आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 फ़रवरी 2023

नून क़लम की और उस चीज़ की जो लिखती हैं (उसकी) क़सम है

  सूरए अल क़लम सूरए अल क़लम मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी बावन (52) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
नून क़लम की और उस चीज़ की जो लिखती हैं (उसकी) क़सम है (1)
कि तुम अपने परवरदिगार के फ़ज़ल (व करम) से दीवाने नहीं हो (2)
और तुम्हारे वास्ते यक़ीनन वह अज्र है जो कभी ख़त्म ही न होगा (3)
और बेशक तुम्हारे एख़लाक़ बड़े आला दर्जे के हैं (4)
तो अनक़रीब ही तुम भी देखोगे और ये कुफ़्फ़ार भी देख लेंगे (5)
कि तुममें दीवाना कौन है (6)
बेशक तुम्हारा परवरदिगार इनसे ख़ूब वाकि़फ़ है जो उसकी राह से भटके हुए हैं और वही हिदायत याफ़्ता लोगों को भी ख़ूब जानता है (7)
तो तुम झुठलाने वालों का कहना न मानना (8)
वह लोग ये चाहते हैं कि अगर तुम नरमी एख़्तेयार करो तो वह भी नरम हो जाएँ (9)
और तुम (कहीं) ऐसे के कहने में न आना जो बहुत क़समें खाता ज़लील औक़ात ऐबजू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...