आपका-अख्तर खान

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24 दिसंबर 2021

हालाँकि जब तक तुम उनके दरम्यिान मौजूद हो ख़ुदा उन पर अज़ाब नहीं करेगा और अल्लाह ऐसा भी नही कि लोग तो उससे अपने गुनाहो की माफी माँग रहे हैं और ख़़ुदा उन पर नाजि़ल फरमाए

 और ख़़ुदा तो सब तद्बीर करने वालों से बेहतर है और जब उनके सामने हमारी आयते पढ़ी जाती हैं तो बोल उठते हैं कि हमने सुना तो लेकिन अगर हम चाहें तो यक़ीनन ऐसा ही (क़रार) हम भी कह सकते हैं-तो बस अगलों के कि़स्से है (31)
और (ऐ रसूल वह वक़्त याद करो) जब उन काफिरों ने दुआएँ माँगीं थी कि ख़़ुदा (वन्द) अगर ये (दीन इस्लाम) हक़ है और तेरे पास से (आया है) तो हम पर आसमान से पत्थर बरसा या हम पर कोई और दर्दनाक अज़ाब ही नाजि़ल फरमा (32)
हालाँकि जब तक तुम उनके दरम्यिान मौजूद हो ख़ुदा उन पर अज़ाब नहीं करेगा और अल्लाह ऐसा भी नही कि लोग तो उससे अपने गुनाहो की माफी माँग रहे हैं और ख़़ुदा उन पर नाजि़ल फरमाए (33)
और जब ये लोग लोगों को मस्जिदुल हराम (ख़ान ए काबा की इबादत) से रोकते है तो फिर उनके लिए कौन सी बात बाक़ी है कि उन पर अज़ाब न नाजि़ल करे और ये लोग तो ख़ानाए काबा के मुतवल्ली भी नहीं (फिर क्यों रोकते है) इसके मुतवल्ली तो सिर्फ परहेज़गार लोग हैं मगर इन काफि़रों में से बहुतेरे नहीं जानते (34) और ख़ानाए काबे के पास सीटियाँ तालिया बजाने के सिवा उनकी नमाज ही क्या थी तो (ऐ काफिरों) जब तुम कुफ्र किया करते थे उसकी सज़ा में (पड़े) अज़ाब के मज़े चखो (35)
इसमें शक नहीं कि ये कुफ्फार अपने माल महज़ इस वास्ते खर्च करेगें फिर उसके बाद उनकी हसरत का बाइस होगा फिर आखि़र ये लोग हार जाएँगें और जिन लोगों ने कुफ्र एख़्तियार किया (क़यामत में) सब के सब जहन्नुम की तरफ हाके जाएँगें (36)
ताकि ख़़ुदा पाक को नापाक से जुदा कर दे और नापाक लोगों को एक दूसरे पर रखके ढेर बनाए फिर सब को जहन्नुम में झोंक दे यही लोग घाटा उठाने वाले हैं (37)
(ऐ रसूल) तुम काफिरों से कह दो कि अगर वह लोग (अब भी अपनी शरारत से) बाज़ रहें तो उनके पिछले कुसूर माफ कर दिए जाए और अगर फिर कहीं पलटें तो यक़ीनन अगलों के तरीक़े गुज़र चुके जो, उनकी सज़ा हुयी वही इनकी भी होगी (38)
मुसलमानों काफि़रों से लड़े जाओ यहाँ तक कि कोई फसाद (बाक़ी) न रहे और (बिल्कुल सारी ख़़ुदाई में) ख़़ुदा की दीन ही दीन हो जाए फिर अगर ये लोग (फ़साद से) न बाज़ आए तो ख़़ुदा उनकी कारवाइयों को ख़ूब देखता है (39)
और अगर सरताबी करें तो (मुसलमानों) समझ लो कि ख़़ुदा यक़ीनी तुम्हारा मालिक है और वह क्या अच्छा मालिक है और क्या अच्छा मददगार है (40)

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