सिटी पार्क एंट्री अभद्रता , ट्रेफिक अव्यवस्था , प्यासे के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मुफ्त पानी की व्यवस्था नहीं ,, वगेरा वगेरा कई अव्यवस्थाएं हैं , जिन्हे उजागर कर , कोटा की इज़्ज़त , साख बचाने के लिए , हमारे आपके करोड़ो करोड़ के टेक्स से बने इस सिटी पार्क प्रबंधन व्यवस्था में बदलाव करवाना ज़रूरी हो गया है , ,
कोटा ,, सिटी पार्क में पर्यटक महमानों को , ,अगर वाटर कूलर के बगैर प्यासा भटकना पढ़े , तो लानत है , ऐसे सो रुपये के टिकिट पर, ,, सुप्रीमकोर्ट , के वोह आदेश जिसमे किसी भी सिनेमा हॉल , गार्डन वगेरा में , हर हाल में , वाटर कूलर , पीने के पानी की व्यवस्था आवश्यक है , उसका भी उलंग्घन है , और भारतीय संस्कृति , जिसमे , प्याऊ लगाकर , प्यासे को पानी पिलाते हैं , सबीलें लगाई जाती हैं , सड़कों पर , चौराहों पर , पानी के केम्पर रखे जाते है , उस संस्कृति में , पीने के पानी के लिए तरसाना या फिर बोतल खरीद कर पीने की मजबूरी , सुप्रीमकोर्ट के क़ानून के खिलाफ तो अपराध है ही सही , साथ ही , भारतीय संस्कृति का अपमान भी है , जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ , गठबंधन ठेके प्रणाली पर चल रहे कोटा सिटी पार्क रख रखाव , टिकिट प्रणाली , और व्यवस्थाओं की , जहाँ , इतनी ,महनत से इतना खूबूसरत ,, आकर्षक सिटी पार्क बनाया गया है , हमारे ,, आपके , जनता के टेक्स की गाड़ी कमाई का करोड़ो करोड़ रुपया लगाया गया है ,, लेकिन , इसे देखने के मामले में , ठेका प्रणाली को लेकर , यज़ीदियों ,, जी हाँ यज़ीदियों जो पीने का पानी भी छीन लेते हैं , उनके हवाले कर दिया गया है , ,टेंडर की शर्तें क्या रहीं , सार्वजनिक तो हैं ही नहीं , ठेका देने के लिए क्या अनुभव था , क्या सिस्टम रहा , पता नहीं , क्योंकि अख़बार में विज्ञापन तो हमे देखने को मिला ही नहीं , खेर व्यवस्था है , , एक , मल्टी बनाने वालों को , सिटी पार्क रख रखाव सहित , टिकिट का ठेका मिला , जिसमे , सो रूपये का टिकिट निर्धारित हुआ , कोटा दक्षिण की कांग्रेस प्रत्याक्षी रहीं , जो वर्तमान में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं , उन्होंने , सिटी पार्क को , कोटा के निवासियों के लिए कुछ दिन मुफ्त या कम टिकिट में देखने की छूट देने की मांग की लेकिन सिर्फ मांग ही की , वोह तो उनसे व्यक्तिगत कहकर ही , करवा सकते हैं , , वैसे , नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता परिवार , कांग्रेस भाजपा के गंठबंधन मित्र , कांग्रेस प्रत्याक्षी हों , भाजपा लीडर्स ,हों महापौर वगेरा जो भी हों , सब के , अज़ीज़ मित्र , ठेकेदार ,, सिटी पार्क ,, के इंचार्ज बन गए है , सो रूपये का एक व्यक्ति का टिकिट , पचास रूपये कार पार्किंग यह तो है ही , सही , अंदर अगर इलेक्ट्रिक गाडी में घूमे तो सो रूपये , मोटर बोट में जाएँ तो , डेढ़ सो रूपये , इसमें किसी को कोई ऐतराज़ भी नहीं , लेकिन सो रूपये टिकिट के बाद , भी , सिक्युरिटी के नाम पर, जो स्टाफ है , वोह एन्ट्री के वक़्त , महिलाओं और आम पुरुषों की तलाशी के नाम पर जो अभद्रता , बदतमीज़ी करते देखे जाते हैं , उससे लगता है , वोह ट्रेंड नहीं हैं , उन कर्मचारियों की लिस्ट , उनके मोबाइल नंबर , ठेकेदार या प्रबंधक का नाम ,, उनके मोबाइल नंबर , एमरजेंसी नंबर,, ,शिकायत पुस्तिका वहां है ही ,नहीं ,जो कर्मचारी सिक्युरिटी का काम कर रहे ,हैं या तलाशी अभियान में जुटे हैं , अंदर गार्डन में , चौकीदार , या फिर फ़ूड कोर्ट में लगे हैं ,, उनका पुलिस वेरिफिकेशन भी , हैं या नहीं , यह भी किसी को पता नहीं आपराधिक प्रवृत्ति के , हैं या , अपराध मामले विचाराधीन हैं , या ,, सामान्य लोग है , यह तो पुलिस वेरिफिकेशन से ही अंदाज़ा हो सकता है , खेर इसमें भी कोई दिक़्क़त नहीं , फिर ,, एक व्यक्ति , जो सो रूपये का टिकिट लेकर , अंदर प्रवेश कर रहा है , फिर निकलते वक़्त , उस टिकिट को , सिक्युरिटी के नाम पर , लेकर रखने के पीछे क्या रहस्य है , इसका उनके पास कोई जवाब नहीं , पूरे भारत में , किसी भी टाकीज़ , गार्डन या कहीं भी एन्ट्री के वक़्त टिकिट देखने का प्रावधान है , लेकिन निकलते वक़्त टिकिट लेकर रखने के पीछे क्या उद्देश्य है , जिसके पास एन्ट्री टिकिट है , वोह आपको , अपना टिकिट लौटते वक़्त , जमा क्यों कराएगा , प्रशासन इस मामले में , इन ठेकेदार जी से कोई सवाल करने की स्थिति में नहीं हैं , , धार्मिक स्थल हों , या कोई और जगह , वहां तो , , ट्रेफिक प्रॉब्लम के नाम ,पर कई अड़ंगे लगाए जाते हैं , लेकिन , सिटी पार्क के मुख्य द्वार को , बाहर निकाल कर ,बना देने से , ,एक तरफ तो वहां बाहर , गुमटियां , दुकाने, चाट पकोड़ी वाले लगा दिए गये हैं , दूसरे , सिटी पार्क के पार्किंग से जुड़े लोग, खड़े रहते हैं , ,, इस पर, फ्लाई ओवर के नीचे का यू टर्न की जगह , झालावाड़ से कोटा आने वाला राष्ट्रिय राजमार्ग का सब वे , फिर , कॅरियर पॉइंट की तरफ से स्टूडेंट , आम लोगों का व्यस्तम ट्रेफिक , इस जगह को , खतरनाक बना रहा है , यहां जाम की स्थिति तो हैं ही , सही , लेकिन कभी भी कोई भी बढ़ी दुर्घटना भी संभावित है , ऐसे में ,., सिटी पार्क , की एन्ट्री और निकासी को , पार्क के अंदर की तरफ , कम से कम पचास फुट ले जाना भी , ट्रेफिक व्यवस्था , ,, आम जनता के हित में रहेगा , जो ज़रूरी है , यह तो हुई व्यवस्थाओं की बात , इन बातों पर चुप रहने के लिए , विपक्ष , प्रतिपक्ष , सभी का गठबंधन है , पत्रकरों की इस मामले में कोई अलग सी रिपोर्टिंग बीट बनाई ही नहीं गई , इसलिए पत्रकारिता की नज़र से , कोई रिपोर्टिंग करेगा , नहीं जनहित याचिका लगाने वाले समाजसेवक , अभी इस अव्यवस्था को सुधारने के लिए गंभीर नहीं है ,,, सिटी पार्क की खूबसूरती , देखने लायक है , लेकिन वहां एन्ट्री पर प्यासे के हाथ से बोतल छीन कर कोने में फेंक देना , फिर , कोसो दूर , पानी की व्यवस्था , वाटर कूलर नहीं होना , ,देश के क़ानून , सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तो खिलाफ तो हैं ही सही , लेकिन , ज़रा सोचो , अगर भारत देश में , इसी पर्यटक को , ज़रूरत पढ़ने पर , वाटर कूलर का , सरकारी व्यस्था से पीने का पानी भी नहीं मिलेगा और , वोह पर्यटक , अपने दूसरे देश में ,जाकर या अपने दूसरे राज्य के शहर में जाकर इस गैर क़ानूनी ज़ुल्म के बारे में बताएगा , तो कोटा की कितनी बदनामी होगी , आम तोर पर, सभी जगह पीने के पानी की मुफ्त व्यवस्था विधिक रूप से आवश्यक होती है , फिर वोह लग बात है , के पर्यटक , खुद , पानी की बोतल खरीद कर पानी पिये , या फिर सरकारी वाटर कूलर , से मुफ्त का पानी पिये , वहां दो फ़ूड पार्क है , एक चौपाटी , जो नॉर्मल है , जहाँ पानी की बोतल बीस रूपये की है , तो एक फूडकोर्ट लक्ज़री है , जहाँ पानी की बोतल साठ रूपये की है , ऐसे में ,, एन्ट्री