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16 नवंबर 2020

ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं

 सूरए अल क़सस मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी 88 आयतें हैं
ख़़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन मीम (1)
(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं (3)
बेशक फ़िरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को जि़न्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था (4)
और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ (5)
और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़़ुदरत अता करे और फ़िरऔन और हामान और उन दोनों के लश्करों को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे ये लोग डरते थे (6)
और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें (7)
(ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फ़िरऔन के महल के पास आ लगा तो फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही) उनका दुशमन और उनके राज़ का बायस बने इसमें शक नहीं कि फ़िरऔन और हामान उन दोनों के लशकर ग़लती पर थे (8)
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फ़िरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) आँखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी (9)
इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे (10)

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