झालावाड़ से प्रकाशित पाटन एक्सप्रेस , भाई दिलीप सोनी के सम्पादन में , ज़ुल्म के खिलाफ एक संघर्ष है ,
दिलीप सोनी पत्रकार , क़लमकार के स्वाभिमान को ज़िंदाबाद कहते रहे , इसीलिए , जिला प्रशासन ने , उन्हें सम्मानित कर उनकी निष्पक्षता , निर्भीकता को पुरस्कृत किया है ,, दिलीप सोनी को बधाई ,,
किसी भी पत्रकार के लिए ,पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए , अपने दैनिक समाचार पत्र को जीवित रखना , एक चुनौती होता है , और जो पत्रकार अपने दैनिक समाचार पत्र को , पत्रकारिता के उद्देश्यों की सफलता के साथ सम्पादित करता रहता है , निश्चित तोर पर उसके समाचार पत्र की गिनती चाहे , छोटे , मंझोले समाचार पत्र के रूप में हों लेकिन वोह समाचार पत्र , सच्चाई के साथ , ज़ुल्म ज़्यादती , भ्रष्टाचार के खिलाफ , आम जनता के स्वाभिमान , सम्मान की आवाज़ होता है , झालावाड़ ज़िले में आपात काल के वक़्त ,,चुनौती भरे माहौल में , सच की आवाज़ बन कर , प्रकाशित होने वाले , समाचार पत्र पाटन एक्सप्रेस , इन्ही उद्देश्यों पर चलते हुए , दैनिक प्रकाशन पर प्रतिदिन आम जनता की बुलंद आवाज़ के साथ संघर्ष कर रहा है , और इसी सघर्ष की पहचान , इस समाचार पत्र के सम्पादक , पत्रकार , भाई दिलीप सोनी के पत्रकारिता के प्रति दायित्वों के संवर्धन के चलते उन्हें इसी साल गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन की तरफ से , जिला कलेक्टर द्वारा , पत्रकारिता क्षेत्र की निष्पक्ष सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया गया है , उनका यह सम्मान , झालावाड़ की निष्पक्ष पत्रकारिता का सम्मान है,, जी हाँ दोस्तों , मेरा भी झालावाड़ से सीधा संबंध रहा है , मेरे ताया ,, जागीरदार कड़ोदिया , अच्छन साहब के साथ जब में छोटा सा ऊँगली पकड़ कर, झालावाड़ संग्रहालय की तरफ जाता था , तो श्याम सुंदर सोनी साहब , की आवाज़ , पाटन एक्सप्रेस , के रूप में बुलंद मिलती थी , वोह मेरे ताया के अच्छे मित्र होने से , वहां वोह रुकते , बात करते , चाय पीते , और पत्रकारिता के प्रकाशन की तकलीफों , चुनौतियों पर चर्चा करते , यकींनन ,आपातकाल , फिर आपातकाल के बाद का वोह वक़्त , सियासत उठा पटक की वजह से पत्रकारिता के लिए भी , चुनौतीपूर्ण होने के साथ साथ ,अफरा तफरी वाला था ,, लिखने पढ़ने का में भी बचपन से ही शौक़ीन था , झालावाड़ जाते तो जिला लाइब्रेरी में छोटी पुस्तकें , लोटपोट , चंदामामा , धर्मयुग , वगेरा पढ़ते रहते , अख़बार पढ़ते , उस वक़्त , दैनिक नवज्योति ,में मेरी छोटी रचनाये प्रकाशित होतीं , कहानियां प्रकाशित होती ,, लोटपोट में भी मेरे चुटकुले , कहानियां , हास्य विवरण प्रकाशित होते रहते थे , तब लाइब्रेरी में , कई बार , आदरणीय श्याम सुंदर सोनी , प्रकाशक , मुद्रक ,दैनिक पाटन एक्सप्रेस , मेरी पीठ थपथपाते , में भी कोटा में , दैनिक धरती करे पुकार से जुड़ गया था , श्याम सोनी साहिब , दैनिक धरती करे पुकार के , ओमनारायण सक्सेना के अच्छे मित्र होने से , कोटा प्रवास पर लगातार उनके सम्पर्क में रहते थे , कार्यालय आते थे वहां भी मेरा उनसे सम्पर्क रहा, इस दौरान , उनके छोटे पुत्र दिलीप सोनी साहब ने , इस ज़िम्मेदारी में अपनी हिस्सेदारी बखूबी निर्वहन करना शुरू की , मुझे ख़ुशी है ,के मेरे