. संस्थाओं के प्रयास से लौटी रोशनी,खूब खेली रंगों की होली
2. समय पर आंखों की रोशनी लौटी, तो खेल सकें होली
नेत्रदान-अंगदान
और देहदान के विषय पर संभाग स्तर पर कार्यरत संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन
द्वारा नेत्र संकलन के साथ-साथ कॉर्निया प्रत्यारोपण व अन्य शल्य
चिकित्साओं के माध्यम से नेत्र ज्योति वापस लाने का पुण्य कार्य भी किया जा
रहा है ।
बीते दिनों मैं
भी बूंदी जिले के पितामपुरा गांव के बलराम मीणा की आँखों में निःशुल्क
कॉर्निया प्रत्यारोपण के बाद रौशनी आयी है । 1 वर्ष पहले बलराम जी की आँखों
में लकड़ी की फांस घुस जाने से उनका कॉर्निया पूरी तरह खराब हो चुका था, 1
साल तक अलग-अलग नेत्र चिकित्सकों को दिखाने के बाद भी उनकी आंखों में कोई
फायदा नहीं हुआ । अंत में गोमाबाई अस्पताल नीमच में इनका नि:शुल्क कॉर्निया
प्रत्यारोपण हुआ और आज बलराम बहुत अच्छे से अपना जीवन यापन कर रहे हैं,
उन्हें डर था कि,शायद अब इस आँख से कभी दोबारा नहीं देख पायेंगे, परंतु
कार्निया प्रत्यारोपण ने तो उनकी पूरी जिंदगी बदल दी,होली के त्यौहार का
पूरा आनंद उन्होंने इस वर्ष लिया ।
इसी
तरह संस्था के सहयोग से उड़िया बस्ती ,दादाबाड़ी निवासी कौशल्या बाई को
आँखों में तकलीफ के कारण बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता था, वह लोगों के घरों
में जाकर झाड़ू पोछा बर्तन का काम किया करती थी । उसकी परेशानी की सूचना
जैसे ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के पदाधिकारियों को मिली,तो उन्होंने तुरंत
ही उसको नेत्र शल्य चिकित्सक डॉ सुरेश छाबड़ा को दिखाया ।
प्राथमिक
परीक्षण के बाद पता चला कि, उनकी दोनों आँखों में मोतियाबिंद पूरी तरह पक
चुका था,परंतु पैसों की तंगी के कारण वह ऑपरेशन कराने में असमर्थ थी ।
संस्था
के सेवा कार्यों में सहयोगी एनएमएफ करनावट के देवेंद्र करनावट ने कौशल्या
जी के मोतियाबिंद सर्जरी में अपनी और से आर्थिक सहयोग दिया । डॉ सुरेश
छाबड़ा ने कौशल्या जी का ऑपरेशन कर उनकी आँखों में रौशनी लौटाई।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने कहा कि,संस्था के सदस्य
प्रारंभ से सेवा कार्य से जुड़े रहे हैं ,ऐसे में किसी भी तरह का परेशानी
लेकर आने वाला व्यक्ति यदि कभी संपर्क करता है,तो हमारा प्रयास यह रहता है
कि, कम खर्चे में उसकी परेशानी को दूर किया जा सके । संस्था के प्रयासों से
अब कॉर्निया की अंधता को निवारण करने का भी प्रयास किया जा रहा है ।
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