तो अगर (अभी मुशरिक से) तौबा करें और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दें तो
तुम्हारे दीनी भाई हैं और हम अपनी आयतों को वाकि़फकार लोगों के वास्ते
तफ़सीलन बयान करते हैं (11)
और अगर ये लोग एहद कर चुकने के बाद अपनी क़समें तोड़ डालें और तुम्हारे
दीन में तुमको ताना दें तो तुम कुफ्र के सरवर आवारा लोगों से खूब लड़ाई करो
उनकी क़समें का हरगिज़ कोई एतबार नहीं ताकि ये लोग (अपनी शरारत से) बाज़
आएँ (12)
(मुसलमानों) भला तुम उन लोगों से क्यों नहीं लड़ते जिन्होंने अपनी क़समों
को तोड़ डाला और रसूल को निकाल बाहर करना (अपने दिल में) ठान लिया था और
तुमसे पहले छेड़ भी उन्होंने ही शुरू की थी क्या तुम उनसे डरते हो तो अगर
तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़़ुदा उनसे कहीं बढ़ कर तुम्हारे डरने के क़ाबिल
है (13)
इनसे (बेख़ौफ (ख़तर) लड़ो ख़ुदा तुम्हारे हाथों उनकी सज़ा करेगा और
उन्हें रूसवा करेगा और तुम्हें उन पर फतेह अता करेगा और इमानदार लोगों के
कलेजे ठन्डे करेगा (14)
और उन मोनिनीन के दिल की क़ुदरतें जो (कुफ़्फ़ार से पहुचॅती है) दफ़ा कर
देगा और ख़़ुदा जिसकी चाहे तौबा क़ुबूल करे और ख़़ुदा बड़ा वाकि़फकार (और)
हिकमत वाला है (15)
क्या तुमने ये समझ लिया है कि तुम (यॅू ही) छोड़ दिए जाओगे और अभी तक तो
ख़ुदा ने उन लोगों को मुमताज़ किया ही नहीं जो तुम में के (राहे ख़़ुदा
में) जिहाद करते हैं और ख़़ुदा और उसके रसूल और मोमेनीन के सिवा किसी को
अपना राज़दार दोस्त नहीं बनाते और जो कुछ भी तुम करते हो ख़़ुदा उससे
बाख़बर है (16)
मुशरेकीन का ये काम नहीं कि जब वह अपने कुफ्ऱ का ख़ुद इक़रार करते है तो
ख़ुदा की मस्जिदों को (जाकर) आबाद करे यही वह लोग हैं जिनका किया कराया सब
अकारत हुआ और ये लोग हमेशा जहन्नुम में रहेंगे (17)
ख़़ुदा की मस्जिदों को बस सिर्फ वहीं शख़्स (जाकर) आबाद कर सकता है जो
ख़़ुदा और रोजे़ आखि़रत पर ईमान लाए और नमाज़ पढ़ा करे और ज़कात देता रहे
और ख़़ुदा के सिवा (और) किसी से न डरो तो अनक़रीब यही लोग हिदायत याफ़्ता
लोगों मे से हो जाएंगे (18)
क्या तुम लोगों ने हाजियों की सक़ाई (पानी पिलाने वाले) और मस्जिदुल हराम
(ख़ानाए काबा की आबादियों को उस शख़्स के हमसर (बराबर) बना दिया है जो
ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत के दिन पर ईमान लाया और ख़ुदा के राह में जेहाद किया
ख़़ुदा के नज़दीक तो ये लोग बराबर नहीं और खुदा ज़ालिम लोगों की हिदायत
नहीं करता है (19)
जिन लोगों ने ईमान क़़ुबूल किया और (ख़़ुदा के लिए) हिजरत एख़्तियार की
और अपने मालों से और अपनी जानों से ख़़ुदा की राह में जिहाद किया वह लोग
ख़़ुदा के नज़दीक दर्जें में कही बढ़ कर हैं और यही लोग (आला दर्जे पर)
फायज़ होने वाले हैं (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 सितंबर 2023
तो अगर (अभी मुशरिक से) तौबा करें और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दें तो तुम्हारे दीनी भाई हैं और हम अपनी आयतों को वाकि़फकार लोगों के वास्ते तफ़सीलन बयान करते हैं
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