के बाद , ,मंत्री दर्जा लेवल के पदों सहित स्नेवैधानिक पदों

 राजस्थान सरकार की प्रसाद पर्यन्त नियुक्तियों के निरस्त्रीकरण के बाद , ,मंत्री दर्जा लेवल के पदों सहित स्नेवैधानिक पदों , निर्वाचित पदों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में कहीं उत्साह , तो कहीं निराशा का माहौल है , आम तोर पर जो ,पद संवैधानिक होते है , या निर्धारित समयावधि के लिए होते हैं , उन पदों पर , हायकोर्ट का स्थगन आने से कई बार पिछली सरकारों को मुंह की खाना पढ़ी है , वर्तमान में , अल्पसंख्यक आयोग , महिला आयोग , वक़्फ़ विकास परिषद , वक़्फ़ बोर्ड सहित कई ऐसे  महत्वपूर्ण पद है , जहां इस्तीफा नहीं लिया जा सकता , इसके पूर्व ही , माहिर आज़ाद ,, खुद अश्क अली टाक , अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन पद पर स्थगन आदेश लेकर रहे हैं , जबकि , शौकत अंसारी भाजपा के वक़्त हाईकोर्ट के आदेश से वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड  में चार मनोनीत सदस्य है , जिन्हे भी महामहिम राज्यपाल की अनुमति से ही मनोनीत किया जाता है ,वर्त्तमान में राजस्थन वक़्फ़ बोर्ड में ,, पांच निर्वाचित सदस्य हैं , जबकि चार मनोनीत सदस्य है , इन चार मनोनीत सदस्यों में से ही , एक सदस्य खानु खान बुधवाली साहब को , चेयरमेन निर्वाचित किया हुआ है , ऐसे में निर्वाचित व्यक्ति को , संवैधानिक रूप से हटाने पर पूर्व हायकोर्ट सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की पाबंदी है , जबकि रफ़ीक़ खान , अल्पसंख्यक आयोग , हाकम अली वक़्फ़ विकास परिषद के चेयरमेन है , रेहाना रियाज़ महिला आयोग की चेयरमेन रही हैं , ऐसे में नैतिकता की दोहरी बात है , एक तो वोह के सियासत कुछ भी हो , नैतिकता विधिक , संवैधानिक होती है , ऐसे में जिन पदों पर कार्यकाल पूरा होना है , उन्हें हटाया नहीं जा सकता जबकि ,  ,महाधिवक्ता सहित कुछ पदों पर तत्काल नियुक्ति होना है , तो एक तरफ तो जो लोग हटाए जाएंगे , उन्हें अफ़सोस हो सकता है , तो दूसरी तरफ , मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी पद पर , लोकसभा अध्यक्ष के वफादार टीम साथियों में से एक की नियुक्ति होने के बाद , मुख्यमंत्री भवन से ,, और हाईकमान के ज़रिये होने वाली नियुक्तियों में कमोबेश लोकसभा अध्यक्ष ओम जी बिरला का पूरा दखल रहेगा , ,इसके पूर्व भी , जब सत्यनारायण गुप्ता मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया के जन आभाव अभियोग के चेयरमेन थे , निकटतम थे , खुद ओम बिरला राजस्थान सरकार में विधायक होने के साथ संसदीय सचिव थे , तब इन्होने महत्वूर्ण पदों पर चाहने वालों की दिल खोलकर नियुक्तियां करवाई थी , शायद अब फिर से वोह दौर शुरू होगा और कोटा के ओम बिरला जी के वफादारों को , पुरस्कृत किया जाएगा , कयास है के ओम बिरला से जुड़कर पंकज मेहता ने भाजपा में शामिल होकर , कोटा दक्षिण सहित , कोटा उत्तर  , ,लाडपुरा , सांगोद , रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्रों में  हार जीत को प्रतिष्ठा बनाकर , काम किया है , जिसके परिणाम भी सामने आये है , तो पहली ही खेप में , पंकज मेहता को , किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति दिलवाकर , ,लोकसभा में कांग्रेस छोडो , ,भाजपा से खुद को जोड़ो , के अभियान को बढ़ावा देने के लिए ,. मुहीम चलाने की रणनीति बनाई जा सकती है ,,,, , देखते हैं एक ब्रेक के बाद , ,संवैधानिक पदों पर से हटाने , लगाने के मामले में , हाईकोर्ट का दरवाज़ा जो खुला हुआ है , उसे खटखटा कर , सरकार के आदेश की किरकिरी की रणनीति कांग्रेस के लोग मनाते है , या फिर , पूर्व मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत जो गजेंद्र सिंह जी शेखावत से उन्हें भ्रष्ट बताकर ,. झगड़ा करते रहे , आरोपित करते रहे , उनकी तरह , एक दूसरे को चाय पर बुलाकर , चर्चा करते हैं , , एक ब्रेक के बाद , वैसे लोकसभा के पूर्व , एक फहरिस्त है , भाजपा में जाने वालों की , लेकिन भाजपा के नेता उन्हें क़तार में खड़े किये हुए है , वोह कहते है , जब मौक़ा आएगा , राजनितिक रूप से चोक , छक्के लगाने का वक़्त होगा , तब ही , आयाराम  गया राम का खेल शुरू होगा ,,  अख्तर खान

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