कोंग्रेस, भाजपा के सत्ता में बैठे लोग, गांधी दर्शन परिकल्पना कर अपने गिरेहबान में झांके, राजस्थान की तर्ज़ पर गांधी दर्शन के प्रेरक ओर फ़ॉलोअर्स बनकर रामराज्य की परिकल्पना के सपने को साकार करें,
गांधी दर्शन को सूक्ष्म परीक्षण ,, लगातार अध्ययन के बाद , कोटा में आयोजित गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर , में गाँधी के दर्शन को सुनकर ,, बात साफ़ हो गई के गांधी दर्शन को सीखने , अंगीकार करने की , कार्यकर्ताओं से ज़्यादा ,, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता , मंत्री , मुख्यमंत्री , सांसद , विधायकों को है ,भाजपा का तो संविधान ही सदस्य बनने के पूर्व, शर्त रखता है , के गाँधी विचारों का जो समर्थक होगा वही ,भाजपा सदस्य बनेगा , तो भाजपा के नेताओं को भी इसकी आवश्यकता है ,
बात साफ़ है यूँ ही , कोई गांधी नहीं बन जाता है , इसके लिए गांधी को जीना पढ़ता है , गाँधी को सीखना पढ़ता है , उनकी दी हुई सीख पर चलना पढ़ता है , जो कांटो भरा रास्ता तो है , लेकिन देश , और देश की जनता के लिए रामराज्य लाने का संकल्प भी है ,, प्रशिक्षण शिविर में बनारस यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर सतीश राय के प्रशिक्षक का उदबोधन सभी ने सुना , समझा , लेकिन सबकी अपनी अलग अलग नज़र , अलग अलग नज़रिया होता , है , कोई क्या समझा , कोई क्या समझा , जयपुर से आये प्रशिक्षक , खुद ,मंच पर बतियाते रहे , उनका खुद का ध्यान इधर उधर रहा , प्रशासनिक अधिकारीयों की तो सिर्फ फॉर्मल उपस्थिति ही हो सकती है , क्योंकि वोह कर्मचारी है , इसलिए गाँधीवादी उनके लिए होना असम्भव सा है , ,खेर बात करें गाँधी दर्शन की , तो सभी लेखक , विशेषज्ञ , गाँधी के साथ रहने वालों ने , तस्दीक़ की है , के गाँधी जी ने , सबसे पहले बनारस यूनिवर्सिटी के स्थापना भाषण के , लार्ड वायसराय , को देखकर , निर्भीक होकर कहा था , के लार्ड वायसराय इस शहर में आये है , और सुरक्षा की वजह से पुरे शहर को , जेल बना दिया गया है , एक वायसराय को आखिर आम जनता से इतनी दूरी , इतनी सुरक्षा की ज़रूरत क्या है , आम जनता को सुरक्षा के नाम पर , शहर को जेलखाना बनाकर , प्रताड़ित क्यों किया जाए , ,दूसरी बात उन्होंने कही थी , के यह जो सामने बैठे , राजा महाराजा हैं , इनके वस्त्र , इनके अस्त्र , इनके पहने हुए ज़ेवर , हीरे मोतियों में ,, गरीबों के खून की गंध आ रही है , ,तो जनाब , बात साफ़ थी , के महात्मा गांधी जिन्हे , सुभाष चंद्र बोस ने , राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी , वोह महात्मा गाँधी , चाहते थे , के किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा के नाम पर , आम जनता को प्रताड़ित नहीं किया जाए , वोह ऐसी हर सुरक्षा के खिलाफ थे , जो जनता को , ऐसे व्यक्ति से दूर करती हो , जिसमे उस तक पहुंच कर जनता को अपनी शिकायत करना हो , बात साफ़ है , चाहे भाजपा के नरेंद्र मोदी हो , चाहे कांग्रेस के राहुल गाँधी , प्रियंका गाँधी हो , सोनिया गाँधी हों , अशोक गहलोत हों ,. समाजवादी हो , गाँधीवादी हों , कोई भी हो वोह सभी, इस कसौटी पर खरे नहीं उतरते है , सभी सुरक्षा के घेरे में पूरा शहर , या