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12 अप्रैल 2023

(यानि) ख़ुदा के रसूल जो पाक औराक़ पढ़ते हैं (आए और)

 

98 सूरए अल बय्यानह
सूरए अल बय्यनह मक्का या मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी आठ आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
अहले किताब और मुशरिकों से जो लोग काफिर थे जब तक कि उनके पास खुली हुयी दलीलें न पहुँचे वह (अपने कुफ्र से) बाज़ आने वाले न थे (1)
(यानि) ख़ुदा के रसूल जो पाक औराक़ पढ़ते हैं (आए और) (2)
उनमें (जो) पुरज़ोर और दरूस्त बातें लिखी हुयी हैं (सुनाये) (3)
अहले किताब मुताफ़र्रिक़ हुए भी तो जब उनके पास खुली हुयी दलील आ चुकी (4)
(तब) और उन्हें तो बस ये हुक्म दिया गया था कि निरा ख़ुरा उसी का एतक़ाद रख के बातिल से कतरा के ख़ुदा की इबादत करे और पाबन्दी से नमाज़ पढ़े और ज़कात अदा करता रहे और यही सच्चा दीन है (5)
बेषक अहले किताब और मुषरेकीन से जो लोग (अब तक) काफि़र हैं वह दोज़ख़ की आग में (होंगे) हमेशा उसी में रहेंगे यही लोग बदतरीन ख़लाएक़ हैं (6)
बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे काम करते रहे यही लोग बेहतरीन ख़लाएक़ हैं (7)
उनकी जज़ा उनके परवरदिगार के यहाँ हमेशा रहने (सहने) के बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं और वह आबादुल आबाद हमेशा उसी में रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश ये (जज़ा) ख़ास उस शख़्स की है जो अपने परवरदिगार से डरे (8)

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