और (क़यामत के दिन) लोग सबके सब ख़ुदा के सामने निकल खड़े होगें जो लोग
(दुनिया में कमज़ोर थे बड़ी इज़्ज़त रखने वालो से (उस वक़्त) कहेंगें कि हम
तो बस तुम्हारे क़दम ब क़दम चलने वाले थे तो क्या (आज) तुम ख़ुदा के अज़ाब
से कुछ भी हमारे आड़े आ सकते हो वह जवाब देगें काश ख़ुदा हमारी हिदायत
करता तो हम भी तुम्हारी हिदायत करते हम ख़्वाह बेक़रारी करें ख़्वाह सब्र
करे (दोनो) हमारे लिए बराबर है (क्योंकि अज़ाब से) हमें तो अब छुटकारा नहीं
(21)
और जब (लोगों का) ख़ैर फैसला हो चुकेगा (और लोग शैतान को इल्ज़ाम देगें)
तो शैतान कहेगा कि ख़ुदा ने तुम से सच्चा वायदा किया था (तो वह पूरा हो
गया) और मैने भी वायदा तो किया था फिर मैने वायदा खि़लाफ़ी की और मुझे कुछ
तुम पर हुकूमत तो थी नहीं मगर इतनी बात थी कि मैने तुम को (बुरे कामों की
तरफ) बुलाया और तुमने मेरा कहा मान लिया तो अब तुम मुझे बुंरा (भला) न कहो
बल्कि (अगर कहना है तो) अपने नफ़्स को बुरा कहो (आज) न तो मैं तुम्हारी
फरियाद को पहुँचा सकता हूँ और न तुम मेरी फरियाद कर सकते हो मै तो उससे
पहले ही बेज़ार हूँ कि तुमने मुझे (ख़ुदा का) शरीक बनाया बेषक जो लोग
नाफरमान हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है (22)
और जिन लोगों ने (सदक़ दिल से) इमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम
किए वह (बेहिश्त के) उन बाग़ों में दाखि़ल किए जाएँगें जिनके नीचे नहरे
जारी होगी और वह अपने परवरदिगार के हुक्म से हमेशा उसमें रहेगें वहाँ उन
(की मुलाक़ात) का तोहफा सलाम का हो (23)
(ऐ रसूल) क्या तुमने नहीं देखा कि ख़ुदा ने अच्छी बात (मसलन कलमा तौहीद
की) वैसी अच्छी मिसाल बयान की है कि (अच्छी बात) गोया एक पाकीज़ा दरख़्त है
कि उसकी जड़ मज़बूत है और उसकी टहनियाँ आसमान में लगी हो (24)
अपने परवरदिगार के हुक्म से हर वक़्त फला (फूला) रहता है और ख़ुदा लोगों
के वास्ते (इसलिए) मिसालें बयान फरमाता है ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल
करें (25)
और गन्दी बात (जैसे कलमाए शिर्क) की मिसाल गोया एक गन्दे दरख़्त की सी है
(जिसकी जड़ ऐसी कमज़ोर हो) कि ज़मीन के ऊपर ही से उखाड़ फेंका जाए
(क्योंकि) उसको कुछ ठहराओ तो है नहीं (26)
जो लोग पक्की बात (कलमा तौहीद) पर (सदक़ दिल से इमान ला चुके उनको ख़ुदा
दुनिया की जि़न्दगी में भी साबित क़दम रखता है और आखि़रत में भी साबित क़दम
रखेगा (और) उन्हें सवाल व जवाब में कोई वक़्त न होगा और सरकशों को ख़ुदा
गुमराही में छोड़ देता है और ख़ुदा जो चाहता है करता है (27)
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे
एहसान के बदले नाषुक्री की एख़्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे
(जहन्नुम) में झोंक दिया (28)
कि सबके सब जहन्नुम वासिल होगें और वह (क्या) बुरा ठिकाना है (29)
और वह लोग दूसरो को ख़ुदा का हमसर (बराबर) बनाने लगे ताकि (लोगों को)
उसकी राह से बहका दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ख़ैर चन्द रोज़ तो) चैन कर लो
फिर तो तुम्हें दोज़ख की तरफ लौट कर जाना ही है (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 फ़रवरी 2022
और (क़यामत के दिन) लोग सबके सब ख़ुदा के सामने निकल खड़े होगें जो लोग (दुनिया में कमज़ोर थे
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