भाई , दिलीप सोनी ने ,दैनिक पाटन एक्सप्रेस को , नियमित जीवित रखा , पत्रकारिता के मूल्यों , पत्रकारिता के स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं किया ,, नियमित प्रकाशन , सभी तरह की खबरों के चयन के ज़रिये , खबरों को गागर में सागर की तरह , एक ही दैनिक पत्र में सजानां , संवारना , यक़ीनन मुश्किल काम होता है , लकिन इस मुश्किल को, मेरे भाई दिलीप सोनी दिन प्रतिदिन , अपनी पत्रकारिता के हुनर के ज़रिये ,, आसान करके आसान कर लेते है, नियमित प्रकाशन में , क्षेत्रीय खबरें, आंचलिक खबरें, और जनहित से जुडी खबरें लगातार प्रकाशन करते रहना , चुनौतीपूर्ण है ,लेकिन इस चुनौती में हमेशा भाई दिलीप सोनी ज़िंदाबाद रहे है , उन्हें बधाई , मुबारकबाद , मुझे ख़ुशी है , के पाटन एक्सप्रेस के मेरे भाई , दिलीप सोनी के बारे में , कुछ अंश मुझे लिखने का अवसर मिल रहा है , ,आदरणीय श्याम सोनी साहब , ने पत्रकारिता के इस पौधे को ,, 6 नवम्बर 1979 को रोपा था ,, दैनिक पाटन एक्सप्रेस , का लोकार्पण किसी उद्योगपति , किसी सियासी लीडर से नहीं करवाया गया , सैद्धांतिक पत्रकारिता थी , इसलिए , दैनिक पाटन एक्सप्रेस का लोकार्पण , दैनिक नवज्योती के वरिष्ठतम पत्रकार , मालिक , प्रकाशक , मुद्रक , स्वतंत्रता सेनानी , पत्रकारिता के जांबाज़ सिपाही , कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी के हाथो सम्पन्न हुआ , उनकी हिदायतों को , आदरणीय श्याम जी सोनी ने , गाँठ बाँध कर रखी , और हक़ क़दम पर , किसी कठिन समय में, किसी भी मुश्किल के वक़्त उन्होंने अपने सिद्धांतों , निष्पक्षता , निर्भीकता को नहीं त्यागा , और लड़ते रहे , संघर्ष करते रहे, लिहाज़ा , दैनिक पाटन एक्सप्रेस विकट हालातों में भी, तलवार की धार की तरह से ,, प्रकाशित होता रहा ,, पाटन एक्सप्रेस नाम के इस पौधे को वृक्ष बनाया , फिर भाई दिलीप सोनी ने इसे आकर संवारा , संभाला , रोज़ मर्रा इस पेड़ की छाओं में कई ज़रूरत मंदों को राहत दिलवाई , मदद की, इस पेड़ में , भाई दिलीप सोनी ने , कढ़ी मेहनत के ज़रिये, खाद डाली , पानी डाला , रोज़ मर्रा तराशा , और आज दैनिक पाटन एक्सप्रेस के , सम्पादक के रूप में भाई दिलीप सोनी को, झालावाड़ जिला प्रशासन की तरफ से सम्मानित करना झालावाड़ की पत्रकारिता के लिए गौरव की बात है, दिलीप सोनी वर्ष 1992 से लगातार इस पत्र की सम्पादन व्यवस्था से जुड़कर , संघर्षशील पत्रकारिता की अलख को जलाये हुए है, जो एक क्रांति की मशाल की तरह , ज़ुल्म ,ज़्यादती के खिलाफ ,एक आक्रोश है , एक आवाज़ है, जबकि पीड़ित , शोषित वर्ग से जुड़े लोगों के लिए , यह उन लोगों की बुलंद आवाज़ है , दैनिक पाटन एक्सप्रेस के 42 साला के निर्बाध सफर में , सिर्फ ईमानदारी है , संघर्ष है ,आम लोगों के प्रति समर्पण है , निष्पक्षता है , निर्भीकता है , सरकार , नेता ,, ब्यूरोक्रेट्स , आम जनता के बीच का एक समन्वय है , और इस मामले में , प्रकाशन की निरंतरता है , दैनिक पाटन एक्सप्रेस के भाई दिलीप सोनी को बधाई , मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 फ़रवरी 2022
झालावाड़ से प्रकाशित पाटन एक्सप्रेस , भाई दिलीप सोनी के सम्पादन में , ज़ुल्म के खिलाफ एक संघर्ष है ,
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)