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13 फ़रवरी 2023

जे एन यू के प्रतिभावान छात्र , बेस्ट पुलिस ऑफिसर डॉक्टर शरद चौधरी कोटा पुलिस अधीक्षक,बधाई,

 जे एन यू के प्रतिभावान छात्र , बेस्ट पुलिस ऑफिसर डॉक्टर शरद चौधरी कोटा पुलिस अधीक्षक,बधाई, पुलिस अधीक्षक , शरद चौधरी द्वारा छात्र जीवन में , ब्यूरोक्रेट्स व्यवस्था पर , आज से लगभग 35 साल पहले ,, जो तार्किक लेख लिखा था , गुजरात हाईकोर्ट ने , उसी व्यवस्था के तहत , गोधरा विधायक के मुखालिफ बोलने पर , प्रवीण कुमार के जिला बदर के आदेश को लेकर , ब्यूरोक्रेट्स , और विधायक यानि सत्ता पक्ष के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की है ,, गुजरात के गोधरा विधायक के खिलाफ , उसी विधानसभा क्षेत्र के प्रवीण भाई लोगों के काम काज नहीं करने सहित कई असफलताओं को लेकर , विधायक जी से सवाल करते रहे , इसी दौरान उनके खिलाफ ऐसे मामलों में , तीन चार मुक़दमे दर्ज हुए और ,फिर विधायक जी के दबाव में , प्रवीण भाई को वहां के एस डी एम ने सात ज़िलों से तड़ीपार करने के आदेश दिए थे , प्रवीण इस मामले में विधायक के कृत्यों की असहमति के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही हुई है , सबूतों के साथ अहमदाबाद हाईकोर्ट गए थे , जहाँ गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस परेश उपाध्याय ने , इस मामले को गंभीरता से लिया , और एस डी एम सहित विधायक जी को भी फटकार लगाते हुए सवाल किया आपके क्षेत्र में कोई भी आपसे सवाल पूंछेगा तो क्या उन्हें तड़ीपार कर देंगे ,, हाईकोर्ट जज ने , कहा के आपको रजवाड़े नहीं चलाने है , लोकतंत्र है , आप लोगों को बोलने से नहीं रोक सकते , आखिर ऐसा उत्पीड़न करते ही क्यों है , ,यह आदेश लोकतंत्र में असहमति के खिलाफ , सत्ता और अफसरशाही की सांठ गाँठ का खुला उदाहरण है , पुरे देश में हर ज़िले , हर कस्बे , हर राज्य में ऐसे अनगिनत क़िस्से छुपे है , कुछ उजागर होते है , कुछ प्रताड़नाएं छुपी रहती है , मुझे इस घटना के साथ , कोटा में नियुक्त ग्रामीण पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी का छात्र कार्यकाल में , ब्यूरोक्रेट्स , खासकर , शीर्ष अधिकारीयों के क्रिया कलापों उनमे सुझावों के साथ , लिखे गए उनके आलेख पर वरिष्ठ आई ऐ एस , आई पी एस अधिकारियों की प्रतिक्रिया ताज़ा हो गयी ,, शरद चौधरी , करीबन 35 वर्ष पूर्व लगभग , अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाद , जे एन यू दिल्ली के प्रतिभावान छात्र थे , उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही , लगातार , वरिष्ठ अधिकारीयों , प्रशासनिक अधिकारीयों के बारे में , रिसर्च पत्र , लिखा , जो जे एन यू जनरल में भी प्रकाशित हुआ , उनका लेख , देश के हालातों में ब्यूरोक्रेट्स , की भूमिका , उनके कर्तव्य और भौतिक रूप से उनके आचरण , संबधित था , जो उनके कर्तव्यों से अलग उजागर होता था , शरद चौधरी का आलेख , आलोचनात्मक भी था , सुझावात्मक भी था ,, शरद चौधरी के इस आलेख को पढ़कर , कई भारतीय पुलिस , प्रशासनिक अधिकारीयों की भृकुटि तन गयी , नाराज़गी हुई , शरद चौधरी खुद छात्र थे , वोह भी थोड़े सहमे से रहे , लेकिन उनकी अंतरात्मा की आवाज़ थी के वोह सच है , वोह सही है , उन्होंने जो लिखा है , निष्पक्ष भाव से लिखा है , इसलिए वोह डिगे नहीं ,,, शरद चौधरी के ब्यूरोक्रेट्स के इस बहुपक्षीय आलेख को , हज़ारों आए ऐ एस , आई पी एस ने पढ़ा , समझा , कुछ ने बुरा कहा , कुछ ने स्वीकार किया , लेकिन एक दिन अचानक , शरद चौधरी का किसी से नंबर लेकर एक ,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी , आई ऐ एस ने , नरेश चन्द्र सक्सेना ने ,उन्हें फोन किया , शरद चौधरी उनसे बात करने के पहले थोड़े सहमे , उन्होंने शरद चौधरी से उनके लिखे आलेख के बारे में दरयाफ्त किया , शरद चौधरी ने बेबाक होकर स्वीकार किया , उनकी नज़र में यही कुछ सच है , इसमें बदलाव होना चाहिए , बस , उक्त वरिष्ठ आई आई ऐ एस ,, को शरद चौधरी