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20 जून 2023

बीमारी, विपरीत आर्थिक हालात से लड़ा, अब आईआईटी में पढ़ेगा शिवा

 

बीमारी, विपरीत आर्थिक हालात से लड़ा, अब आईआईटी में पढ़ेगा शिवा
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता...
-मोशन का सपोर्ट और मुख्यमंत्री अनुप्रति योजना बने वरदान
कोटा.
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है शिवा उपमन ने। भरतपुर जिले की रूपवास तहसील के छोटे से गांव ओडेल जाट के विद्यार्थी शिवा के समाने समस्याएं ही समस्याएं थी- कमजोर आर्थिक हालत, परीक्षा से पहले एक माह की बीमारी और अनिश्चित हालात...इसके बावजूद उसने पहली बार में ही आईआईटी की सीट सुनिश्चित कर ली। शिवा अपने गाँव के पहले व्यक्ति है जो इंजीनियर बनेगा।
शिवा पढ़ाई में शुरू से ही अच्छा था। उसने आठवीं और नवीं में 100 प्रतिशत अंक हासिल किए। कोरोना काल में दसवीं की पढाई की। बोर्ड एग्जाम में भी उसे 100 प्रतिशत अंक मिले। उसके पिता रामेश्वरप्रसाद शर्मा और मां पुष्पा एमए, बीएड हैं । सरकारी में सलेशन नहीं हुआ तो वे एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं। जो आमदनी होती है, उससे से घर चलना ही मुश्किल लगता है, लेकिन वे प्रतिभावान बेटे को आईआईटी में पढ़ाकर इंजीनियर बनाना चाहते थे। आर्थिक समस्या के कारण यह मुश्किल लग रहा था।
शर्मा बताते हैं कि मोशन ने हमारा काम आसान कर दिया। शिवा ने मोशन टेलेंट सर्च एग्जाम दिया था। मोशन ने ही हमको बताया कि शिवा जैसे प्रतिभावान बच्चों को राजस्थान सरकार की अनुप्रति योजना के तहत निशुल्क कोचिंग के लिए स्कॉलरशिप मिल सकती है। सारी करवाई मोशन स्टाफ ने ही की और उसे कोटा में दो साल की कोचिंग और हॉस्टल के खर्च के लिए छात्रवृति मिल गई।
शिवा ने बताया कि कोटा में नया शहर, नया माहौल। मेस का खाना। हिंदी मीडियम वाला बैकग्राउंड। इस सब चुनौतियों के बीच पढाई पटरी आ रही थी। इसी बीच दूषित खाने-पानी से पीलिया हो गया। सप्ताह भर अस्पताल में रहना पड़ा। ठीक होने में एक माह लाग गया। गांव जाकर रहना पड़ा तो पढाई पीछे छूट गई। बेकलॉग बन गया। ऐसे में डर लगा कि मेरे सपने, आईआईटी के लक्ष्य का क्या होगा लेकिन मोशन के फेकल्टीज ने हौसला बंधाया। मैंने भी सोचा कि डरकर क्या होगा। कुछ करने से ही बात बनेगी। फिर साहस जुटाकर तैयारी शुरू की। टेस्ट में अच्छे नंबर नहीं आते तो इसका विश्लेषण करता कि कहाँ कमी रह गई। कहीं डाउट रह जाता तो बेहिचक उसको क्लीयर करता। फिर टेस्ट में अच्छे नंबर आए तो आत्मविश्वास बढ़ा और कामयाबी मिल ही गई। जेईई में 99.99 पर्सेंटाइल और बारहवीं में 95.6 प्रतिशत नंबर आए। एडवांस में भी ऑल इण्डिया रैंक 5948 और ईडब्ल्यूएस केटेगिरी रैंक 747 हासिल हुई।
आप आईआईटी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को क्या सलाह देंगे, जवाब में शिवा कहते हैं कि मेहनत करने का कोई विकल्प नहीं है। मैंने खुद रोजाना 12 घंटे पढाई की। कोचिंग के सिस्टम और फेकल्टीज पर भरोसा बनाए रखें। जब भी नर्वस हों तो उनसे बात करें। तीनों विषयों की तैयारी पर बराबर ध्यान देने की जरुरत है। केमिस्ट्री ऐसा विषय है जिसको कठिन समझा जाता है मेरे भी इसमें नंबर काम आए लेकिन इसमें भी नंबर लाना मुश्किल नहीं है। मुझे लगता है कि इसको समझने से काम नहीं चलेगा, याद करना ही पड़ेगा। इसी तरह को पढ़ा उसको रिवाइज करते रहैं। टेस्ट देते रहें, जो कमी डाउट, मिले उसको दूर करते रहें। गलतियों से सीखें, उनको दोहराना नहीं है। सबका मन घबराता है लेकिन एग्जाम में मन शांत रखें। आप अपना बेस्ट दें, यह सोचें कि जो होगा सब अच्छा होगा।
जिला कलेक्टर ओमप्रकाश बुनकर ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि राजथान सरकार की अनुप्रति योजना के तहत गरीबों का सपना साकार हो रहा है। शिवा उपमन अब इंजीनियर ।


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