सूरए अल हुमज़ह (वैल)
सूरए सूरए अल हुमज़ह (वैल) मक्की या मदनी है और इसमें नौ (9) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
हर ताना देने वाले चुग़लख़ोर की ख़राबी है (1)
जो माल को जमा करता है और गिन गिन कर रखता है (2)
वह समझता है कि उसका माल उसे हमेषा जि़न्दा बाक़ी रखेगा (3)
हरगिज़ नहीं वह तो ज़रूर हुतमा में डाला जाएगा (4)
और तुमको क्या मालूम हतमा क्या है (5)
वह ख़ुदा की भड़काई हुयी आग है जो (तलवे से लगी तो) दिलों तक चढ़ जाएगी (6)
ये लोग आग के लम्बे सुतूनो (7)
में डाल कर बन्द कर दिए (8)
जाएँगे (9)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 अप्रैल 2023
हर ताना देने वाले चुग़लख़ोर की ख़राबी है
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