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16 नवंबर 2020

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निश्चित तोर पर , राजस्थान की सभी समस्याओं के समाधान के साथ ,,उर्दू भाषा की समस्याओं के समाधान के लिए भी संवेदनशील है

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निश्चित तोर पर ,  राजस्थान  की सभी समस्याओं के समाधान के साथ ,,उर्दू भाषा की समस्याओं के समाधान के लिए भी संवेदनशील है ,, उन्होंने निश्चित तोर पर वर्तमान हालातों में उन्हें जो जानकारी दी गयी , उसमे तत्काल आदेश करवाकर , उर्दू की समस्या समाधान के प्रयास किये है , ,लेकिन शिक्षा अधिकारीयों ,, उनके सलाहकारों , हमारे मुस्लिम  समाज के उनके जी हुज़ूर दरबारियों ने उन्हें अँधेरे में रखा है ,, यही वजह है , उर्दू को लेकर , यह संशोधित आदेश ,किसी भी सूरत में ,  तृतीय भाषा उर्दू ,, को फिर से स्कूलों में जीवित करने के लिए काफी नहीं है ,हालात यह है के ,,, खुद मुझे  ,या जी हुज़ूरी दरबारियों में से,,  किसी को भी जिला शिक्षा अधिकारी लगा दिया जाए तो , वोह भी   इन संशोधित आदेशों के बल पर ,एक स्कूल में भी एक उर्दू के बच्चे को भी ,या उर्दू के एक भी शिक्षक को,,  उनका हक़ वापस दिलवाने की क़ानूनी स्थिति में नहीं है , क्योंकि यह  कागज़ के टुकड़े , खेल कूद ,, उल्लू सिर्फ उल्लू बनाने की सामग्री है ,, तृतीय भाषा सहित उर्दू शिक्षकों की बुनियादी समस्या , स्टाफिंग पैटर्न ,, में इस मामले में बनाये गए समायोजन , नवसृजित पदों की पाबंदियां ,,स्कूलों में अध्ययन को लेकर बनाये गए नियमों की कठोरता है ,जो नहीं बदले गए है ,, ऐसे में स्टाफिंग पैटर्न नियमों में , जो भी नियम उर्दू भाषा को इन्साफ दिलाने में बाधक है ,उन्हें खत्म कर  ,,  क्लियरकट ,उर्दू हर स्कूल में खोलने ,अध्यापकों की नियुक्ति करने ,  समायोजन के  नाम पर  अध्यापकों को प्रताड़ना से बचाने ,, हर स्कूल में , इच्छा जानकर ,प्राइमरी से ही , उर्दू पढ़वाने  की शुरुआत ही,  एक मात्र उर्दू सहित अन्य तृतीय भाषाओं से इंसाफ देने का उपाय है ,, मुख्यमंत्री महोदय ,संवेदनशील है ,बेहतरीन प्रशासक है ,, गांधीवादी है ,संवेदनशील है , लेकिन कुछ तो गढ़ बढ है जो , उनके अपने दरबारी  ,, जो हमारे अपने समाज के है ,उनके अपने अधिकारी , जिनकी ज़िम्मेदारी ,,हमारे  समाज की समस्याएं उन तक पहुंचाना , उनका समाधान करवाना है , निश्चित तोर पर वोह सब उन्हें गुमराह कर रहे है ,, आल  इज़ वेल , का झूंठ बोलकर ,उन्हें छतीस क़ौमों के साथ इंसाफ करने वाले प्रशासक के रूप में गुमराह कर  रहे है , उनकी संवेंद्शीलता पर प्रश्न चिन्ह लगवा रहे है ,,. विरोधियों की चालबाज़ियों का मोहरा बनकर ,,एक कुशल प्रशासक मुख्यमंत्री महोदय के खिलाफ माहौल बनाने की साज़िशों का हिस्सा बन रहे है ,,,  ताज्जुब है ,,तहरीक ऐ  उर्दू राजस्थान की तरफ  से , इस समस्या के मामले में ,, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को ,कोटा शहर क़ाज़ी की सरपरस्ती में , विस्तृत ज्ञापन दिया गया , लगातार व्यक्तिगत सम्पर्क के प्रयास किये गये ,विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग तक की गुज़ारिश की गयी ,  लेकिन उनके दरबारियों ने उन्हें इस मामले में गुमराह ही किया है ,तभी तो ,आज जब ,हाकम अली विधायक ,, खानू खान साहिब ,हारून खान सहित कई लोग  उर्दू की समस्या के समाधान के लिए गए , तो तत्काल माननीय मुख्यमंत्री महोदय की प्रतिक्रिया , यह आदेश अभी तक नहीं निकले ,, आदेश तो निकल जाना चाहिए ,, साबित करता है के माननीय मुख्यमंत्री महोदय इस मामले में गंभीर है , समस्या के समाधान के लिए तत्पर है , लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारीयों और अल्पसंख्यक  समाज के ज़िम्मेदारों ने साहब को वस्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया ,या फिर उनके पूर्व निर्देश आदेशों की पालना सुनिश्चित नहीं की गयी  ,,,  देश जानता है ,के आदरणीय अशोक गहलोत ,सर्वश्रेष्ठ प्रशासक , ईमानदार छवि वाले ,गाँधीवादी ,संवेदनशील मुख्यमंत्री है ,वोह हर समस्या का तत्काल समाधान चाहते है ,, लेकिन कुछ   लोग है ,, जो उनके अपने दरबारी बनकर ,उनसे राजस्थान के अल्पसंख्यकों में जो विद्रोह की स्थिति कृत्रिम रूप से बनाई जा रही है ,साज़िशे रची जा रही है ,, ,उसे छुपाना चाहते है , ,माननीय मुख्यमंत्री महोदय को आल इस वैल , की तस्वीर बताकर , राजस्थान में सब ठीक है , बता रहे है ,नतीजा , इन्साफ के लिए भटक रहे इस वर्ग के लोग , विरोधियों द्वारा गुमराह किये जा रहे है ,, बात भी सही है ,क्योंकि उनके पास बताने के लिए आंकड़े नहीं है ,, ऐसे में सब कुछ जल्दी सुधारने की ज़रूरत है ,,, देश जानता है ,,राजस्थान में  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ज़्यादा उर्दू जुबां का हमदर्द कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं है ,फिर भी  गुमराही एक षड्यंत्र है ,उसे खत्म कर , उर्दू सहित सभी समस्याओं के समाधान को तलाशने ,तत्काल निस्तारण की ज़रूरत है ,, राजस्थान के हर स्कूल में उर्दू सहित तृतीय भाषा की समस्या समाधान के लिए स्टफिंग पैटर्न में ,तत्काल संशोधन कर , स्कूलों के समायोजन , प्राइमरी स्तर से ही स्कूलों में इच्छा होने पर उर्दू पढ़ने ,अध्यापकों की नियुक्तियां ,, ज़रूरी  है  ,,  हर स्कूल में उर्दू के पद सृजित  हों ,, सेकडं ग्रेड ,  फर्स्ट ग्रेड के अधिकतम पदों का सृजन कर ,तत्काल भर्ती के निर्देश हों ,निर्देश ही नहीं ,, समय बद्ध मॉनिटरिंग कार्यक्रम हों ,,  उर्दू निदेशालय की तत्काल स्थापना हों ,,हर ज़िले में उर्दू का उप जिला शिक्षा अधिकारी हो ,, मदरसा पैराटीचर्स का स्थाईकरण हो , उनके मानदेय में आवश्यक वृद्धि हो , पंद्रह सूत्रीय कल्याणकारी कार्य्रकम के लिए राज्य सहित जिला स्तर की समितियों का तत्काल गठन हो ,भर्ती प्रक्रिया में एक सदस्य आवश्यक रूप से अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाला हो ,, अल्पसंख्यक आयोग , हज कमेटी ,अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम ,उर्दू एकेडमी ,वक़्फ़ विकास प्राधिकरण , मेवात बोर्ड ,  मदरसा बोर्ड , सहित सभी इदारों का तत्काल गठन हो ,, राजस्थान के सभी ज़िलों