जहाँ यह लोग एयरपोर्ट से उतरते हैं जहाँ से यह लोग गुज़रे हैं , जहाँ यह लोग ठहरते हैं , सभी जगह सुरक्षा की वैसी ही बंदिशें जो गाँधी को हरगिज़ हरगिज़ पसंद नहीं थी , गाँधी दर्शन में जिस तरह की सुरक्षा का विरोध है , उस दर्शन में वोह सुरक्षा , वोह जनता के साथ प्रताड़ना , सुरक्षा के नाम पर जनता से दूरी खत्म होना ही चाहिए , ताकि आम जनता से शासक वर्ग , कांग्रेस के ज़िम्मेदाराना रूबरू हो सकें , दूसरी बात , गांधी दर्शन की सीख में , सामंतवादी लोग , जो जनता पर ज़ुल्म करते है , जनता को लूटते हैं , उनसे सत्ता और आम लोगों को दूर रहने की हिदायत होती है, , आज , सत्ता किसी की भी हो , कांग्रेस की हो ,भाजपा की हो , सभी के मंत्री , मुख्यमंत्री , सांसद , विधायक , सभी तो , एक तरफ तो सुरक्षा के नाम पर जनता से कोसों दूर रहते हैं ,दूसरी तरफ ऐसे लोग ,जनता के शोषक होते हैं , और इनके समर्थक भी , जनता का खुला शोषण करते हैं , ऐसे नेताओं के समर्थकों में , प्रॉपर्टी डीलर्स , जिनके हाथों में सोने के बढे बढे ब्रेसलेट , महंगी गाड़ियां , महंगे जूते , मोटी सोने की चेने होती हैं , वोह तो इन नेताओं के नज़दीक होते है , और जो गाँधी की ड्रेस में अगर लाठी लेकर , लंगोट पहनकर आ गया तो उसे यह लोग पहचानते तक नहीं , सुरक्षा कर्मी धक्के देकर बाहर कर देते हैं , आम जनता से तो यह मिलते नहीं , और अमीरों से , उद्योपतियों से , इन्हे कमाकर देने वालों से , इनका रिश्ता क्या कहलाता है , देश और राज्य जानते हैं , ,गांधी दर्शन की तीसरी बात, कांग्रेस सम्मेलन में , चम्पारण के किसान जब नील की खेती की परेशानी को लेकर , हर शख्स के पास गए ,तो किसी ने उन्हें सुना नहीं , अंत में जब वोह गाँधी के यहां गए , तो गाँधी ने उन्हें सुना , और इस मुद्दे को , पहले खुद तस्दीक़ कर, आगे कार्यवाही का आश्वासन दिया , वोह चम्पारण गए भी , उन्होंने जब चम्पारण के किसानों पर ज़ुल्म ज़्यादती देखी तो गांधी ने उन्हें न्याय दिलवाने के लिए मदद की , हमारे नेता तो अव्वल तो , समस्याओं को लेकर आने वालों की सुनते ही नहीं , सुरक्षा कर्मी उन्हें धक्का मुक्की कर अलग कर देते है , एयरपोर्ट के अलग पास होते हैं , सभा स्थल और जहाँ यह रहते हैं , अलग पास यानी एंट्री पास होते है , एयरपोर्ट पर लाट्साहब संस्कृति के तहत ,, लोग जो पासधारक होते है , नौकरशाहों के अलावा अगर होते है , तो वोह लाइन अप , यानी जी हुज़ूरी में खड़े होते है , और बस लाट्साहब की तरह से , यह तो उन्हे देखते हैं , मुमकिन हो तो हाथ जोड़कर , दिखावटी मुस्कुराहट के साथ , इन लाइन अप वालों को , हाथ जोड़कर खड़े देखते हुए निकल जाते है , खुलकर , समस्याएं सुनना ,, आम जनता से जुड़ना , उनकी सुनवाई करना , तत्काल समस्या का निराकरण करना तो , अब इनकी डिक्शनरी में बचा ही नहीं , चौथी बात, गांधी का पहनावा , लाठी , और लंगोटी वाला था , जॉर्ज पंचम से मिलने जाते वक़्त उन पर दबाव था , आप ड्रेस कोड को फॉलो करें , खूब दबाव बना , लेकिन गाँधी ने , स्वीकार नहीं किया , और लाठी लंगोटी अपनी ही यूनिफॉर्म में , जॉर्ज पंचम से मुलाक़ात कर , उन्हें ,गरीबों के नंगे रहने का ज़िम्मेदार बताकर ,गरीबों के कपड़े जॉर्ज पंचम