आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

13 अगस्त 2023

तो उसी पर चले जाओ और दूसरे रास्ते पर न चलो कि वह तुमको ख़़ुदा के रास्ते से (भटकाकर) तितिर बितिर कर देगें यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुमको हक्म दिया है ताकि तुम परहेज़गार बनो

 फिर अगर वही चाहता तो तुम सबकी हिदायत करता (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ( अच्छा) अपने गवाहों को लाकर हाजि़र करो जो ये गवाही दें कि ये चीज़े (जिन्हें तुम हराम मानते हो) खु़दा ही ने हराम कर दी हैं फिर अगर (बिलग़रज़) वह गवाही दे भी दे तो (ऐ रसूल) कहीं तुम उनके साथ गवाही न देना और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और आखि़रत पर ईमान नहीं लाते और दूसरों को अपने परवरदिगार का हम सर बनाते है उनकी नफ़सियानी ख़्वाहिशो पर न चलना (151)
(ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि (बेबस) आओ जो चीज़ें ख़ुदा ने तुम पर हराम की हैं वह मैं तुम्हें पढ़ कर सुनाऊँ (वह) यह कि किसी चीज़ को ख़ुदा का षरीक़ न बनाओ और माँ बाप के साथ नेक सुलूक़ करो और मुफ़लिसी के ख़ौफ से अपनी औलाद को मार न डालना (क्योंकि) उनको और तुमको रिज़क देने वाले तो हम हैं और बदकारियों के क़रीब भी न जाओ ख़्वाह (चाहे) वह ज़ाहिर हो या पोशीदा और किसी जान वाले को जिस के क़त्ल को ख़ुदा ने हराम किया है न मार डालना मगर (किसी) हक़ के ऐवज़ में वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम लोग समझो और यतीम के माल के करीब भी न जाओ (152)
लेकिन इस तरीके पर कि (उसके हक़ में) बेहतर हो यहाँ तक कि वह अपनी जवानी की हद को पहुंच जाए और इन्साफ के साथ नाप और तौल पूरी किया करो हम किसी शख़्स को उसकी ताक़त से बढ़कर तकलीफ नहीं देते और (चाहे कुछ हो मगर) जब बात कहो तो इन्साफ़ से अगरचे वह (जिसके तुम खि़लाफ न हो) तुम्हारा अज़ीज़ ही (क्यों न) हो और ख़ुदा के एहद व पैग़ाम को पूरा करो यह वह बातें हैं जिनका ख़़ुदा ने तुम्हे हुक्म दिया है कि तुम इबरत हासिल करो और ये भी (समझ लो) कि यही मेरा सीधा रास्ता है (153)
तो उसी पर चले जाओ और दूसरे रास्ते पर न चलो कि वह तुमको ख़़ुदा के रास्ते से (भटकाकर) तितिर बितिर कर देगें यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुमको हक्म दिया है ताकि तुम परहेज़गार बनो (154)
फिर हमनें जो नेक़ी करें उस पर अपनी नेअमत पूरी करने के वास्ते मूसा को कि़ताब (तौरौत) अता फरमाई और उसमें हर चीज़ की तफ़सील (बयान कर दी ) थी और (लोगों के लिए अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत व रहमत है ताकि वह लोग अपनें परवरदिगार के सामने हाजि़र होने का यक़ीन करें (155)
और ये किताब (क़ुरान) जिसको हमने (अब नाजि़ल किया है क्या है-बरक़त वाली किताब) है तो तुम लोग उसी की पैरवी करो (और ख़ुदा से) डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए (156)
(और ऐ मुशरेकीन ये किताब हमने इसलिए नाजि़ल की कि तुम कहीं) यह कह बैठो कि हमसे पहले किताब ख़ुदा तो बस सिर्फ दो ही गिरोहों (यहूद व नसारा) पर नाजि़ल हुयी थी अगरचे हम तो उनके पढ़ने (पढ़ाने) से बेखबर थे (157)
या ये कहने लगो कि अगर हम पर किताबे (ख़़ुदा नाजि़ल होती तो हम उन लोगों से कहीं बढ़कर राहे रास्त पर होते तो (देखो) अब तो यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास एक रौषन दलील है (किताबे ख़़ुदा) और हिदायत और रहमत आ चुकी तो जो शख़्स ख़़ुदा के आयात को झुठलाए और उससे मुँह फेरे उनसे बढ़ कर ज़ालिम कौन है जो लोग हमारी आयतों से मुँह फेरते हैं हम उनके मुँह फेरने के बदले में अनक़रीब ही बुरे अज़ाब की सज़ा देगें (ऐ रसूल) क्या ये लोग सिर्फ उसके मुन्तिज़र है कि उनके पास फ़रिश्ते आएं (158)
या तुम्हारा परवरदिगार खुद (तुम्हारे पास) आये या तुम्हारे परवरदिगार की कुछ निशानियाँ आ जाएं (आखि़रकार क्योकर समझाया जाए) हालांकि जिस दिन तुम्हारे परवरदिगार की बाज़ निशानियाँ आ जाएंगी तो जो शख़्स पहले से ईमान नहीं लाया होगा या अपने मोमिन होने की हालत में कोई नेक काम नहीं किया होगा तो अब उसका ईमान लाना उसको कुछ भी मुफ़ीद न होगा - (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (अच्छा यही सही) तुम (भी) इन्तिज़ार करो हम भी इन्तिज़ार करते हैं (159)
बेशक जिन लोगों ने आपने दीन में तफरक़ा डाला और कई फरीक़ बन गए थे उनसे कुछ सरोकार नहीं उनका मामला तो सिर्फ ख़ुदा के हवाले है फिर जो कुछ वह दुनिया में नेक या बद किया करते थे वह उन्हें बता देगा (उसकी रहमत तो देखो) (160)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...