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06 फ़रवरी 2023

फिर ये लोग नूर के तड़के लगे बाहम गुल मचाने

 फिर ये लोग नूर के तड़के लगे बाहम गुल मचाने (21)
कि अगर तुमको फल तोड़ना है तो अपने बाग़ में सवेरे से चलो (22)
ग़रज़ वह लोग चले और आपस में चुपके चुपके कहते जाते थे (23)
कि आज यहाँ तुम्हारे पास कोई फ़क़ीर न आने पाए (24)
तो वह लोग रोक थाम के एहतमाम के साथ फल तोड़ने की ठाने हुए सवेरे ही जा पहुँचे (25)
फिर जब उसे (जला हुआ सियाह) देखा तो कहने लगे हम लोग भटक गए (26)
(ये हमारा बाग़ नहीं फिर ये सोचकर बोले) बात ये है कि हम लोग बड़े बदनसीब हैं (27)
जो उनमें से मुनसिफ़ मिजाज़ था कहने लगा क्यों मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम लोग (ख़ुदा की) तसबीह क्यों नहीं करते (28)
वह बोले हमारा परवरदिगार पाक है बेशक हमीं ही कुसूरवार हैं (29)
फिर लगे एक दूसरे के मुँह दर मुँह मलामत करने (30)

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