द्वारा पहनना ,, उनके मुंह पर ही कहकर , आ गए , ,लेकिन आज , राजा महाराजाओं के नेताओं के ट्रेडिशनल कार्यक्रमों में , जाने की चाहत में कार्डों पर , ड्रेस कोड लिखकर इनके आलावा ड्रेस पहनकर आने वालों को , प्रतिबंधित कर दिया जाता है , और गाँधीवादी लोग भी ऐसे कार्डो का बहिष्कार नहीं करते , राष्ट्रपति हो, गवर्नर हो , या फिर राजा महाराजाओं के यहां एंट्री हो , वोह उसी चाहे गए ड्रेसकोड में जाते हैं , तो फिर काहे का गांधीवाद ,, , पांचवी बात , महात्मा गाँधी ने , अंग्रेज़ों के ज़ुल्म के खिलाफ , उन्हें उनका धर्म ग्रंथ , बाइबिल बताकर समझाया , कहा के तुम्हारे धर्म ग्रंथ में जीसस कहते है कोई तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे तो , तुम उसके आगे दुसरा गाल भी आगे कर दो , , इस प्रचार से , ईसाई धर्म को मानने वाले लोग भी , धर्म विरुद्ध ज़ुल्म करने पर , अंग्रेज़ हुकूमत के खिलाफ हो गए , ,,छटी महत्वपूर्ण बात , , ,गांधी जी , अहिंसक थे , उन्हें जिससे नाराज़ वोह होते , जो जूते खाने का हक़दार होता , उसे वोह उसके सर पर जूता नहीं मारते थे , खुद अपने हाथों से , चप्पल बनाकर, उसे खुबसुरत अंदाज़ में गिफ्ट करते थे , जो ऐसे अंग्रेज़ ज़ालिम हाकिम , इस चप्पल को उनके मुंह पर मारने को परिभाषित करने के स्थान पर गिफ्ट समझते और , अपने ड्राइंगरूम में सजा कर रखते थे , , खेर यह तो गांधीवादिता का दर्शन है , लेकिन कांग्रेस हो , चाहे भाजपा हो ,भाजपा इसलिए के उसके संविधान में ,सदस्य बनने की पहली शर्त , गाँधी के विचारों से सहमत होना मुख्यरूप से अंकित किया गया है , गांधी दर्शन से जुड़े लोग भी , इन सिद्धांतों को स्वीकार नहीं ,करते वही , राजसी ठाठ , वही जनता से दूरी , वही , लाट्साहबों वाली सुरक्षा , शहर और मोहल्ले को , सुरक्षा के नाम पर परेशानी , रास्ते बंद , पुलिस कर्मियों की सुरक्षा छावनी , जनता की एन्ट्री नेता जी तक पहुंचने के लिए बंद , , कर रखी हैं , वही लाट्साहबों की तरह से व्यवहार , वही लाइन अप , वही सुरक्षा , वही धक्का मुक्की , आम जनता ऐसे लोगों तक पहुंचने के लिए कातर भरी नज़रों से इन्हे देखती रहती हैं , क्या यही है गांधीवाद का नारा ,, इसे बढ़कर , बहुत कुछ हुआ ,, कांग्रेस जो गाँधी के सिद्धांतों पर चलने वाली है , जो गांधी के सिद्धांतों पर चलती रही है , उस कांग्रेस के हाल ही के अधिवेशन में , कोंग्रेस संविधान के अनुरूप, गांधी दर्शन के खिलाफ कुछ, कोंग्रेसी विरोधी लोग ऐसे थे , जिन्होंने , ,कांग्रेस की जो गांधीवादिता की रूह , गांधीवादिता की आत्मा , खादी पहनने की आवश्यकता , शराब व् अन्य नशों से दूर रहने की शर्त ,, कांग्रेस का सदस्य बनने की थी ,वोह मूल शर्त ही , हटा दी गयी , गाँधी जी , खादी के प्रेमी थी , स्वदेशी को बढ़ावा देतें थे , शराब और दूसरे नशे से, खुद भी दूर थे , और आम जनता को भी दूर रहने की सलाह देते थे , लेकिन अब पूर्व अध्यक्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की इस कांग्रेस में शराबी , नशेड़ी , खादी के विरोधी भी , कांग्रेस के सदस्य बन सकेंगे, कांग्रेस के आवेदन पत्र की , पहली शर्त , जिसमे , अंकित था जिसमे सदस्य की घोषणा होती थी , के में नशा नहीं