मैं रेत पे लिखी इबारत नहीं
जो लहरों से मिट जाऊं...
मैं बारिश की बूँद नहीं
जो बरस के थम .जाऊं.
मैं कोई ख़्वाब नहीं
मैं कोई वक़्त नहीं
जो गुज़र .जाऊं.
मैं चाँद भी नहीं
जो रात के बाद ढल .जाऊं.
मैं तो एहसास हूँ
जो लहू बनकर तुझमे बहता हुं...
में वो रंग हूँ
जो चढ़ कर कभी न उतरे...
तेरी रूह हूँ
जो तेरे अंदर रहे...
मेरे मिटने का सवाल ही नहीं
क्योंकि मैं तो मोहब्बत हूँ
जो हर पल तेरे साथ रहता हूँ...
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