फ़ासला बीच का मिटा कैसे
याद उस ने मुझे किया कैसे
अपनी पलकों में क़ैद रक्खा था
राज दिल का मिरे खुला कैसे
जन्म दे कर मैं घूँट दूँ बोलो
अपनी उम्मीद का गला कैसे
मौत जिस रोज़ मेरे दिल को मिली
भूल जाऊँ वो हादिसा कैसे
जो तेरे नाम रूह भी कर दी
अब मेरा मुझ में कुछ बचा कैसे ..!!अनुश्री!!
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