तो हम तुम पर क्या इमान लाए (111)
नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) (112)
इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के जि़म्मे है (113)
काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो इमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं (114)
मै तो सिर्फ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ़ साफ़ डराने वाला हूँ (115)
वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे (116)
नूह ने अर्ज़की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया (117)
तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरम्यिान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे (118)
ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुयी कश्ती में थे नजात दी (119)
फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रख़ कर दिया (120)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 अक्तूबर 2020
तो हम तुम पर क्या इमान लाए
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