करता हूँ ,, में खादी पहना हूँ, वोह शर्त ही हटा दी गई है , धीरे धीरे सब कुछ बदल रहा है , गांधीवाद बदल रहा है , देश में गाँधी की हत्यारों के मंदिर बन रहे हैं ,, खादी से नफरत नशे से प्यार हो रहा है , लाट्साहब संस्कृति , समान्तशाही संस्कृति , जनता से दूर रहने की सत्ता की पॉलिसी ,, तेज़ी पर है , फिर भी कहते हैं के हम गाँधीवादी है , फिर भी कहते हैं ,, गांधी अभी ज़िंदा हैं , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी , पंकज मेहता और ऐसी टीम के ज़रिये , गांधीवादिता , गाँधी विचार को , पुनर्जीवित करने के लिए , , कोशिशें तो कर रहे हैं , प्रशिक्षण शिविर आयोजित तो कर रहे हैं , शान्ति , सद्भाव की प्रेरणा को लेकर , गांधी विचार का विभाग तो अलग से बनाया है , लेकिन कांग्रेस के दिल्ली बैठे शीर्ष नेता , भाजपा जिसके संविधान की पहली लाइन गाँधी विचारधारा से जुड़े होना अंकित हैं , उसके नरेंद्र मोदी जी , अमित शाह जी , नड्डा जी वगेरा वगेरा सभी को , गाँधीवादी विचार के साथ ईमानदारी से इन्हे स्वीकार कर , अंगीकार कर, जीवन में , जीवन शैली , सत्ता संचालन , में आम जनहित में अमल में लाना चाहिए , क्योंकि गांधी एक दर्शन है , एक विचार है , इस गांधी के इस दर्शन में , सर्वधर्म हैं , मानवता है , इन्साफ है , बुराई के खिलाफ संघर्ष हैं , अहिंसा है ,, भगवान राम के रामराज्य की परिकल्पना है , क़ुरान शरीफ में दिए गये हुज़ूर स अ व पैगम्बर मोहम्मद साहब का समाजवाद संकल्प है , जिसस की अहिंसा है , तो श्रीमहावीर जी की अहिंसा परमोधर्म की सीख है , वाहेगुरु की सभी धर्मों को समाजों को साथ लेकर चलना भूखों को खाना , नंगो को कपड़े देने की सीख , बौद्ध की , दलितों के साथ प्रेम का पाठ शामिल है , ,वर्धा आश्रम के गाँधीवादी , मनोज ठाकरे ,ने महात्मा गाँधी की सफाई व्यवस्था को चिन्हित करते हुए , देश में क़ौमी एकता , भाईचारा ,सद्भावना , विकास , सभी को न्याय , पर्यावरण संरक्षण , सामजिक सुधार सहित , आदर्श राज स्थापित करने के लिए महात्मा गाँधी के 18 सूत्रों का ब्योरेवार हवाला दिया , जिन्हे आज के दिनों में सरकारी योजनाओं में तो ढूंढते ही रह जाओगे , इसलिए गोडसे ने , तो सिर्फ गाँधी के शरीर को मारा था , ,हम हमारे देश वासियों ,ने गांधी के सिध्दांत , गाँधी के विचारों को मार दिया ,है जबकि गांधी को अपमानित करने , उन्हें गले बकने वालों के खिलाफ कोई भी क़ानूनी कार्यवाही नहीं होने से , गांधी विचआर रोज़ मर रहे हैं , ,,,ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पंकज मेहता ,, नरेश विजय वर्गीय , अगर , गाँधी के विचारों , के साथ , सिद्धांतों के साथ देश ,को जीना सिखाना चाहते हैं , तो इनका ,, कांग्रेस ,हो चाहे भाजपा ,हो चाहे कोई भी सियासी पार्टी हो, संगठन , हो सभी को , इनका स्वागत करना ही चाहिए , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मार्च 2023
कोंग्रेस, भाजपा के सत्ता में बैठे लोग, गांधी दर्शन परिकल्पना कर अपने गिरेहबान में झांके, राजस्थान की तर्ज़ पर गांधी दर्शन के प्रेरक ओर फ़ॉलोअर्स बनकर रामराज्य की परिकल्पना के सपने को साकार करें,
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)