नैत्रदान मोक्ष का रास्ता है,बेटे ने सम्पन्न कराया नैत्रदान
2. तेज़ बारिश,कोहरे और रास्ते के जाम के बाद भी सम्पन्न हुआ नैत्रदान
3. ज्ञान बाई की आँखों से देखेंगे,2 दृष्टिहीन
बाज़ार
नम्बर दो,रामगंजमंडी निवासी वर्धमान चौरड़िया की माताजी श्रीमति ज्ञान बाई
का आज सुबह आकस्मिक निधन हो गया। वर्धमान जी शहर में शाइन इंडिया फाउंडेशन
व भारत विकास परिषद के संयुक्त प्रयास से चल रहे,सेवाकार्य नैत्रदान से
काफ़ी प्रभावित है । जैसे ही चिकित्सकों ने माता जी के निधन की पुष्टि
की,वर्धमान जी ने तुरंत ही श्वेतांबर जैन मंदिर के कोषाध्यक्ष धरम चंद जी
सकलेचा को माताजी के नेत्रदान करवाने के लिए कहा ।
वर्धमान
जी काफ़ी समय से धार्मिक व सेवा कार्यों को प्राथमिकता देते आये है,वह
जानते थे कि, नेत्रदान के कार्य से ही मां को मोक्ष मिल सकता है इसलिए
उन्होंने माताजी की नेत्रदान करवाने में कोई देरी नहीं की ।
परिवार
के सभी सदस्यों की सहमति होने के उपरांत शाइन इंडिया फाउंडेशन के
ज्योति-मित्र व भारत विकास परिषद के संजय विजावत की सूचना पर कोटा से
ईबीएसआर-बीबीजे चेप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़,व उत्कर्ष मिश्रा
नैत्रदान लेने के लिये रवाना हुऐ।
रास्ते
में तेज बारिश व कोहरा था,साथ ही दरा में दो ट्रकों की आपसी भिड़ंत से जाम
भी लगा हुआ था । इस कारण रामगंजमंडी पहुँचने में थोड़ा देरी भी हो रही थी,
परंतु नेत्रदान के कार्य के प्रति परिवार इतना ज्यादा संकल्पित था कि, पोते
चेतन ने कहा कि,जितना भी समय टीम को नैत्रदान लेने के लिये आने में लगता
है तो,वह देरी हमको मंजूर है,पर अंतिम संस्कार का निर्णय हम नेत्रदान के
बाद ही करेंगे ।
वर्धमान
जी के निवास पर शहर के कई गणमान्य नागरिक,भारत विकास परिषद के सदस्य प्रकाश
धारीवाल,संजय पतिरा,मनीष डांगी,मोनू माहेश्वरी, सुनील जैन, लोकेश लाडवा व
करीबी रिश्तेदार विमल चौरड़िया, वर्धमान डांगी, विकास व रौनक उपस्थित थे ।
डॉ
कुलवंत गौड़ ने नैत्रदान लेते हुए,उपस्थित लोगों को नैत्रदान की पूरी
प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी।उपस्थित जन-समूह ने नेत्रदान
की प्रक्रिया को बड़े उत्सुकता से व करीब से देखा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)