सम्पत्ति मामलों में पुलिस की दखलंदाज़ी बढ़ रही है , आम पक्षकारों के विवाद तक तो कोई बात नहीं लेकिन अब , सरकारी सिस्टम से जुडी सम्पत्तियाँ , सरकार द्वारा मनोनीत समितियों के प्रबंधन में चल रही सम्पत्तियाँ के मामले में भी पुलिस का यह रवैया बेखौफ होने से दुखदाई होता जा रहा है , ऐसे मामलों में सरकार के सिस्टम में बैठे लोग ,, चाहे सरकार की बदनामी के डर से चुप बैठ जाएँ , लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सिस्टम में बैठे ज़िम्मेदार नेताओं को इस पर संज्ञान लेना ज़रूरी हो गया है , ऐसे नामज़द [पुलिस अधिकारीयों , के खिलाफ कार्यवाही भी होना चाहिए ,
कोटा पुलिस के कुछ थानाधिकारी , कुछ अधिकारी निरंकुश है , प्रॉपर्टी डीलिंग कहो , या फिर प्रॉपर्टी के मामले में , टांग अड़ा कर मन मर्ज़ी करना हो , इनका रोज़ मर्रा का काम हो गया है , हालात यह है , के सरकारी स्तर पर बनी कमेटियों के प्रमुखों के साथ भी इस मामले में उनका रवय्या ठीक नहीं है , हालात यह है , के सरकारी स्तर की कमेटियों के प्रधान भी ऐसे मामलों में , अपनी विभागीय सम्पत्ति को बचाने के प्रयासों में, , असफल साबित हो रहे हैं ,, , राजस्थान के पुलिस महानिदेशक , और कोटा के तात्कालिक पुलिस अधीक्षक ने सभी थानाधिकारियों को पुलिस अधिकारियों को , प्रॉपर्टी विवादों से दूर रहने के निर्देश जारी किये थे , लेकिन कोटा में तैनात पुलिस अधिकारी इस मामले में , बाज़ नहीं आ रहे है , यही वजह है के कोटा में , सिविल न्यायालयों में , प्रॉपर्टी विवादों के दौरान , पक्षकार ,,पुलिस अधीक्षक और संबंधित थानाधिकारियों को भी व्यक्तिगत रूप से पक्षकार ,बनाकर उन्हें प्रॉपर्टी विवादों में अनावश्यक दखलंदाज़ी से रोकने के लिए मुक़दमेबाज़ी कर रहे हैं , , ,हाल ही में रामपुरा कोतवाली क्षेत्र में , न्यायालय ने गुलाबबाड़ी के एक मामले में , निर्माण करने की अनुमति देते हुए , प्रतिवादियों के खिलाफ निर्माण में किसी भी तरह की रुकावट पैदा नहीं करने के आदेश थे , लेकिन पुलिस है , निर्माण कार्य शुरू हुआ , एक व्यक्ति से सांठ गाँठ हुई , और बस रामपुरा कोतवाली पुलिस पहुंच गई , कारीगरों को धमकी , और जिसके पक्ष में कोर्ट के आदेश थे उसे धमकी लो हो गया काम ,, ना कोर्ट ना कचेहरी और कोर्ट का आदेश ,, कोर्ट की डिक्री सब ठंडे बस्ते में ,, हुकम जारी हो गया , कोई निर्माण नहीं होगा , नहीं तो बंद कर दिए जाओगे ,, कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के कई मामले है , एक मामले में तो एक यादव परिवार का लड़का , अपने प्लाट , चेक के मामले में , कुन्हाड़ी थाने , पुलिस अधीक्षक को बार बार शिकायत करता रहा , ,एक तरफा फ़ाइल की बात करता रहा , सुसाइड नॉट लिखता रहा , उसकी जब कोई सुनवाई नहीं हुई , तो उसने , एक वाट्सएप मेसेज बनाया जो लोग उसे प्रताड़ित कर रहे थे , उनका नाम लिखा और फिर , उसने सुसाइड कर ली , मृतक की बहन ने , मुक़दमा दर्ज कराया कुन्हाड़ी में आत्म हत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज है ,,लेकिन अब सब कुछ तफ्तीश में साफ कर, प्रकरण में एफ आर लगाने की तैय्यारियाँ हैं ,, , चलो यह तो आम जनता ऐसे संबंधित मामले यही , आम जनता को पुलिस धमका सकती है , कुछ भी कर सकती है , लेकिन अब आप सरकारी सिस्टम से जुड़े , सरकार द्वारा नियुक्त ज़िम्मेदार लोगों के साथ इनका सुलूक देखिये , कोटा जिला वक़्फ़ कमेटी सरकार द्वारा नियुक्त है , सरकार का हिस्सा है , वक़्फ़ सम्पत्ति सरकार की सम्पत्ति है , उसका अपना गज़ट , अपना रिकॉर्ड होता है , क़ब्ज़ा होता है ,, हाल ही में , रामतलाई के मैदान सूरजपोल में , नवनियुक्त वक़्फ़ कमेटी के ज़िम्मेदारान जब अपनी खुद की सम्पत्ति की देखरेख करने गए , सरकार की सम्पत्ति को बचाने , यहाँ बहुउपयोगी व्यवस्थाएं करने की प्लानिंग में लगे , तो फिर पहुंच गई पुलिस , धमकिया शुरू , बंद कर देंगे , भूल जाओ इसे , हठ जाओ यहां ,से इसे ऐसा ही रहने दो , अरे जब सम्पत्ति सरकार की है , वक़्फ़ की है , तो फिर कब्जेदारों का समर्थन केसा ,, चलो , यह तो क़ब्ज़े की बात लो , लेकिन दादाबाड़ी पुलिस ने तो हद ही कर दी , सारा शहर जानता है , अधरशिला वक़्फ़ सम्पत्ति है , वहां क़ब्ज़ा भी वक़्फ़ का है , सरकार की भी योजनाएं है , सरकार ने , विकास कार्य भी करवाए है , , वक़्फ़ कमेटी के ज़िम्मेदार जब वहां पर्दा नशीन महिलाओं के लिए , जनसुविधा की व्यवस्था में लगे , तो फिर अचानक दादाबाड़ी पुलिस का जिन बाहर आ गया , पुलिस जी ही तो हैं , सरकार की कमेटी हो , सरकार के ज़िम्मेदार हों , सम्पत्ति वक़्फ़ की हो , क़ब्ज़ा वक़्फ़ का हो , मामला जनहित व्यवस्था का हो , उन्हें किया ,बस उनका पुलिसिया रॉब है , बोल पढ़े यह विवाद मत करो , यहां जन सुविधाओं का अस्थाई निर्माण भी नहीं होगा,,, कागज़ बताओ , नहीं तो हम पुलिस की कार्यवाही करेंगे,अजीब बात है ना, पक्षकार सिविल कोर्ट में नहीं जा रहे , पक्षकारों को , अदालतों में जाने की ज़रूरत ही नहीं ,बस , एक पुलिस , एक थानाधिकारी , एक डंडा , और संबंधित पक्षकार के साथ पुलिस का साथ , लो मिल गया स्थगन ,, लो बंद हो गया निर्माण , लो डर गए लोग , पर पक्षकर हो , अतिक्रमणकारी हो , उसे आ गया मज़ा , कहते हैं , न अंग्रेज चले गए औलादें छोड़ गए , इसी लिए तो दंड प्रक्रिया संहिता के कई हिस्से जिसे आज़ादी के बाद से आज तक ,ना तो संविधान निर्माता अम्बेडर ने बदला , न बढे बढे सुप्रीमकोर्ट जज , सांसद , विधायकों ने इसे बदला, शांति भंग की धाराएं है , 107 , 151 ,145 . 108 , 133 सी आर पी सी जैसे तो हथियार जेबी हैं ही सही , डंडा है , धमकियां हैं ,रुआब है, , और सरकार में बैठे लोग , सरकार के ज़रिये बनी कमेटियां ऐसे मामलों में अगर पुलिस अधीक्षक , आई जी , और मुख्यमंत्री , स्थानीय प्रतिनिधियों को , लिखित शिकायत ना दे , धरना प्रदर्शन कर ,आम जनता की अदालत में ऐसे बेहूदगियों को अगर नहीं ले जाये , अदालतों में ऐसे मामलों में न्यायसंगत कार्यवाहियां ना हों , तो फिर वोह भी सरकार ने उन्हें जिस काम के लिए बनाया है , उसके लिए ज़िम्मेदार हरगिज़ नहीं है , ,, उनका