और (ऐ रसूल) एक वक़्त वो भी था जब तुम अपने बाल बच्चों से तड़के ही निकल
खड़े हुए और मोमिनीन को लड़ाई के मोर्चों पर बिठा रहे थे और खुदा सब कुछ
जानता औेर सुनता है (121)
ये उस वक़्त का वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि
पसपाई करें और फिर (सॅभल गए) क्योंकि ख़ुदा तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन
को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिये (122)
यक़ीनन ख़ुदा ने जंगे बदर में तुम्हारी मदद की (बावजूद के) तुम (दुश्मन
के मुक़ाबले में) बिल्कुल बे हक़ीक़त थे (फिर भी) ख़ुदा ने फतेह दी (123)
बस तुम ख़ुदा से डरते रहो ताकि (उनके) शुक्रगुज़ार बनो (ऐ रसूल) उस
वक़्त तुम मोमिनीन से कह रहे थे कि क्या तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं है कि
तुम्हारा परवरदिगार तीन हज़ार फ़रिश्ते आसमान से भेजकर तुम्हारी मदद करे
हाँ (ज़रूर काफ़ी है) (124)
बल्कि अगर तुम साबित क़दम रहो और (रसूल की मुख़ालेफ़त से) बचो और
कुफ़्फ़ार अपने (जोश में) तुमपर चढ़ भी आये तो तुम्हारा परवरदिगार ऐसे
पांचहज़ार फ़रिश्तों से तुम्हारी मदद करेगा जो निशाने जंग लगाए हुए डटे
होंगे और ख़ुदा ने ये मदद सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के लिए की है (125)
और ताकि इससे तुम्हारे दिल की ढारस हो और (ये तो ज़ाहिर है कि) मदद जब
होती है तो ख़ुदा ही की तरफ़ से जो सब पर ग़ालिब (और) हिकमत वाला है (126)
(और यह मदद की भी तो) इसलिए कि काफि़रों के एक गिरोह को कम कर दे या
ऐसा चैपट कर दे कि (अपना सा) मुँह लेकर नामुराद अपने घर वापस चले जायें
(127)
(ऐ रसूल) तुम्हारा तो इसमें कुछ बस नहीं चाहे ख़ुदा उनकी तौबा कु़बूल करे या उनको सज़ा दे क्योंकि वह ज़ालिम तो ज़रूर हैं (128)
और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब ख़ुदा ही का है
जिसको चाहे बख़्शे और जिसको चाहे सज़ा करे और ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला
मेहरबान है (129)
ऐ ईमानदारों सूद दूनादून खाते न चले जाओ और ख़ुदा से डरो कि तुम छुटकारा पाओ (130)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 जून 2023
ये उस वक़्त का वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि पसपाई करें और फिर (सॅभल गए) क्योंकि ख़ुदा तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिये
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