के विचार स्वीकार्य लगे , और उन्होंने शरद चौधरी से , उनके आलेख की थीम पर , एक विस्तृत किताब लिखने की , स्वीकृति चाही , जो शरद चौधरी ने सहज , स्वीकृति दे दी ,, ओर फिर सेज प्रकाशन के ज़रिए , प्रकाशित नरेश चन्द्र सक्सेना की यह पुस्तक सबसे लोकप्रिय हो गयी,, भारतीय पुलिस , प्रशासनिक अधिकारीयों के कर्तव्य और उनके वर्तमान ,प्रभावित होकर किये जाने वाले कृत्यों के कई मनोवैज्ञानिक जीवंत उदाहरण के साथ , उक्त पुस्तक को रिसर्च व्यवस्था के तहत लिखी गयी , जो आज भी शरद चौधरी के पास सुरक्षित है , कहते है , इस तरह की पुस्तक के साथ , अन्य पुस्तकों के अध्ययन के साथ है , प्रशांत किशोर अग्रवाल , जो वर्तमान निति निर्धारक , चुनावी सर्वेक्षक , चुनाव में जीतने के टिप्स दने के लिए प्रसिद्ध है , उन्होंने बहुत कुछ सीखा ,है , प्रशासनिक अधिकारीयों को उनके कृत्य के साथ , विशेषज्ञ सलाहकार , , की तरह भी कार्य करने के सुझाव रहे है , जो गुजरात में ,मुख्यमंत्री रहते हुए , नरेंद्र मोदी ने , व्यवहारिक रूप से , लागु किये थे , कामयाबी हांसिल की थी , अभी खुद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यकाल में ,अलग अलग विषयों के विशेषज्ञों को अपने साथ जोड़कर , उनकी राय , उनके मशवरे के साथ , राष्ट्र हित में काम करने का फार्मूला शुरू किया है , वोह बात अलग है , के उनके विशेषज्ञ सलाहकारों ,में से तीन सलाहकार , अलग अलग समय में , उनके साथ काम करने में कम्फर्ट नहीं रहे , और विशेषज्ञ सलाहकार का पद छोड़ कर , चले गये ,,, वर्तमान हालातों में भी , प्रशासनिक अधिकारी , पुलिस अधिकारी , सरकार के प्रति , सरकार के विधायक , सांसदों के प्रति ,वफादार बनकर , जनता के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियाँ भूल जाते है ,पक्षपात करते है , मनमानी करते है , अपने मंत्री , अपने विधायक , अपने सांसद को , खुश रखते है , और आम जनता के प्रति उनके कर्तव्यों के निर्वहन से कोसों दूर रहते है , अधिकारीयों में मंत्रियों , सरकार के प्रति वफादारी का मानसिक रोग सिर्फ इसलिए हुआ है के वोह , मलाई दार पदों पर रहकर , मज़े करे , और फिर जब सेवानिवृत हो तो भी उन्हें विशेषाधिकारी के रूप में , या फिर किसी भी राजनितिक स्तर के राजकीय पद , विधायक , सांसद के टिकिट से नवाज़ा जाता रहे , इस ब्यूरोक्रेट्स की इस मानसिकता के चलते , जनता के प्रति जवाबदारी , ज़िम्मेदारी , का जो कर्तव्य , उनके ड्यूटी नियमों में लिखा है उसे वोह भूल गए हो ,और एक सो कोल्ड , अपने मंत्री , अपने विधायक , सांसद , मुख्यमंत्री को कैसे खुश रखे , बस इसीलिए जनता को न्याय की जगह ,अन्याय मिल रहा है , भ्रष्टाचार फेल रहा है , नौकरशाही हावी है ,, ,और पब्लिक सर्वेंट , का अर्थ अब , विधायक सर्वेंट , सांसद सर्वेंट , मंत्री सर्वेंट , मुख्यमंत्री सर्वेंट तक सीमित होकर रह गया है , ऐसे सर्वेंटों को इस बिगड़ी सोच ,, बिगड़े माहौल में , बहुत कुछ मिल भी रहा है , इसलिए यह बिगाड़ दिन प्रति दिन , सियासत में , ब्यूरोक्रेसी में बढ़ती जा रही है , ,गुजरात हाईकोर्ट ने , कमोबेश , एस डी एम विधायक जी की इसी सांठ गाँठ , वफादारी के साथ , निष्पक्ष कार्यवही की जगह , प्रभावित होकर , मनमानी , भाई की तड़ीपार ,,की एक तरफा आदेश का विश्लेषण कर , मजबूरी में ,,आपको रजवाड़े नहीं चलाने है , लोकतंत्र हैए , आप लोगों को बोलने से नहीं रोक सकते , आखिर ऐसा उत्पीड़न करे ही क्यों है ,, लिखने को मजबूर होना पढ़ा है , लेकिन हाड़ोती की धरती पर , राजस्थान में आई पी एस पद पर , बैठे हुए , शख्स शरद चौधरी के जे एन यू के छात्र कार्यकाल में , लिखे गए आलेख के तथ्य जो तब भी सच थे , और आज भी सच साबित हो रहे है , इस दिलेरी , बहादुरी के साथ , निष्पक्ष रूप से , आज से 35 साल पहले इन हालातों पर , क़लम उठाने , लिखने का साहस करने पर , आई पी एस शरद चौधरी को , बधाई , मुबारकबाद , ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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