लानत चाहे सच्चा अल्फ़ाज़ हो ,, लेकिन मार्केटिंग हल्की है , इसलिए इस अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल तो में करूँगा नहीं , लेकिन शर्म मगर इनको हरगिज़ आती नहीं , अपनी क़ौम के ज़िम्मेदार बनते है , क़ौम के ज़िम्मेदार खुद को कहलवाना चाहते है , क़ौम का ज़िम्म्मेदार कहकर ,, खुद ओहदे लेते हैं , लेकिन क़ौम से जुडी हुई समस्याएं ,,क़ौम के इदारों के ज़िम्मेदारों तक भी नहीं पहुंचाकर उनसे जवाब तलब करना तो दूर , चर्चा भी नहीं करते है , अभी कल , कोटा में , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन सहित , राजस्थान सरकार के कई ज़िम्मेदारान , थे इनके पीछे , सभी क़ौम की हमदर्दी दिखाने वाले ज़िम्मेदार थे , यह लोग , कई लोगों के घरों पर भी गए , जो भी ज़िम्मेदार थे ,, और क़ौम की समस्याओं में चाहे बरकत उद्यान मरम्मत कार्य हो , चाहे दूसरे कामकाज हो , चाहे पुलिसियों द्वारा ,, सम्पत्ति की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी वाले लोगों को हड़काने की कार्यवाही हो , वक़्फ़ के कब्जेदारों को ज़िम्मेदार बनाने के मुद्दे हों , इधर उधर तो चेमे गोइएं करते है , लेकिन जब यह ज़िम्मेदार वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन और भी हर समस्या के समाधान की दवा बनकर जब लोग इनके द्वार पर गए , यह लोग उनके इर्द गिर्द रहे , अख़बारों की खबर भी इन्होने स्वागत सत्कार की बनाई , तो फिर , इन लोगों ने , बरकत उद्यान मरम्मत, पुलिसियों की धमकियां , वक़्फ़ सम्पत्तियों के प्रति सरकारी अधिकारीयों का दोहरा किरदार ,, किरायेदारों का किराया क़ानून से किराया बढ़ाने की शुरुआत ,. जंगलीशाह महफ़िल खाने को ठेकेदार की लूट खसोट से आज़ादी की बात सही दूसरी बातें क्यों नहीं की , जब यह लोग आपके द्वार पर थे , आप लोग इनके इर्द गिर्द थे , फिर भी अगर आप लोगों इन ज़रूरी मुद्दों पर बात नहीं की , तो ना तो आप सरकारी सिस्टम के सगे हो , क्यंकि समस्या का समाधान नहीं हुआ , सरकार के खिलाफ एक मुद्दा बनकर सरकार विरोधी हवा चलाता है , ना ही आप अपनी क़ौम की समस्याओं के बारे में खामोश रहकर , क़ौम के साथ इन्साफ कर पाए हो , अख़बार वाले तो इन से ,, आपकी क़ौम के अटेक हुए काम काज के बारे में सवाल क्यों पूंछेंगे , यह तो आपकी ज़िम्मेदारी है , आप ज़िम्मेदार भी हो , वफादार भी हो , खेर ,, अल्लाह जब जिससे चाहेगा , वैसे ही वोह उससे काम करवालेगा , लेकिन वक़्त निकल जाता है ,बात याद रह जाती है , ध्यान रखना ,, यह ज़मी खा गयी आसमान कैसे कैसे ,, फिर आपकी मर्ज़ी जनाब , अल्लाह नेक हिदायत दे ,, मुसीबतें आसान करें , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 फ़रवरी 2023
लानत चाहे सच्चा अल्फ़ाज़ हो ,, लेकिन मार्केटिंग हल्की है , इसलिए इस अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल तो में करूँगा नहीं
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