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10 सितंबर 2023

हुकूमत लिखी है , तुम्हारे मिजाज़ में ,

 हुकूमत लिखी है  , तुम्हारे मिजाज़ में ,
यूँ टुकड़े टुकड़े होकर तुम  बिखर जाओगे ,
ज़मीन पर पढ़े पढ़े , ऐसे ही तुम पैरों तले रोंदे जाओगे ,,
रिमोट तुम्हारा है , किसी और के हाथों में ,,
रिमोट के बटन से तुम एक दूसरे से लड़ाई जाओगे ,
क़ुरान तुम्हारा रिमोट , हुज़ूर स अ व लीडर तुम्हारे ,
ना समझोगे तो सियासत के पैरों तले रोंदे जाओगे ,
तुम , तुम्हारे मसाइल , रखो तुम्हारे पास ,,
हुकूमत है यह वोट लेगी , फिर भी तुम रोंदे जाओगे ,
तुम , तुम्हारे इबादत घर , तुम्हारी ज़रूरतें , तुम्हारे ओहदे ,
क्या सोचते हो तुम  कोई और आएगा , इन्हे तुम ,ही तो बचाओगे ,
यूँ टुकड़े टुकड़े ,होकर  तुम , ज़मीन में गिरकर ,
एक दूसरे पर इलज़ाम धरकर ,पैरों तले रोंदे जाओगे ,
जुबां तुम्हारी सील गई , हाथ तुम्हारे आकाओं के आगे बंधे हैं ,
इबादत घरों की छोडो , तुम भी तो यूँ ही रोंदे जाओगे ,
क़द्र नहीं तुम्हे , तुम्हारे एक दूसरे की , आपस में तुम्हे लड़ाते हैं ,
तुम इनके कहने में आकर यूँ ही पेरो तले रोंदे ,जाओगे ,
इज़्ज़त भी ,, ज़िल्ल्त भी , नफा भी नुकसान भी ,,
उसी के हुक्म से है , हुक्म पढ़ो , क़ुरआन में तुम समझ जाओगे, ,
तुम्हारी कमेटियों के बनाये गए  तुम इमाम  ,
बात इबादत घर की नहीं , मकान , लिफाफों की बात कर सो  जाओगे ,
यूँ टुकड़ों टुकड़ों में बिखरोगे , रिमोट से चलकर,
आपस में लड़कर तुम यूँ ही पेरो तले रोंदे जाओगे ,
हक़ देखो , बातिल देखो , सच की करो वकालत ,
सच के लिए मुक़ाबला नहीं किया , तो तुम तुम्हारा मज़हब रोंदे जाओगे ,
टूट के बिखरो भी तुम अगर तो कांच की तरह बिखरो ,
रोंदने के लिए पेर रखे भी तुम पर तो वोह ही लहूलुहान हो जाएंगे ,
तुम सुधरो तो सुधरो , तुम्हारी मर्ज़ी ,  
नहीं सुधरे तो गुलाम  बनकर, यूँ ही हर रोज़ तुम रोंदे जाओगे ,
हक़ तुम्हारा लड़ कर लो , मांग कर लो ,, इंसाफ के संघर्ष से ,लो  
चुप रहे तो आज यह मारा गया है , कल तुम भी मारे ,जाओगे  
हुकूमत में तुम्हारे वोटों की ताक़त का हिसाब करो ,
हुकूमत में तुम्हारे इन्साफ , तुम्हारी सहूलियतों , ओहदो का हिसाब करो ,
हक़ का हिसाब कमज़ोर रहा तो तुम यूँ ही रोंदे जाओगे ,
गुलामी , बेहोशी , बिखराव , टुकड़ों में , जम्हूरियत की बात मत करो ,
यह जो बटन है , इसे सोच कर नहीं दबाया तो तुम यूँ ही मर रहे हो , यूँ ही मर जाओगे ,,  
उठो , जागो , जगाओ तुम्हारे ज़मीर को , गिरहबानों में अपनी तुम झांको ,
तुमने तख्त दिया ,तुमने ताज दिया , तुम्हे मिला क्या , समझो तो ज़रा ,
ना हिसाब किया तुमने तो तुम यूँ ही पेरो तले रोंदे जाओगे ,
तुम्हारे पास तो किताब है , समाज दूसरे भी हैं , उनसे तुम सीखो ज़रा ,
तुमने तुम्हारी किताब , हालातों से भी ना सीखा अगर तो हर रोज़ ,,
तुम यूँ ही पेरो तले रोंदे जाओगे ,, ,,रोंदे जाओगे, ,
 अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,

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