सूरए अल आला मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी उन्नीस (19) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
ऐ रसूल अपने आलीशान परवरदिगार के नाम की तस्बीह करो (1)
जिसने (हर चीज़ को) पैदा किया (2)
और दुरूस्त किया और जिसने (उसका) अन्दाज़ा मुक़र्रर किया फिर राह बतायी (3)
और जिसने (हैवानात के लिए) चारा उगाया (4)
फिर खुश्क उसे सियाह रंग का कूड़ा कर दिया (5)
हम तुम्हें (ऐसा) पढ़ा देंगे कि कभी भूलो ही नहीं (6)
मगर जो ख़ुदा चाहे (मन्सूख़ कर दे) बेशक वह खुली बात को भी जानता है और छुपे हुए को भी (7)
और हम तुमको आसान तरीके की तौफ़ीक़ देंगे (8)
तो जहाँ तक समझाना मुफ़ीद हो समझते रहो (9)
जो खौफ रखता हो वह तो फौरी समझ जाएगा (10
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 मार्च 2023
ऐ रसूल अपने आलीशान परवरदिगार के नाम की तस्बीह करो
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