के वक़्त , ,, एक डिजिटल नक़्शा , जिसमे , खास ख़ास जगह किस तरफ किस दिशा में है , फ़ूड कोर्ट , किधर है , लक्ज़री महंगे दामों वाला फ़ूड कोर्ट किधर है , तो चौपाटी केफेटेरिया किधर है , इस बारे में एक गाइड मेप भी होना ज़रूरी है , स्टाफ को , एन्ट्री तलाशी के वक़्त , एहतियात बरतने की हिदायत के साथ , स्टाफ के सभी लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन , नाम ,, बेच , लगवाना ज़रूरी , है जबकि , तत्काल हेल्प लाइन , प्रबंबधक का मोबाइल नंबर , सुझाव एवं शिकायत पुस्तिका हुआ ज़रूरी है , जिसका नियंत्रण जिला कलेक्टर के पास ,, या फिर पुलिस अधीक्षक , संबंधित थानाधिकारी के पास हुआ ज़रूरी है ,, मेने लक्ज़री फ़ूड कोर्ट , और चौपाटी फूडकोर्ट दोनों की रेट लिस्ट , आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है , , ,, इस मामले में कोटा के पत्रकारों को , इन सुझाव , शिकायतों को ध्यान में रखते हुए , सिटी पार्क की सभी व्यवस्थाओं को खुद देखकर ,, स्वतंत्र रिपोर्टिंग करना चाहिए , ताकि , कोटा में , विज़िटर्स को , प्यासा रखा जाता है , जबरन ,, पानी खरीदकर पीने के लिए मजबूर क्या जाता है , ट्रेफिक अव्यवस्था है , टिकिट एंट्री के वक़्त ,,तालशी अभियान में बेहूदगी होती है , वगेरा वगेरा ,, और फिर एक टिकिट खरीदने के बाद आपकी प्रॉपर्टी है उसे निकासी के वक़्त क्यों रखा जाता है , इसका जवाब भी तलाशना होगा ,,, गठबंधन तो खेर उजागर नहीं कर पाएंगे , क्योंकि , ठेकेदार सभी के फेमिलियर हैं , लेकिन अगर पत्रकारिता धर्म की सोचेंगे , तो फिर तो सभी तार तार हो जायेगा , और व्यवस्थाओं में भी सुधार होगा,, , कोटा के इस बहतरीन पार्क जिसमे , हमारे आपके टेक्स के करोड़ों करोड़ रूपये लगे हुए हैं , उसे देखने आने वाले लोग , कोटा के लिए खबूसूरत , मेज़बानी का , अहसास लेकर जायेंगे , कोई नेगेटिव , कोटा को बदनाम करने वाली छवि लेकर नहीं जाएंगे , तो कोटा को रुसवाई , बदनामी से बचाने की ज़िम्मेदारी भी , हमारी आपकी है , क्योंकि कोचिंग , मामले में , तो , कम नंबर वालों को , भी , महंगी फ़ीस लेकर , एडमिशन देने के लालच में , जो हो रहा है , उससे कोटा बहतर , अव्वल होने के बाद भी , रोज़ रोज़ , बदनाम हो रहा है , खून के आंसू रो रहा है , इसलिए , कोटा को रुसवा होने से बचाने के लिए , एक अख़बार की , एक रिपोर्टर की , स्टिंग ऑपरेशन के साथ , स्टिंग रिपोर्टिंग ज़रूरी है , ताकि कार्ड देकर , या सुविधाएं देकर जो दिखाया जाता है , उसके अलावा भी , स्टिंग ऑपरेशन के लिए , एन्ट्री से लेकर, स्टेण्ड से लेकर , मुफ्त पानी के नल देखने से लेकर, एन्ट्री तलाशी , अभद्रता , और टेंडर की शर्तों के अध्ययन के साथ , क्या उसके अनुरूप व्यवस्थाएं है , इस बारे में कुछ सच छपने से , बदलाव की उम्मीद हो सके ,, ,क्या ऐसा हो सकेगा , देखते हैं , एक ब्रेक के बाद , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 सितंबर 2023
सिटी पार्क एंट्री अभद्रता , ट्रेफिक अव्यवस्था , प्यासे के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मुफ्त पानी की व्यवस्था नहीं ,, वगेरा वगेरा कई अव्यवस्थाएं हैं , जिन्हे उजागर कर , कोटा की इज़्ज़त , साख बचाने के लिए , हमारे आपके करोड़ो करोड़ के टेक्स से बने इस सिटी पार्क प्रबंधन व्यवस्था में बदलाव करवाना ज़रूरी हो गया है ,
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