में दो वर्षों से वक़्फ़ की  जिला कमेटियों में भाजपा विचारधारा के जो लोग नियुक्त होने पर भी अब तक उन्हें हटा  कर नए लोगों को नियुक्त नहीं किया गया है उनकी नियुक्ति तत्काल हो , क्योंकि सभी  कमेटियों के कार्यकाल समाप्त हो चुके है ,, कोटा सहित राजस्थान के सभी  इबादत घर ,दरगाह , मदरसों के निर्माण , मरम्मत कार्य जिला कलेक्टरों ने बेवजह जो रोके हुए है ,उन्हें तत्काल शुरू करने के आदेश प्रदान करवाए ,,  इन सभी काम काज की मॉनिटरिंग ,दिन प्रतिदिन करवाई जाए ,  आल  इज़ वेल का झूंठ फैलाकर , गुमराह करने  वालों के खिलाफ कार्यवाही  हो ,और  जो  माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के बाद भी दो माह तक उर्दू के संबंधित आदेश नहीं निकालने वाले शिक्षा अधिकारी हो , उन्हें भी तत्काल दंडित किया जाए , तभी इन समस्याओं का समाधान सम्भव है ,,,,,,, वर्ना कड़वा सच यही है के कुछ दरबारी ,   कहीं  न  कहीं ,गुमराही में है ,,साहिब को अँधेरे में रख कर , सच छुपा रहे है और इन सब से ,, साहिब की गाँधीवादी ,  छत्तीस क़ौमों के निर्विवाद संवेदनशील प्रशासक की  जो राष्ट्रिय छवि है ,,उस  पर कुठाराघात  करने की कोशिशों में है  ,  इसलिए आस्तीन में पलने  वालों को भी झटकार कर दूर करना ज़रूरी है ,,,,,उर्दू के साथ ,,उर्दू की कॉम के साथ इंसाफ करने , उन्हें उनका हक़ देने से दूसरी कॉम के वोटर हरगिज़ नाराज़ नहीं होंगे , देश जानता है ,गुर्जर भाइयों को हक़ देने की बात होती है , कोई दूसरी कॉम के वोटर नाराज़ नहीं होते ,सबकी अपनी समस्याए ,,है राजधर्म सभी की समस्याओं का समाधान करना है , लेकिन कुछ लोग है ,जो वोटों को भड़काने का झांसा देकर , इस उर्दू के इंसाफ को रोके हुए है ,, वोह चाहते है आने  वाले कल में ,, इस तरह की उपेक्षाये गिना कर ,भड़काए ,ओवेसी जैसे लोगों के साथ मिलकर गठबंधन करे और फिर , हमारी कांग्रेस का जो सरमाया ,जो दौलत , जो एक तरफा वोटर है , वोह बहक ,कर ,गुमराह होकर ,या इन हालातों से बगावती तेवर दिखाकर ,,गुस्से में कहीं दूसरी तरफ जाए , और नतीजे हमारे खिलाफ ,बहुत खिलाफ आएं ,,ज़रा सोचिये , उर्दू की समस्या को लेकर ,कोई आंदोलन करे ,तो विधायक जी आदरणीय मुख्यमंत्री जी के पास जाकर , चर्चा तो नहीं करे ,मांग तो नहीं उठाये ,और उस आंदोलन कारी से मिलने के लिए जाने का ट्वीट करे ,अजीब बात है  ना ,समस्या का समाधान ,, तो मुख्यमंत्री हाउस में है ,, पहले विधायक जी यहां आये ,बात करे ,समस्या का समाधान करवाए फिर कहीं भी जाए ,,वैसे भी आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय के पास राजस्थान की छह नगर  निगमों के महापौर ,उप महापौर ,,पार्षद लोग मिलने जा रहे है ,जिनमे यूँ तो सभी धर्म निरपेक्ष है , लेकिन सो से भी अधिक पार्षद , तीन उप महापौर तो हमारे अपने है , देखते है ,उनकी जुबां हलक़ से अटकी रहती है ,या फिर वोह  उर्दू सहित दूसरी समस्याओं के समाधान के लिए कोई सार्थक आवाज़ उठा कर इसका समाधान करवाते है ,,,,,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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