कर्तव्य है के , सरकारी सम्पत्ति जिसकी ज़िम्मेदारी , जिसके बचाव , जिसके कल्याण के लिए उन्हें चार लाख से भी ज़्यादा उनके समाज के लोगों में से चुन कर उन्हें सरकार ने बिठाकर ज़िम्मेदार बनाया है , तो वोह ऐसी , अन्यायिक कार्यवाहियों के खिलाफ आवाज़ उठाये , अपनी ज़िम्मेदारी के तहत सरकार के सिस्टम से सम्पत्ति बचाये उसे आम जनहित में काम में लें , और बीच में अगर कोई गैर क़ानूनी पुलिस का रुआब आये , बदतमीज़ी बेहूदगी आये , तो पहले , पुलिस अधीक्षक से शिकायत करें ,फिर आई जी रेंज से शिकायत करें , अपने नेताओं से , धर्मगुरुओं से शिकायत करने , फिर मुख्यमंत्री से शिकायत करने , फिर भी ऐसे गैरक़ानुनी रुआब दिखाने वाले ,, थानाधिकारियों के खिलाफ न्यायसंगत कार्यवाही ना हो , तो इसे जनता की अदालत में ले जाएँ और अगर यह सब करने की क्षमता नहीं है , किसी का डर किसी का खौफ , अन्याय के खिलाफ जनहित की लड़ाई लड़ने में है , तो अपना इस्तीफा दें और चले जाएँ , दूसरे को ज़िम्मेदारी बनने दें , ,रिकॉर्ड कहता है , के कोटा में अलग अलग थानों में , सम्पत्ति के मामलों में पुलिस थानों की दखलअंदाज़ी ,, ऐसी दखलअंदाज़ी जो गैर वाजिब है , क्योंकि तात्कालिक झगड़ा , रोकने के लिए तो कार्यवाही न्यायसंगत है , लेकिन जिसके पास क़ब्ज़ा , कागज़ हैं , मालिकाना हक़ है , तो फिर उसे पाबंद करना ,तो गलत है , इसके लिए कोर्ट खुली हुई है , फिर भी , कुछ मामलों ,में प्रताड़ना की शिकायतें है , मुकमेबाज़ी चल रही है , पुलिस अधीक्षक , थानाधिकारी , उप अधीक्षक अनावश्यक पक्षकार बना दिए जाने से परेशान हो रहे हैं , कई ऐसे सिविल मामलों में दखलंदाज़ी करने वाले , पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही भी हुई है , कुछ ऐंटी करप्शन में ट्रेप हुए है , तो फिर एक कार्यशाला ऐसे पुलिस कर्मियों को समझाने के लिए भी होना चाहिए , और वरिष्ठ अधिकारीयों को एक गाइड लाइन , ज़िम्मेदारी वाली गाइडलाइन बनाकर, इन्हें उसके अनुसार चलने के लिए पाबंद करना चाहिए , क्योंकि , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गाइड लाइन ,, जिसमे जन प्रतिनिधियों , सरकार के ज़िम्मेदार लोगों से बा अदब बात करने की गाइड लाइन है , उसकी पालना तो , कैथूनीपोल , दादाबाड़ी पुलिस ने , सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के ज़िम्मेदारों के साथ निभाई नहीं , तो फिर तो वरिष्ठ अधिकारीयों को ही ऐसे मामलों में भविष्य के वाद विवादों को रोकने के लिए , अपने अधीनस्थों को , क़ानून व्यवस्था बनी रहे , इसके साथ साथ , तहज़ीब , के दायरे में रहने , ज़िम्मेदार लोगों से ज़िम्मेदारी से पेश आने की हिदायते भी देना होंगी ,, क्यूंकि कमज़ोर वर्ग के लोग तो चुप हो सकते हैं , लेकिन कभी , अगर मज़बूत वर्ग को धमकाया तो अनावश्यक वाद विवाद बढ़ सकता है , , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 फ़रवरी 2023
सम्पत्ति मामलों में पुलिस की दखलंदाज़ी बढ़ रही है
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