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12 जनवरी 2021

एक प्यारा-सा एहसास पेश-ए-ख़िदमत.....

एक प्यारा-सा एहसास पेश-ए-ख़िदमत.....
*ज़िन्दगी से लम्हें चुरा*
*बटुए में रखता रहा!*
*फुरसत से खरचूंगा*
*बस यही सोचता रहा।*
*उधड़ती रही जेब*
*करता रहा तुरपाई*
*फिसलती रही खुशियाँ*
*करता रहा भरपाई।*
*इक दिन फुरसत पाई*
*सोचा .......*
*खुद को आज रिझाऊं*
*बरसों से जो जोड़े*
*वो लम्हें खर्च आऊं।*
*खोला बटुआ..लम्हें न थे*
*जाने कहाँ बीत गए!*
*मैंने तो खर्चे नहीं*
*जाने कैसे बीत गए !!*
*फुरसत मिली थी सोचा*
*खुद से ही मिल आऊं।*
*आईने में देखा जो*
*पहचान ही न पाऊँ।*
*ध्यान से देखा बालों पे*
*चांदी सा चढ़ा था,*
*था तो मुझ जैसा पर*
*जाने कौन खड़ा था.......*

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